रायपुरः राजधानी के राजेंद्र नगर थाने में महिला कॉन्स्टेबल के खिलाफ उनके परिजनों ने गुमशुदगी (missing) की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. महिला कॉन्स्टेबल पिछले 9 महीने से लापता थी, जिसकी तलाश में रायपुर (Raipur) पुलिस जुटी हुई थी. यह तलाश आखिरकार वृंदावन (Vrindavan) में जा कर पूरी हुई लेकिन पुलिस के साथ रायपुर वापस लौटने से महिला कॉन्स्टेबल ने मना कर दिया. ऐसी स्थिति में राजेंद्रनगर पुलिस खाली हाथ वापस रायपुर लौट आई है.
राजेंद्र नगर पुलिस का कहना है कि महिला कॉन्स्टेबल बालिग है. उन्होंने अपना लिखित में बयान दिया है. जिसके कारण रायपुर पुलिस महिला कॉन्स्टेबल को साथ लाए बिना ही खाली हाथ वापस लौट आई.
महिला आरक्षक की 2016 में रायगढ़ में पोस्टिंग (posting) के बाद दो अफसरों (officers) के द्वारा परेशान किया गया था. उनके खिलाफ महिला आरक्षक (lady constable) ने विभाग (Department) में शिकायत भी भेजी थी लेकिन विभाग की ओर से कोई भी कार्रवाई (action) नहीं की गई. बताया जा रहा है कि हेड क्वार्टर (head quarter) के कुछ बड़े अधिकारियों (officials) ने महिला आरक्षक को इस्तीफा देने का दबाव बनाया और इन्हीं बातों से परेशान होकर महिला आरक्षक ने रिजाइन (resign) कर दिया. वह वृंदावन में रहने के लिए चली आई.
सूरजपुर में भीषण सड़क हादसा, 2 की मौत 4 घायल
मां ने दर्ज कराई गुमशुदगी का रिपोर्ट
रायगढ़ की रहने वाली महिला आरक्षक की मां ने गुमशुदगी की रिपोर्ट रायपुर के राजेंद्र नगर थाने में दर्ज कराई थी. उस समय महिला आरक्षक महावीर नगर में रहती थी. जिसके बाद राजेंद्रनगर पुलिस गुमशुदा (Missing) महिला आरक्षक को खोजते हुए रायपुर से वृंदावन पहुंची. पुलिस को देखते ही महिला आरक्षक ने सड़क पर ही हंगामा शुरू कर दिया और पुलिस के साथ रायपुर वापस लौटने से इनकार कर दिया. जिसके बाद रायपुर पुलिस महिला आरक्षक से लिखित में बयान (Statement) लेकर वापस लौट आई.
सगी मां के लिए भी दिल में नहीं बचा है कोई प्यार
महिला आरक्षक जब कक्षा दसवीं में पढ़ती थी तब से ही अपनी मां के साथ संबंध तोड़ दी थी. सगी मां होने के बावजूद महिला आरक्षक को मां के प्रति कोई मोह नहीं है. मां के साथ महिला आरक्षक का अक्सर विवाद (Controversy) हुआ करता था. इसके बाद वह अपने मामा-मामी (maternal uncle) के साथ रहने लगी. महिला आरक्षक का परिवार रायगढ़ (Raigarh) और रायपुर दोनों शहरों में है. जब पुलिस की नौकरी मिली तो अपने पैरों पर खड़ी होने की वजह से महिला आरक्षक रायपुर में आकर परिवार से अलग रहने लगी थी.