रायपुर : हाल ही में भूपेश बघेल ने आम जनता की सहूलियत के लिए प्रशासनिक इकाईयों के विकेन्द्रीकरण के अपने वायदे को आगे बढ़ाते हुए खैरागढ़-छुईखदान-गंडई को नया जिला बनाने की घोषणा की है. यह नया जिला छत्तीसगढ़ राज्य का 33वां जिला (Khairagarh thirty three district of Chhattisgarh ) होगा. दरअसल सत्ता में काबिज होने के बाद कांग्रेस सरकार एक के बाद एक नए जिलों की घोषणा कर रही है. अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस बचे हुए डेढ़ साल में 36 जिले बना सकती है. यानी 36 गढ़ के नाम से जाने जाने वाले प्रदेश को 36 जिलों के नाम से भी जाना जाएगा.
36 गढ़ में 36 जिला बनाने सुगबुगाहट हुई तेज : वरिष्ठ पत्रकार रामावतार तिवारी का कहना है ''जिस तरह भूपेश सरकार एक के बाद एक जिले बना रही है, उससे साफ जाहिर है कि आने वाले कुछ समय में ही 36 गढ़ में 36 जिले (Thirty six districts will be formed in Chhattisgarh) बनेंगे. हो सकता है कि इसको लेकर भी भूपेश सरकार ने तैयारी की हो. अब भी प्रदेश में कई ऐसी जगह है, जहां से पिछले कई वर्षों से लगातार जिला बनाए जाने की मांग उठ रही है. उन क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि और लोग समय-समय पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर नया जिला बनाए जाने की मांग भी कर चुके हैं.''
कहां-कहां जिला बनाने की मांग : जशपुर नगर में पत्थलगांव, कांकेर में अंतागढ़ और भानुप्रतापपुर को जिला बनाने की मांग करीब पांच वर्ष से की जा रही है. सुकमा के जगरगुंडा को जिला बनाने की मांग स्थानीय स्तर पर हुई है. सरगुजा संभाग में प्रतापपुर-वाड्रफनगर के साथ राजपुर और भाटापारा को भी जिला बनाने की मांग पुरजोर तरीके से की जा रही है. कोरबा जिला में शामिल कटघोरा को अलग जिला बनाने की मांग करीब 13 वर्षों से की जा रही है. भाटापारा को अलग जिला बनाने की मांग भी लंबे समय से हो रही है. पिछले महीने संपन्न हुए विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भाटापारा विधायक शिवरतन शर्मा ने इस संबंध में अशासकीय संकल्प भी पेश किया था, लेकिन प्रस्ताव पारित नहीं हो सका.
36 नहीं 360 बना लीजिए जिला : भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है ''अपने फायदे के लिए आप 36 गढ़ में 36 नहीं 360 जिले बना लीजिए , कितने भी जिले बना सकते हैं. लेकिन इससे जनता को क्या लाभ मिलेगा, इसके बारे में इनके पास कोई रोड मैप नहीं है. चुनाव जीतने के लिए 24 घंटे के अंदर जिला बनाने की घोषणा की गई. घोषणा करना आसान है. लेकिन वह धरातल पर कब काम करेगा. इसकी घोषणा भी भूपेश सरकार को करनी थी. 15 अगस्त 2021 को भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 4 नए जिले बनाए जाने की घोषणा की. लेकिन उसमें चार कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए हैं. परिसीमन नहीं हुआ. दावा आपत्ति नहीं बुलाई गई. प्रशासनिक अमला कब बैठेगा. लोगों को सुविधाएं कब मिलेगी. कहीं कोई रोड मैप इस सरकार के पास नहीं है. क्या नाम की तख्ती लगाने के लिए जिला बनाए गए हैं?''
36 गढ़ में बने 36 जिला, यह है एक कल्पना : कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना ''जिलों का गठन क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार होता है. खैरागढ़ को लंबे समय से जिला बनाने की मांग थी और वह इसके लिए डिजर्व भी करता था. इसके अलावा भी जो अन्य जिले बनाए गए हैं, उसका उद्देश्य यही है कि लोगों को प्रशासनिक काम में हो रही दिक्कतों को दूर किया जा सके.'' वहीं 36 गढ़ में 36 जिले बनाए जाने की बात पर सुशील आनंद शुक्ला का कहना है ''यह एक कल्पना है कि 36 गढ़ में 36 जिले बने. लेकिन अन्य जगहों पर जहां जिला बनाने की आवश्यकता होगी वहां सरकार निर्णय लेगी.''
कांग्रेस सरकार में कितने जिले : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) अपनी सरकार के सवा तीन साल के कार्यकाल के दौरान राज्य की जनता को 6 नए जिलों की सौगात दे चुके हैं. सत्ता की बागडोर संभालने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सबसे पहले गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को जिला ( District to Gaurela Pendra Marwahi) बनाया. 15 अगस्त 2021 को राज्य में 4 नए जिलों मोहला-मानपुर-चौकी, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर और सक्ती को जिला बनाए जाने की घोषणा की गई. चारों नए जिलों के गठन की अधिसूचना भी जारी हो चुकी है. भूपेश बघेल ने 16 अप्रैल 2022 को खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के परिणाम की घोषणा के तीन घंटे के बाद ही अपने वायदे के मुताबिक खैरागढ़ को नए जिले की सौगात दी. उन्होंने साल्हेवारा को पूर्ण तहसील और जालबांधा को उप तहसील बनाए जाने का ऐलान भी किया.
ये भी पढ़ें - छत्तीसगढ़ के नक्शे में शामिल होंगे 4 और नए जिले
नया जिला बनाने के क्या हैं लाभ : प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण छत्तीसगढ़ सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. इसका उद्देश्य आम आदमी की शासन-प्रशासन तक पहुंच को आसान बनाना है. प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण से लोगों के समय, श्रम और धन की बचत होगी. जिला बनने से प्रशासनिक काम-काज में कसावट आएगी और लोगों के शासकीय काम-काज सहजता से होंगे. सुदूर अंचल के लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने और उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाने में आसानी होगी. नए जिले के गठन से विकास की नई श्रृंखला शुरू होगी. नये जिले के गठन से अंचल में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं और बेहतर होगी.