गरियाबंद : राजिम में छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वन गमन पथ विकास योजना (Ramavangaman path of Rajim) के तहत काम शुरू कर दिया है. यहां भगवान राम से जुड़ी कलाकृतियां, भित्ति चित्र, स्वागत द्वार के निर्माण की तैयारियां है. विशेष मूर्तियां बनाने राजस्थान से लाल पत्थर मंगाए गए हैं. राजिम में प्रवेश करते ही दो भव्य स्वागत द्वार बनाए जा रहे हैं. जिसके ऊपर प्रभु श्री राम के धनुष की आकृति का निर्माण होगा.
राजिम में राम वन गमन पथ की तैयारी : इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण निर्माण धर्मशाला का होगा. दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु इसमें रुक सकेंगे. रांजिम में राम वन गमन पथ के लिए सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लक्ष्मण झूला है. पैरी सोडून और महानदी के संगम स्थल (Confluence of Parry Sodoon and Mahanadi) पर बीच में बने कुलेश्वर मंदिर तक पहुंचने इस लक्ष्मण झूले का निर्माण किया गया है.
17 करोड़ होंगे खर्च : योजना के तहत राजिम में इसके लिए सत्रह करोड़ रुपए खर्च होने हैं . जिनमें से पहले चरण के रूप में 6 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं. सबसे पहले धर्मशाला निर्माण किया जा रहा है. राम वन गमन पथ के तहत किए जा रहे निर्माण कार्यों को देख कर राजिम के लोग बेहद खुश हैं रामभक्त इसे लेकर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की खूब सराहना कर रहे हैं .
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ऐसी मान्यता है कि राजिम के त्रिवेणी संगम में वन गमन काल के दौरान माता सीता ने रेत से पंचमुखी शिवलिंग का निर्माण किया था. जहां बाद में कुलेश्वर मंदिर का निर्माण किया गया. वहीं एक मान्यता यह भी है कि राजिम में ही प्रभु श्री राम को उनके पिता दशरथ के निधन की सूचना मिली थी. जिस पर त्रिवेणी संगम में उन्होंने पिंडदान किया था. राजिम में एक 40 साल पुराना टीन का नक्शा भी है. जिसमें अयोध्या से लेकर श्रीलंका जाने तथा वापस आने तक श्री राम के वन गमन रास्ते का पूरा उल्लेख सचित्र रूप से किया गया है.