रायपुर: छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार से गोमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत की गई. इसके 2 साल पहले गोबर खरीदी योजना भूपेश सरकार की तरफ से शुरू की गई थी. जिसे अब 2 साल पूरे हो गए हैं. गोधन न्याय योजना भी हरेली के दिन ही शुरू की गई थी. राज्य सरकार दोनों ही योजनाओं को किसानों ओर प्रदेशवासियों के लिए फायदेमंद योजना बता रही है. जबकि विपक्ष में बैठी भाजपा का कहना है कि सिर्फ नीति बनाने से नहीं बल्कि उसका क्रियान्वयन भी ठीक होना चाहिए तभी उसका लाभ मिलता है. इधर राजनीति के जानकार भूपेश बघेल की इस योजना को छत्तीसगढ़ के लिए लाभदायक बता रहे हैं क्योंकि इसका लाभ न सिर्फ कृषि कार्य करने वालों को बल्कि पशुपालकों और पशु चराने वालों को भी मिल रहा है. (politics on cow urine purchase scheme in chhattisgarh)
5 लीटर गौमूत्र 20 रुपये में बेचकर गौमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत: छत्तीसगढ़ में नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना, गोधन न्याय योजना, और रोका-छेका अभियान लागू कर पारंपरिक संसाधनों को पुनर्जीवित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा रहा है. गौठानों को ग्रामीण आजीविका केंद्र के रूप में विकसित किया गया है. इसी कड़ी में हरेली के दिन से गौठानों में 4 रुपये प्रति लीटर की दर से गौमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत की गई है.
गौमूत्र खरीदी योजना का प्रदेशवासियों को मिलेगा जबरदस्त फायदा: सीएम बघेल
किसान और पशुपालक उत्साहित: इस योजना को लेकर कृषकों और पशुपालकों में काफी उत्साह का माहौल है. इस गौमूत्र से कीटनाशक सहित अन्य चीजें बनाई जा रही है. इस नाशक का नाम ब्रह्मास्त्र दिया गया है. इसे बनाने में गौमूत्र, नीम पत्ती सहित कुछ अन्य पत्तियों का इस्तेमाल किया गया है. यह काम महिला स्व सहायता समूह की तरफ से किया जा रहा है. इससे इनकी आय का स्त्रोत बढ़ेगा जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी. इस काम में जुटे महिला स्वसहायता समूह और कृषक भी योजना के शुरू किए जाने से काफी खुश नजर आ रहे हैं.
अनूठी गौमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देश की अपनी तरह की पहली और अनूठी गौमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत की. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश के पहले गौमूत्र विक्रेता बने. निधि स्व सहायता समूह, चंदखुरी को सीएम भूपेश बघेल ने गौमूत्र बेचा है. इस दौरान सीएम भूपेश को 5 लीटर गौमूत्र बेचने पर 20 रुपए की आमदनी हुई. इसके बाद विक्रय रजिस्टर पर मुख्यमंत्री ने हस्ताक्षर किए. इस योजना की मदद से प्रदेश में जैविक खेती और आर्थिक सशक्तिकरण के नए अध्याय की शुरुआत हुई.
हरेली तिहार पर सीएम बघेल का छत्तीसगढ़िया अंदाज
छत्तीसगढ़वासियों को मिलेगा लाभ: इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी को हरेली पर्व की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा "2 साल पहले हमने गौधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी शुरू की थी और आज गौमूत्र खरीदी योजना की शुरुआत किए हैं. इसका लाभ प्रदेश वासियों को जबरदस्त मिलेगा."
मनरेगा मजदूरों से भी कम कमाई: इस योजना को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है "नीति आपकी कितनी भी अच्छी हो लेकिन क्रियान्वयन सही तरीके से होना चाहिए. तभी उसका लाभ मिलता है.दो सालों से गोबर खरीदी की जा रही है, लेकिन उसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. विधानसभा में पूछा गया कि योजना शुरू करने के बाद गोबर खरीदी से कितने लोगों को लाभ मिला है तो जो जानकारी मिली है उसके अनुसार मनरेगा के मजदूरों से भी कम कमाई गोबर खरीदी से हो रही है."
पुरंदेश्वरी ने लगाया गोबर खरीदी में बड़ा घोटाले का आरोप: भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने कहा "सभी को पता है कि गोबर खरीदी में कितना घोटाला हुआ है. अब दूसरे घोटाले की तैयारी है.
गोधन और गौमूत्र योजना काफी अच्छी: विपक्ष कुछ भी कहे लेकिन जानकार गोधन और गौमूत्र योजना का काफी अच्छा बता रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है "गोबर खरीदी की योजना पूरे देश में अपने आप में एक अनोखी योजना है. इसका अच्छा प्रतिसाद भी प्रदेश में मिल रहा है. यह जरूर है कि कई बार अच्छी योजनाओं में भी कुछ खामियां रह जाती है जिस वजह से विवाद की स्थिति बनती है लेकिन बड़ी योजनाओं में छोटी-मोटी परेशानियां आती ही है. सरकार को उन्हें दूर करते हुए पारदर्शिता के साथ सुव्यवस्थित ढंग से योजना संचालित करनी चाहिए."
तिवारी ने कहा "इस योजना का लाभ भी मिलता नजर आ रहा है. यही वजह है कि यह योजना ना सिर्फ सरकार के लिए फायदेमंद है. बल्कि कांग्रेस को भी इसका फायदा मिल रहा है . इस योजना की चर्चा ना सिर्फ छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे देश में हो रही है. उसके बाद अब एक कदम आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौमूत्र खरीदी योजना शुरू की है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस योजना का भी अच्छा लाभ आने वाले समय में प्रदेशवासियों को मिलेगा. यदि यह योजना भी सफलतापूर्वक संचालित हुई तो कांग्रेस के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा और कांग्रेस की जड़ प्रदेश में और मजबूत होगी.
आइए जानते है दो साल में गोधन न्याय योजना से कितना हुआ लाभ:
अब तक कितना भुगतान: गोबर खरीदी योजना शुरू करने से लेकर 15 जुलाई 2022 तक 153.44 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. इसी तरह योजना के तहत अब तक गौठान समितियों और महिला स्व सहायता समूहों को 147.99 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
गोधन न्याय योजना के दो साल होने पर 48वीं किश्त का भुगतान: गोधन न्याय योजान की दूसरी सालगिरह पर 20 जुलाई को गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों के खाते में 48वीं किश्त की राशि के रूप में 7 करोड़ 48 लाख रुपये की राशि का ऑनलाइन भुगतान किया गया. गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों के खाते में अंतरित की गई राशि में एक जुलाई से 15 जुलाई तक राज्य के गौठानों में पशुपालकों, ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय किए गए गोबर के एवज में 2.69 करोड़ रुपये भुगतान, गौठान समितियों को 2.88 करोड़ और महिला समूहों को 1.91 करोड़ रुपये की लाभांश राशि का भुगतान शामिल है.
बोनस भी कमा रही महिलाएं: महिला स्व-सहायता समूहों और सहकारी समितियों को वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय पर बोनस दिया जा रहा है. महिला समूहों को प्रति किलो वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय पर 1 रुपए और सहकारी समितियों को 10 पैसे का बोनस मिलेगा. 7 जुलाई 2022 तक बिक चुके कम्पोस्ट के लिए महिला समूहों को बोनस के रूप में 17 करोड़ 64 लाख रुपये और सहकारी समितियों को 01 करोड़ 76 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी.
गौठानों में संचालित विभिन्न आजीविका गतिविधियों से 13 हजार 969 स्व सहायता समूहों को अब तक 74 करोड़ 68 लाख रुपए की आय हो चुकी है. गोधन न्याय योजना के अंतर्गत ही गौठानों में तेल मिल और दाल मिल जैसी प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की जा रही है. राज्य के गौठानों 227 तेल मिलों और 251 दाल मिलों की स्थापना की जा रही है. इनमें से 86 तेल मिल और 134 दाल मिल स्थापित की जा चुकी हैं.
इस योजना से ग्रामीणों, पशुपालकों, महिला समूहों को आय और रोजगार का नया साधन मिला है. योजना के तहत अब तक 8 हजार 408 गौठान निर्मित किए गए हैं, लगभग 1456 गौठान एसे है, जहां 30 क्विंटल से अधिक गोबर की खरीदी 01 से 15 जुलाई तक की गई है.
दस हजार से ज्यादा गौठानों को स्वीकृति: राज्य में अब तक 10,624 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8401 गौठान निर्मित एवं 1779 गौठान निर्माणाधीन है.
भूमिहीन परिवारों को मिल रहा लाभ: गोधन न्याय योजना से 2 लाख 11 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं. इसमें से गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45.97 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है.इस योजना से एक लाख 33 हजार से ज्यादा भूमिहीन परिवार लाभान्वित हो रहे हैं.
महिला समूहों को गौठानों से अब तक 72 करोड़ 19 लाख रुपए की हुई आय: महिला समूहों द्वारा 16 लाख 43 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और 5 लाख 14 हजार क्विंटल से ज्यादा सुपर कम्पोस्ट एवं 18 हजार 924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है. महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां आदि को बेचकर फायदा कमा रही हैं.
गौठानों से अतिरिक्त आय की भी हो रही है प्राप्ति: गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी, मशरूम उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है. जिससे महिला समूहों को अब तक 72 करोड़ 19 लाख रूपए की आय हो चुकी हैं. साथ ही प्रदेश में गौठानों से 13,969 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 82,874 है.
रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में गौठानों को किया जा रहा विकसित: गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की शुरुआत भी रायपुर के हीरापुर जरवाय गौठान में हो चुकी है. इस योजना को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गौठानों को रूरल इण्डस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है. यहां आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए तेजी से कृषि एवं वनोपज आधारित इकाईयां स्थापित की जा रही हैं. जिससे प्रदेश में गोधन के संरक्षण और सर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है. गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार और चारे-पानी का निःशुल्क बेहतर प्रबंध है.