रायपुर: एलएसडी प्रभारी डॉ शर्तिया ने बताया कि " लंपी वायरस की आशंका को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग का मैदानी अमला अलर्ट मोड में है. लगातार गांवों का भ्रमण कर पशुओं को लंपी रोग से बचाव की जानकारी दी जा रही है. राज्य में पशु टीकाकरण का काम लगातार जारी है. राज्य में 8.20 लाख पशु टीकाकरण का लक्ष्य है. अब तक 3.67 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है." lumpi virus in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में पशु टीकाकरण जारी: एलएसडी प्रभारी डॉ शर्तिया ने बताया " देश के कई राज्यों में पशुओं में लंपी स्कीन रोग का मामला आते ही छत्तीसगढ़ में पशुओं को इस रोग से बचाने के लिए एहतियात के तौर पर आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश जारी किए गए थे. छत्तीसगढ़ के 18 जिलों की सीमाएं अन्य राज्यों से जुड़ी हुई है, जहां से बीमार पशुओं के आवागमन पर रोक लगाने लिए 85 सीमावर्ती ग्रामों में चेक पोस्ट स्थापित कर निगरानी रखी जा रही है. इन गांवों में पशु मेला को प्रतिबंधित करने के साथ ही बिचौलियों पर भी निगाह रखी जा रही है."
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जानिए क्या होता है लम्पी वायरस: लंपी स्कीन डिसिज गाय और भैंस में फैलने वाला विषाणुजनित संक्रामक रोग है. इस रोग का मुख्य वाहक मच्छर, मक्खी और किलनी है, जिसके माध्यम से स्वस्थ पशुओं में यह संक्रमण फैलता है. रोगग्रस्त पशुओं में 2 से 3 दिन तक मध्यम बुखार का लक्षण मिलता है. इसके बाद प्रभावित पशुओं की चमड़ी में गोल गोल गांठें उभर आती है. लगातार बुखार होने के कारण पशुओं की खुराक पर विपरित प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन और भारसाधक पशुओं की कार्यक्षमता कम हो जाती है. रोगग्रस्त पशु दो से तीन सप्ताह में स्वस्थ हो जाते है. शारीरिक दुर्बलता के कारण दुग्ध उत्पादन कई सप्ताह तक प्रभावित होता है.
प्रदेश में अब तक लंपी रोग का कोई मामला सामने नहीं आया: एलएसडी प्रभारी डॉ शर्तिया ने बताया " प्रदेश में अब तक लंपी रोग का कोई मामला सामने नहीं आया है. एहतियात के तौर पर जिलों में पशु हाट बाजारों के आयोजन पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई है. सीमावर्ती ग्रामों में पशुओं को इस रोग के संक्रमण से बचाने के लिए गोट पास्क वैक्सीन द्वारा प्रतिबंधात्मक टीकाकरण किया जा रहा है.''
लंपी वायरस होने पर क्या करें: लंपी रोग से पशुओं के रोगग्रस्त होने की स्थिति में तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में औषधियों की व्यवस्था क्षेत्रीय संस्थाओं में की गई है. विषम परिस्थिति से निपटने के लिये जिलों में पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया गया है, ताकि गांवों के पशुओं में प्रतिबंधात्मक टीकाकरण का काम तेजी से किया जा सके. पशुओं के आवास में जीवाणु नाशक दवा का छिड़काव और पशुओं में जू कॉलनीनाशक दवा का छिड़काव की सलाह पशुपालकों को दी गई है, ताकि इस रोग पर नियंत्रण रखा जा सके.