रायपुर\हैदराबाद: छत्तीसगढ़ में मजदूर दिवस एक नए अंदाज में मनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़वासी बोरे बासी खाकर मजदूर दिवस मना रहे हैं. बोरे बासी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों में से एक है. जिसे आसानी से हर कोई तैयार कर सकता है. बोरे बासी को गरीबों का सुपर फूड कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी. क्योंकि ये वर्ग इसी सुपर फूड की बदौलत जी तोड़ मेहनत कर पाता हैं. (sack stale day in chhattisgarh)
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बोरे बासी बनाने की विधि: ताजे बने चावल को ठंडा कर पानी डाल कर कुछ समय के बाद खाने से ये बोरे कहलाता है. रात के बचे चावल को पानी में डालकर ढककर सुबह तक छोड़ दिया जाए तो बासी तैयार हो जाती है. मिट्टी के बर्तन में बोरे बासी बनाई जाए तो इसके बेहतर परिणाम मिलते हैं. चावल में बेहतर क्वालिटी का कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो कि अन्य अनाजों की तुलना में जल्दी पच जाता है. जब इससे बोरे बासी बनाया जाता है तो चावल का पाचन और बेहतर हो जाता है. यही कारण है कि यह बच्चे, बड़े व बुजुर्गों के लिए एक उत्तम आहार माना जाता है. गर्मियों के दिनों में बोरे बासी लू से बचाती है. बोरे बासी को प्याज, मिर्च, अचार, पापड़, और भाजी के साथ खाया जाता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 'सुबह उठकर बोरे बासी का सेवन सबसे अधिक पौष्टिक नाश्ता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को तो बढ़ाता ही है साथ ही वजन को संतुलित रखने में भी इसकी अहम भूमिका है. शरीर में हारमोंस के संतुलन को भी बनाए रखने में यह सहायक होता है. खमीरी करण की प्रक्रिया में कुछ पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और आयरन की शरीर के लिए उपलब्धता बढ़ जाती है. विटामिन बी12 की प्राप्ति भी शरीर को अधिक मात्रा में होती है. कुल मिलाकर बोरे बासी पोषक तत्वों के ' पावर हाउस ' कहलाए जा सकते हैं. (chhattisgarh cuisine bore basi )