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मिशन 2023 की जंग: आदिवासी वोटों को लुभाने में बीजेपी और कांग्रेस ने झोंकी ताकत

छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 (Upcoming Assembly Elections In Chhattisgarh 2023)  को लेकर भाजपा और कांग्रेस (BJP And Congress) ने अपनी चुनावी रणनीतियां (Electoral Strategies) बनानी शुरू कर दी है. दोनों ही पार्टियां चुनाव से पहले आदिवासी वोटरों (Tribal Voter) को साधने का प्रयास कर रही हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज बस्तर दौरे थे. उन्होंने मुरिया दरबार में आदिवासीयों के बीच शामिल होकर उनकी समस्याओं को सुना. वहीं, आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी का चिंतन शिविर सरगुजा में प्रस्तावित है. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदेश की प्रमुख दोनों पार्टियां आदिवासियों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने में लग गई हैं.

Preparations to win elections in Chhattisgarh by tribal vote
छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोट पर चाल
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Published : Oct 17, 2021, 4:34 PM IST

Updated : Oct 17, 2021, 10:02 PM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 (Assembly Election 2023) को लेकर भाजपा और कांग्रेस (BJP And Congress) ने अपनी चुनावी रणनीतियां (Electoral Strategies) बनानी शुरू कर दी है. दोनों ही पार्टियां चुनाव से पहले आदिवासी वोटरों (Tribal Voters) को साधने का प्रयास कर रही हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) आज बस्तर दौरे थे. उन्होंने मुरिया दरबार में आदिवासीयों के बीच शामिल होकर उनकी समस्याओं को सुना.

आदिवासी वोट का सियासी समीकरण

वहीं, आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी का चिंतन शिविर सरगुजा में प्रस्तावित है. छतीसगढ़ में 32 प्रतिशत आदिवासी वोटर हैं. दोनों ही पार्टियां इन वोटरों को अपने पाले में कर दोबारा सत्ता में आना चाहती हैं. छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासियों को साधने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए पार्टी बस्तर के बाद अब सरगुजा में चिंतन शिविर (Contemplation Camp) आयोजित करने वाली है. इस शिविर में आदिवासियों के धर्मांतरण (Conversion Of Tribals) समेत उनकी आर्थिक स्थिति (Economic Condition) और नेतृत्व के मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी.

2018 के विधानसभा चुनाव में बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य (Tribal Majority) इलाके में बीजेपी का पूरी तरह से सफाया हो गया था. हालांकि छत्तीसगढ़ में चुनाव होने में अभी 2 साल से ज्यादा का वक्त है लेकिन बीजेपी की नजर इस वक्त आदिवासी वोट बैंक पर है. 2018 विधानसभा चुनाव में जहां बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाकों ने बीजेपी को सिरे से खारिज कर दिया था. वहीं, अब उन्हीं वोट बैंक को साधने की कवायद में भाजपा जुट गई है.

आदिवासी वोट पर दोनों दलों की नजर

छत्तीसगढ़ की विधानसभा में कुल 90 सीटों में से 29 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है, प्रदेश में 32 फ़ीसदी वोट आदिवासियों के हैं, ऐसे में दोनों ही पार्टियों का फोकस आदिवासी वोट बैंक की ओर ज्यादा नजर आ रहा है, 15 साल सत्ता में रही भाजपा को 2018 के चुनाव में आदिवासियों के 29 सीट में से मात्र 2 सीटें मिली. ऐसे में समीकरण अभी से तैयार किए जा रहे हैं ताकि आदिवासी वोटर्स (Tribal Voters) के सहारे बीजेपी की नैया पार लग सके.

चिंतन शिविर के सहारे बीजेपी का आदिवासी वोट पर फोकस
समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा चिंतन शिविर का आयोजन किया जाता रहा है. इससे पहले भी भाजपा ने चुनाव से पहले चिंतन शिविर का आयोजन किया. जिसका सकारात्मक परिणाम यह रहा कि भाजपा सत्ता काबिज करने में सफल रही. 2018 विधानसभा चुनाव में ज्यादातर आदिवासी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा. वर्तमान में 29 आदिवासी सीटों (Tribal Seats) में 27 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं, 2 सीटें भाजपा के पास हैं. दोनों ही पार्टियों को यह मालूम है कि सत्ता हासिल करना है तो आदिवासी वोट बैंक को साधना बेहद जरूरी है. इसी कवायद में दोनों पार्टियां जुट गई हैं.

राहुल गांधी भी टटोल सकते हैं आदिवासियों के नब्ज
प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट के साथ ही पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ प्रवास को लेकर भी चर्चाएं गर्म रहीं. प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने राहुल गांधी को प्रदेश में आने का निमंत्रण दिया था. जिस पर राहुल गांधी ने सहमति भी प्रदान कर दी थी. कार्यक्रम की रूपरेखा को लेकर भी पार्टी स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गई थीं. सूत्रों के मुताबिक गांधी का दौरा बस्तर क्षेत्र में ही प्रस्तावित है. क्षेत्र में जाकर राहुल गांधी प्रदेश सरकार की उन योजनाओं का जायजा लेंगे जो आदिवासियों, ग्रामीणों और किसानों के लिए संचालित की जा रही हैं. राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह दौरा कार्यक्रम भी आदिवासी वर्ग को साधने के लिए किया जाएगा. भले ही अभी विधानसभा चुनाव होने में 2 साल का वक्त शेष है लेकिन दोनों ही बड़ी पार्टियां आदिवासी वोट बैंक (Tribal Vote Bank) को साधने में कोई कोर-कसर छोड़ने के मूड में नही हैं.

रायपुरः छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 (Assembly Election 2023) को लेकर भाजपा और कांग्रेस (BJP And Congress) ने अपनी चुनावी रणनीतियां (Electoral Strategies) बनानी शुरू कर दी है. दोनों ही पार्टियां चुनाव से पहले आदिवासी वोटरों (Tribal Voters) को साधने का प्रयास कर रही हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) आज बस्तर दौरे थे. उन्होंने मुरिया दरबार में आदिवासीयों के बीच शामिल होकर उनकी समस्याओं को सुना.

आदिवासी वोट का सियासी समीकरण

वहीं, आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी का चिंतन शिविर सरगुजा में प्रस्तावित है. छतीसगढ़ में 32 प्रतिशत आदिवासी वोटर हैं. दोनों ही पार्टियां इन वोटरों को अपने पाले में कर दोबारा सत्ता में आना चाहती हैं. छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासियों को साधने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए पार्टी बस्तर के बाद अब सरगुजा में चिंतन शिविर (Contemplation Camp) आयोजित करने वाली है. इस शिविर में आदिवासियों के धर्मांतरण (Conversion Of Tribals) समेत उनकी आर्थिक स्थिति (Economic Condition) और नेतृत्व के मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी.

2018 के विधानसभा चुनाव में बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य (Tribal Majority) इलाके में बीजेपी का पूरी तरह से सफाया हो गया था. हालांकि छत्तीसगढ़ में चुनाव होने में अभी 2 साल से ज्यादा का वक्त है लेकिन बीजेपी की नजर इस वक्त आदिवासी वोट बैंक पर है. 2018 विधानसभा चुनाव में जहां बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाकों ने बीजेपी को सिरे से खारिज कर दिया था. वहीं, अब उन्हीं वोट बैंक को साधने की कवायद में भाजपा जुट गई है.

आदिवासी वोट पर दोनों दलों की नजर

छत्तीसगढ़ की विधानसभा में कुल 90 सीटों में से 29 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है, प्रदेश में 32 फ़ीसदी वोट आदिवासियों के हैं, ऐसे में दोनों ही पार्टियों का फोकस आदिवासी वोट बैंक की ओर ज्यादा नजर आ रहा है, 15 साल सत्ता में रही भाजपा को 2018 के चुनाव में आदिवासियों के 29 सीट में से मात्र 2 सीटें मिली. ऐसे में समीकरण अभी से तैयार किए जा रहे हैं ताकि आदिवासी वोटर्स (Tribal Voters) के सहारे बीजेपी की नैया पार लग सके.

चिंतन शिविर के सहारे बीजेपी का आदिवासी वोट पर फोकस
समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा चिंतन शिविर का आयोजन किया जाता रहा है. इससे पहले भी भाजपा ने चुनाव से पहले चिंतन शिविर का आयोजन किया. जिसका सकारात्मक परिणाम यह रहा कि भाजपा सत्ता काबिज करने में सफल रही. 2018 विधानसभा चुनाव में ज्यादातर आदिवासी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा. वर्तमान में 29 आदिवासी सीटों (Tribal Seats) में 27 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं, 2 सीटें भाजपा के पास हैं. दोनों ही पार्टियों को यह मालूम है कि सत्ता हासिल करना है तो आदिवासी वोट बैंक को साधना बेहद जरूरी है. इसी कवायद में दोनों पार्टियां जुट गई हैं.

राहुल गांधी भी टटोल सकते हैं आदिवासियों के नब्ज
प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट के साथ ही पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ प्रवास को लेकर भी चर्चाएं गर्म रहीं. प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने राहुल गांधी को प्रदेश में आने का निमंत्रण दिया था. जिस पर राहुल गांधी ने सहमति भी प्रदान कर दी थी. कार्यक्रम की रूपरेखा को लेकर भी पार्टी स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गई थीं. सूत्रों के मुताबिक गांधी का दौरा बस्तर क्षेत्र में ही प्रस्तावित है. क्षेत्र में जाकर राहुल गांधी प्रदेश सरकार की उन योजनाओं का जायजा लेंगे जो आदिवासियों, ग्रामीणों और किसानों के लिए संचालित की जा रही हैं. राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह दौरा कार्यक्रम भी आदिवासी वर्ग को साधने के लिए किया जाएगा. भले ही अभी विधानसभा चुनाव होने में 2 साल का वक्त शेष है लेकिन दोनों ही बड़ी पार्टियां आदिवासी वोट बैंक (Tribal Vote Bank) को साधने में कोई कोर-कसर छोड़ने के मूड में नही हैं.

Last Updated : Oct 17, 2021, 10:02 PM IST
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