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Pola Amavasya 2022 पोला पर्व को लेकर रायपुर में बाजार सजा लेकिन रौनक गायब

रायपुर में पोला अमावस्या को लेकर बाजार में खूबसूरत मिट्टी और लकड़ी के खिलौने सज गए हैं. इस बार कुम्हारों को अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है.

Pola Amavasya 2022
पोला अमावस्या 2022
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Published : Aug 26, 2022, 7:38 AM IST

Updated : Aug 26, 2022, 8:20 AM IST

रायपुर: पोला का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा. जिसके लिए बाजार भी पूरी तरह से सज गया है. लेकिन इस बाजार से रौनक गायब है. बीते 2 सालों तक कोरोना की वजह से सभी तरह के पर्व और त्योहार प्रभावित हुए थे लेकिन इस बार मिट्टी और लकड़ी के खिलौने बेचने वाले दुकानदारों को अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है. अभी तक इन दुकानों में गिने चुने ग्राहक पोला पर्व के लिए खिलौने खरीद रहे हैं. हालांकि दुकानदारों को उम्मीद है कि अच्छी ग्राहकी होगी. बात अगर महंगाई की करें तो लकड़ी के बने बैल की कीमत में थोड़ी सी बढ़ोतरी हुई है लेकिन मिट्टी के खिलौने में किसी तरह का महंगाई का असर देखने को नहीं मिला है.Pola Amavasya 2022

पोला अमावस्या 2022

मिट्टी से बनाए गए खिलौनों का मेहनत के हिसाब से नहीं मिलती मजदूरी: पोला पर्व को लेकर कुम्हार परिवारों ने इस बार मिट्टी के खिलौने और मिट्टी के बने रंग-बिरंगे बैल बाजार में लेकर आए हैं. राजधानी में सजे इस बाजार में एक जोड़ी मिट्टी का बैल 60 रुपये से लेकर 100 रुपये जोड़ी तक बिक रहा है. मिट्टी के खिलौने बनाने वाले कुम्हारों ने बताया "मिट्टी के खिलौने बनाने में काफी मेहनत लगता है. मिट्टी खरीदनी पड़ती है. रंग खरीदना पड़ता है. कई कच्ची सामग्री खरीदनी होती है. जिसके दाम भी पहले की तुलना में काफी बढ़ गए हैं. लेकिन मिट्टी के बने बैल और खिलौनों के दाम में किसी तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. जिसको लेकर थोड़ी मायूसी है. "Pola festival in Raipur

Pola festival in Raipur
ग्राहक के इंतजात में दुकानदार

Ganesh Chaturthi Puja गणेश चतुर्थी पंचांग के अनुसार कीजिए बप्पा की स्थापना

लकड़ी से बने बैल के दाम में दिखा महंगाई का असर: लकड़ी के बैल बेचने वाले अमन वासुदेव बताते हैं " पिछले साल की तुलना में इस बार 1 जोड़ी बैल की कीमत में लगभग 20 रुपये का इजाफा हुआ है. लेकिन ग्राहकी अभी नहीं के बराबर है. उम्मीद की जा रही है कि ग्राहकी बढ़ेगी." Raipur market for pola

Pola festival in Raipur
मिट्टी के कुछ खिलौने लेकर बैठी महिला

पोला पर्व क्यों मनाया जाता है: पोला पर्व मनाने के पीछे यह मान्यता है कि भारत देश कृषि प्रधान देश है यहां कृषि को अच्छा बनाने में मवेशियों का विशेष योगदान होता है. भारत देश में इन मवेशियों की पूजा की जाती है. पोला का त्यौहार उन्हीं में से एक है. पोला पर्व के दिन कृषक गाय बैलों की पूजा करते हैं. पोला पर्व खासतौर पर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. पोला पर्व के दिन बच्चे मिट्टी और लकड़ी के बने खिलौनों की पूजा पाठ होने के बाद इन खिलौनों से खेलते हैं. मिट्टी और लकड़ी के बने बैल को बच्चे रस्सी से बांधकर खींचकर चलाते हैं. Pola Amavasya 2022

रायपुर: पोला का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा. जिसके लिए बाजार भी पूरी तरह से सज गया है. लेकिन इस बाजार से रौनक गायब है. बीते 2 सालों तक कोरोना की वजह से सभी तरह के पर्व और त्योहार प्रभावित हुए थे लेकिन इस बार मिट्टी और लकड़ी के खिलौने बेचने वाले दुकानदारों को अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है. अभी तक इन दुकानों में गिने चुने ग्राहक पोला पर्व के लिए खिलौने खरीद रहे हैं. हालांकि दुकानदारों को उम्मीद है कि अच्छी ग्राहकी होगी. बात अगर महंगाई की करें तो लकड़ी के बने बैल की कीमत में थोड़ी सी बढ़ोतरी हुई है लेकिन मिट्टी के खिलौने में किसी तरह का महंगाई का असर देखने को नहीं मिला है.Pola Amavasya 2022

पोला अमावस्या 2022

मिट्टी से बनाए गए खिलौनों का मेहनत के हिसाब से नहीं मिलती मजदूरी: पोला पर्व को लेकर कुम्हार परिवारों ने इस बार मिट्टी के खिलौने और मिट्टी के बने रंग-बिरंगे बैल बाजार में लेकर आए हैं. राजधानी में सजे इस बाजार में एक जोड़ी मिट्टी का बैल 60 रुपये से लेकर 100 रुपये जोड़ी तक बिक रहा है. मिट्टी के खिलौने बनाने वाले कुम्हारों ने बताया "मिट्टी के खिलौने बनाने में काफी मेहनत लगता है. मिट्टी खरीदनी पड़ती है. रंग खरीदना पड़ता है. कई कच्ची सामग्री खरीदनी होती है. जिसके दाम भी पहले की तुलना में काफी बढ़ गए हैं. लेकिन मिट्टी के बने बैल और खिलौनों के दाम में किसी तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. जिसको लेकर थोड़ी मायूसी है. "Pola festival in Raipur

Pola festival in Raipur
ग्राहक के इंतजात में दुकानदार

Ganesh Chaturthi Puja गणेश चतुर्थी पंचांग के अनुसार कीजिए बप्पा की स्थापना

लकड़ी से बने बैल के दाम में दिखा महंगाई का असर: लकड़ी के बैल बेचने वाले अमन वासुदेव बताते हैं " पिछले साल की तुलना में इस बार 1 जोड़ी बैल की कीमत में लगभग 20 रुपये का इजाफा हुआ है. लेकिन ग्राहकी अभी नहीं के बराबर है. उम्मीद की जा रही है कि ग्राहकी बढ़ेगी." Raipur market for pola

Pola festival in Raipur
मिट्टी के कुछ खिलौने लेकर बैठी महिला

पोला पर्व क्यों मनाया जाता है: पोला पर्व मनाने के पीछे यह मान्यता है कि भारत देश कृषि प्रधान देश है यहां कृषि को अच्छा बनाने में मवेशियों का विशेष योगदान होता है. भारत देश में इन मवेशियों की पूजा की जाती है. पोला का त्यौहार उन्हीं में से एक है. पोला पर्व के दिन कृषक गाय बैलों की पूजा करते हैं. पोला पर्व खासतौर पर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. पोला पर्व के दिन बच्चे मिट्टी और लकड़ी के बने खिलौनों की पूजा पाठ होने के बाद इन खिलौनों से खेलते हैं. मिट्टी और लकड़ी के बने बैल को बच्चे रस्सी से बांधकर खींचकर चलाते हैं. Pola Amavasya 2022

Last Updated : Aug 26, 2022, 8:20 AM IST
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