रायपुरः 50 करोड़ की लागत से अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल (Interstate Bus Terminal) का निर्माण (Construction) कराया गया है. हाल ही में 20 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस टर्मिनल का लोकार्पण (launch) जोर-शोर से किया था. उसके बाद 1 सितंबर को यात्री बसों का संचालन (Operation) शुरू होने वाला था लेकिन वह टल कर 10 सितंबर हो गया.
मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते यात्री बसों का संचालन इंटर स्टेट बस टर्मिनल (Inter State Bus Terminal) भाठागांव से शुरू नहीं हो पाया है. अंतर राज्य बस टर्मिनल के लोकार्पण के बाद से ही अब नगर निगम (Municipal council) और जिला प्रशासन (district administration) की कमियां सामने आ रही है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री के हाथों वाह-वाही लूटने में अधिकारी और जनप्रतिनिधियों (public representatives) ने इसका लोकार्पण (launch) करा दिया लेकिन मूलभूत सुविधाओं (basic amenities) की व्यवस्था ही नहीं की. जिसकी वजह के इसका संचालन नहीं हो पाया.
ईटीवी भारत ने नवनिर्मित (newly built) बस टर्मिनल पर पहुंचकर, करोड़ों रुपए की लागत से तैयार अंतर राज्य बस टर्मिनल में कई अव्यवस्थाएं व्याप्त देखाई. बस टर्मिनल का लोकार्पण तो कर दिया गया है लेकिन वहां बस आपरेटरों के लिए रिपेयरिंग की दुकान (Shop), ऑटो (auto), स्टैंड (stand), शौचालय (toilet), मेडिकल (Medical) जैसी सुविधाएं अभी भी नदारद हैं.
बस टर्मिनल के प्रवेश में ही पानी का हो रहा भराव
अंतर राज्य बस टर्मिनल में बस के संचालन से पहले कई दिक्कतें सामने आ रही हैं. थोड़ी तेज बारिश के बाद ही अंतर राज्य बस टर्मिनल में जल-भराव जैसी स्थिति निर्मित हो रही है. इसका कारण है कि थोड़ी ही बारिश में जल-भराव हो जाता है और सही जगह पर ढाल नहीं देने के कारण पानी का भराव हो रहा है.
मुसीबत बने भाठागांव रिंग सर्विस रोड पर बिजली के खम्भे
अंतर राज्य बस टर्मिनल की बसों के आने जाने के लिए रिंग रोड की दोनों सर्विस जोड़ों का इस्तेमाल होना है. ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से सड़कों के ट्रैफिक को लेकर ध्यान नहीं दिया गया. रिंग रोड (ring road) की दोनों सर्विस रोड (service road) के पास बड़ी संख्या में बिजली के खंभे (electric poles) मौजूद हैं जिन्हें हटाया नहीं गया है. इसके अलावा सर्विस रोड में कई दुकानदारों ने कब्जा कर रखा है जिसे हटाने को लेकर भी काम नहीं हो पाया.
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मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी
नगर निगम के उपनेता प्रतिपक्ष मनोज वर्मा का कहना है नए अंतरराज्यीय बस टर्मिनल में जब मूलभूत सुविधाएं ही नहीं है तो आनन-फानन में इसका उद्घाटन क्यों किया गया. अगर उद्घाटन करना ही था तो पिछले डेढ़ साल से महापौर बने हैं. उन्होंने एक बार भी जरूरत नहीं समझी कि वह बस स्टैंड आकर देखें और उन कमियों को दूर कर लोकार्पण करना था. बस स्टैंड संचालित करने के लिए वहां जरूरत की चीजें भी आवश्यक हैं. वहां मूलभूत व्यवस्था ही नहीं है. केवल वहां बिल्डिंग स्ट्रक्चर (building structure) तैयार कर दिया गया. नगर निगम ने कहा था कि 10 सितंबर से बस स्टैंड में यात्री बस संचालन हो जाएगी लेकिन आज तक नहीं हो पाई है.
बस स्टैंड के शिफ्टिंग तक संचालन मुश्किल
नगर निगम सभापति और छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के संरक्षक प्रमोद दुबे का कहना है कि जब तक पूरे बस स्टैंड को नए बस स्टैंड भाठागांव में शिफ्ट (shift) नहीं किया जाता, तब तक वहां बस का संचालन करना कठिन है. अगर कोई बस पंचर हो जाती है तो वहां पंचर बनाने की दुकान नहीं है. बसों के रिपेयरिंग के लिए दुकान ही नहीं है. सर्विस रोड में भी बिजली के खंभे मौजूद हैं. जिसे विस्थापित करना बहुत जरूरी है. नहीं तो आने वाले दिनों में दुर्घटना होने की संभावनाएं हैं. और जो मूलभूत सुविधाएं होती हैं, जो 1 यात्रियों को चाहिए वह नहीं हो पाई हैं. दुबे ने कहा कि जो चीजें पिछले 3 महीनों में ही हो जानी चाहिए थीं, उसे अभी किया जा रहा है. ऐसे में उस प्रक्रिया को समय लगेगा.
अफसरों में कम्युनिकेशन गैप
मुख्यमंत्री से हुए लोकार्पण के बाद बस स्टैंड के संचालन में हो रही लेट-लतीफी को लेकर प्रमोद दुबे का कहना है , अफसरों के कम्युनिकेशन गैप (communication gap) के कारण यह चीजें हो रही हैं. कहा कि अगर सारी व्यवस्थाएं होतीं और उसके बाद लोकार्पण किया जाता. बहुत सारी दिक्कतें हैं उन सभी को दूर करने के लिए अधिकारियों को कहा गया है.
गंभीर नहीं हैं जिम्मेदार अधिकारी
प्रमोद दुबे का कहना है कि जो व्यवस्था लागू करने को अफसरों ने गंभीरता से नहीं लिया. अगर अफसर इन चीजों को गंभीरता से लेतेक तो एक-एक करके बात की जाती तो सभी चीजों का निराकरण करते. इसमें ज्यादा समय नहीं लगता. बहरहाल अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही और अनियमितताओं के कारण 50 करोड़ की लागत से तैयार किए गए अंतर राज्य बस टर्मिनल से बसों का संचालन शुरू करवाना टेढ़ी खीर बन गया है. एक ओर बस संचालक मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर अभी भी नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन अपनी नीतियों के क्रियान्वयन को लेकर काम नहीं कर पा रहा है.