रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के पहले कांग्रेस ने जन घोषणापत्र में 200 फूड पार्क बनाए जाने की बात कही थी. लेकिन शासन स्तर पर अबतक सिर्फ 10 फूड पार्क के निर्माण की मंजूरी मिल पाई है. साढ़े 3 साल में महज एक फूड पार्क ही बन पाया है. सुकमा में 5.900 हेक्टेयर पर फूडपार्क बनाने के लिए अधोसंरचना विकास कार्य पूरा हो गया (food park status in sukma ) है, जबकि 9 स्थानों पर प्रक्रिया चल रही है. सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है. लेकिन इसकी गति बेहद धीमी है. जबकि राहुल गांधी ने अमेठी में एक जनसभा में छत्तीसगढ़ के फूड पार्क बनाने के प्रयासों की तारीफ की थी. इसके बाद छत्तीसगढ़ में कुछ समय के लिए फूड पार्क राजनीति का केंद्र भी बना. बीजेपी ने कई सवाल उठाए तो कांग्रेस ने भी तीखा पलटवार किया. अब एक बार फिर छत्तीसगढ़ में फूड पार्क पर राजनीति गर्मा रही है. politics on food park in chhattisgarh
10 फूड पार्क को मिली मंजूरी, एक का काम लगभग पूरा: छत्तीसगढ़ में अबतक सिर्फ एक फूड पार्क का काम लगभग पूरा हो चुका है.
- सुकमा में 28 अगस्त 2019 को फूड पार्क की मंजूरी. अधोसंरचना विकास कार्य पूरा हुआ है.
- बस्तर के धुरागांव में 28 अगस्त 2019 को फूड पार्क की मंजूरी. यहां विकास कार्य शुरू नहीं हो सका है.
- सुकमा के पाकेला गांव में 2 सितंबर 2020 को फूड पार्क की मंजूरी. यहां टेंडर बुलाने की प्रक्रिया जारी है.
- सुकमा के ही फन्दीगुड़ा गांव में 9 सितंबर 2021 को फूड पार्क बनाने की स्वीकृति. यहां निविदा आमंत्रित करने की प्रक्रिया जारी है.
- सरगुजा के रिखी गांव में 20 सितंबर 2021 को फूड पार्क बनाने की अनुमति. अभिन्यास अनुमोदन (layout approval) के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. निविदा प्रक्रियाधीन है.
- जशपुरनगर में फरसाबहार में 14 जनवरी 2022 को फूड पार्क बनाने की स्वीकृति. यहां भी अभिन्यास अनुमोदन(layout approval) और निविदा प्रक्रियाधीन है
- सरगुजा के उलकिया गांव में 25 जनवरी 2022 को फूड पार्क की स्वीकृति. यहां अभिन्यास अनुमोदन (layout approval) के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. निविदा प्रक्रियाधीन है
- कांकेर के रामकृष्णपुर गांव में 14 फरवरी 2022 को फूड पार्क की स्वीकृति. यहां निविदा आमंत्रित करने की प्रक्रिया जारी है.
- राजनंदगांव के पांगरीखुर्द गांव में 14 फरवरी 2022 को फूड पार्क बनाने की स्वीकृति दी गई है. यहां अभिन्यास अनुमोदन(layout approval) के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. निविदा प्रक्रियाधीन है.
- सरगुजा केवरा गांव में 25 फरवरी 2022 को फूड पार्क बनाने की स्वीकृति दी गई थी. अभिन्यास अनुमोदन (layout approval) के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. निविदा प्रक्रियाधीन है.
(नोट आंकड़े जून 2022 की स्थिति में)
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 146 विकासखण्डों में से 110 विकासखण्ड में फूड पार्क की स्थापना के लिए भूमि का चिन्हांकन किया जा चुका है. 53 विकासखण्डों में 626.616 हेक्टेयर शासकीय भूमि का रकबा राजस्व विभाग से उद्योग विभाग को ट्रांसफर हुआ है. 51 विकासखंडों में भूमि कुल रकबा 610.546 हेक्टेयर का आधिपत्य मिल चुका है. इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 50 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है.
अजय चंद्राकर ने फूड पार्क पर कांग्रेस को घेरा: घोषणा पत्र में प्रदेश भर में 200 फूड पार्क बनाने की घोषणा पर बीजेपी विधायक एवं पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कांग्रेस को चैलेंज किया (Ajay Chandrakar allegation on Food Park ) है. चंद्राकर ने कहा कि ''कांग्रेसी अपना घोषणापत्र सामने रखे और चीफ सेक्रेटरी सहित सारा प्रशासन आ जाए. राहुल और प्रियंका गांधी के सामने मुख्यमंत्री से घोषणा पत्र पर बिंदुवार चर्चा कर लें, यदि वे अपने घोषणापत्र को उपलब्धि मानते हैं. छत्तीसगढ़ वन विभाग केंद्र सरकार के 51 करोड़ की राशि से पाटन में फॉरेस्ट प्रोडक्ट वैल्यू एडिशन उपक्रम खोलने जा रही है. अब लोग जंगल से पाटन प्रोडक्ट का वैल्यू एडिशन कराने इतना दूर आएंगे, इससे उनका ट्रांसपोर्ट का ही खर्चा बढ़ जाएगा.''
कांग्रेस की दलील: छत्तीसगढ़ कांग्रेस संचार विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि ''सभी ब्लॉकों में फूड पार्क बनाने की राज्य सरकार की योजना है. इसके लिए वित्तीय प्रावधान किया गया है. जगह का चयन किया जा चुका है. टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. लघु वनोपज के वैल्यू एडिशन का काम भी शुरू किया गया है. लगभग दो दर्जन ऐसी जगह है, जहां लघु वनोपज का वैल्यू एडिशन किया जा रहा है. फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जा रहे हैं.''
क्या कहते हैं राजनीति के जानकार : वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि '' कांग्रेस के द्वारा फूड पार्क बनाए जाने की घोषणा की गई थी. लेकिन वह धरातल पर दिख नहीं रही है. जिस गति से काम होना चाहिए, वह नहीं दिख रहा है. सरकार को चाहिए था कि प्रशासन का बेहतर उपयोग कर इसे जल्द शुरू किया जाता ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती. लोगों को रोजगार भी मिलता और वे आत्मनिर्भर बनते.''