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20 साल से 'वाइल्ड लाइफ क्राइम' रोकने की मुहिम चला रहीं मीतू गुप्ता - मीतू गुप्ता

देश भर में नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. नवरात्रि के मौके पर देवी शक्तियों की उपासना (worship) अलग-अलग रूपों में की जाती है. इस खास मौके पर ETV भारत छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा कार्यक्रम के तहत समाज और पर्यावरण के लिए यूनिक काम करने वाली महिलाओं से रूबरू करा रहा है. तो आज आप जानिए रायपुर की मीतू गुप्ता के बारे में. जो पिछले 20 सालों से वाइल्ड लाइफ क्राइम (wild life crime ) को रोकने पर लगातार काम कर रही हैं.

mitu gupta unique initiative saving wildlife
मीतू गुप्ता
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Published : Oct 10, 2021, 9:05 PM IST

Updated : Oct 11, 2021, 11:51 AM IST

रायपुरः नवरात्रि के इस खास मौके पर ETV भारत छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा कार्यक्रम के तहत ऐसी महिलाओं से रूबरू करा रहा है जो समाज के लिए बेहतर काम कर रही हैं. इसी कड़ी में हम रायपुर की मीतू गुप्ता से रूबरू करवा रहे हैं. जो पिछले 20 सालों से वाइल्ड लाइफ क्राइम को लेकर काम कर रही हैं. मीतू वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (wildlife conservation) में रिसर्च का काम करने के साथ ही वन्य प्राणियों (wild animals) के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने के लिए एक NGO भी चला रही हैं.

मीतू गुप्ता से खास बातचीत

सवालः आप कई सालों से वाइल्डलाइफ क्षेत्र में काम कर रही हैं. किस तरह का कार्य है?


जवाब- कभी सोचा नहीं था कि वाइल्ड लाइफ (wild life) को अपना कैरियर बनाऊंगी लेकिन वाइल्डलाइफ को लेकर इंटरेस्ट था. ग्रेजुएशन के बाद IFS सर्विस में जाने की सोची. बाद में फॉरेस्ट्री वाइल्ड लाइफ (forestry wild life) में एमएससी (M.Sc) की पढ़ाई की. जब एएमसी कर रही थी और फील्ड (Field) पर जाती थी, तभी समझ में आया कि जरूरी नहीं है कि आईएफएस (IFS) होने के बाद पोस्टिंग वाइल्ड लाइफ में (Posting in Wildlife) मिले. बाद में अपना एनजीओ बना कर वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (wildlife conservation) पर काम करना शुरू किया.

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मीतू गुप्ता

सवालः इस फील्ड में बहुत कम ही महिलाएं जाती हैं.आपने कैसे यहां आने का सोचा. अभी किस तरह से आप काम कर रही हैं?


जवाबः मेरा ज्यादातर काम वाइल्डलाइफ क्राइम नियंत्रण (Wildlife Crime Control) पर आधारित है. इस क्षेत्र में बहुत कम ही लोग जाते हैं. बहुत कम ही महिलाएं हैं, जो वाइल्ड लाइफ क्राइम पर काम कर रही हैं. शुरुआत से ही इंटरेस्ट था और हालात बनते गए. कहते हैं कि भाग्य आप को ले जाता है, जहां के लिए आप बने हो. इसलिए मैं वहां पहुंच गई और वाइल्डलाइफ क्राइम (wildlife crime) को लेकर काम शुरू किया. छत्तीसगढ़ के अलावा भारत के कई प्रदेशों में वाइल्ड लाइफ क्राइम (wild life crime) को लेकर काम किया. पुलिस और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट (Police and Forest Department) के साथ मिल कर कई तरह के गैंग को पकड़वाया है.

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हाथी के बच्चे के साथ मीतू गुप्ता

सवालः वाइल्ड लाइफ क्राइम में किस तरह की चीजें आती हैं?


जवाबः सबसे ज्यादा लोग शौकिया तौर पर शिकार करते हैं. कानून बनने के बाद भी लोग शौकिया तौर पर शिकार करने के लिए जंगलों की ओर जाते हैं. वहीं, वन्यजीवों का मांस खाने का चलन है. वन्यजीवों के खाल अंतर्राष्ट्रीय बाजारों (international markets) में भी बिक्री किए जाते हैं. जिसमें टाइगर का खाल (tiger skin), पैंगोलिन की तस्करी होती है. छत्तीसगढ़ में भी लगातार इस तरह के क्राइम हो रहे हैं और इस तरह के क्राइम करने वाले गैंग को पकड़ा गया है.

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वाइल्ड लाइफ क्राइम रोकने मीतू चला रही कई कार्यक्रम


सवालः आपने एजुकेशन कहां से हासिल की और किस तरह की आपकी यात्रा रही?


जवाबः नागपुर से माइक्रोबायोलॉजी में Bsc किया. 1998 में बिलासपुर आई और उस समय Msc की पढ़ाई की. मैं पहली स्टूडेंट थी जो वाइल्डलाइफ में एमएससी किया. यूनिवर्सिटी में थोड़ी दिक्कत हुई क्योंकि उस समय वाइल्डलाइफ के कोई गाइड नहीं थे लेकिन मैंने पढ़ाई की. शुरुआत से ही एक ललक थी कि वाइल्डलाइफ (wildlife) को नहीं छोड़ना है और गाइड मिले या ना मिले, इसे पूरा करना है. वाइल्ड लाइफ (wild life) की फील्ड में किस तरह से काम करना है? इसके लिए दिल्ली में बड़े ऑर्गेनाइजेशन (Organization) के साथ जुड़कर काम किया. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California) में एनवायरमेंटल लीडरशिप (environmental leadership) का कोर्स किया. उसके बाद सेंटियागो के जू सफारी पार्क में काम करने को अनुमति मिली. वहां काम किया. वहां से सीखा कि किस तरह से काम करना है.

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वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन पर कर रही काम
सवालः वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन को लेकर किस तरह का कार्य चल रहा है?

जवाबः मैं कंजर्वेशन रिसर्च पर कार्य कर रही हूं. जब तक रिसर्च नहीं है, फील्ड का डाटा नहीं है, तब तक कंजर्वेशन का कार्य अच्छे से नहीं हो पाता. ज्यादातर प्रोजेक्ट कंजर्वेशन रिसर्च बेस्ड होते हैं. उसी पर काम करती हूं.

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फोटोग्राफी का भी है शौक
सवालः एक महिला होकर इस तरह का काम कर पाना और अपने परिवार को मैनेज करना कितना मुश्किल है?


जवाबः पहले दिक्कतें होती थीं. लेकिन अब आदत हो गई. परिवार से वाइल्ड लाइफ सर्विसेज में कोई नहीं है. मैंने वाइल्ड लाइफ क्राइम (world life crime) रोकने पर काम शुरू किया. उस दौरान रात में आना, रेस्क्यू (rescue) के लिए गए हैं तो घर आने में देरी हो जाती थी. चुनौतियां थीं लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो गया.

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वाइल्ड लाइफ में बनाया करियर

सवालः इस नवरात्रि पर आप क्या संदेश देना चाहेंगी?


जवाबः महिलाएं जो भी सपने देखें, उसे पूरा करने के लिए जी-जान लगा दें. जिस दिन आप सपने देखेंगी और उड़ने की कोशिश करेंगी, फिर आपको कोई नहीं रोक पाएगा.

रायपुरः नवरात्रि के इस खास मौके पर ETV भारत छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा कार्यक्रम के तहत ऐसी महिलाओं से रूबरू करा रहा है जो समाज के लिए बेहतर काम कर रही हैं. इसी कड़ी में हम रायपुर की मीतू गुप्ता से रूबरू करवा रहे हैं. जो पिछले 20 सालों से वाइल्ड लाइफ क्राइम को लेकर काम कर रही हैं. मीतू वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (wildlife conservation) में रिसर्च का काम करने के साथ ही वन्य प्राणियों (wild animals) के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने के लिए एक NGO भी चला रही हैं.

मीतू गुप्ता से खास बातचीत

सवालः आप कई सालों से वाइल्डलाइफ क्षेत्र में काम कर रही हैं. किस तरह का कार्य है?


जवाब- कभी सोचा नहीं था कि वाइल्ड लाइफ (wild life) को अपना कैरियर बनाऊंगी लेकिन वाइल्डलाइफ को लेकर इंटरेस्ट था. ग्रेजुएशन के बाद IFS सर्विस में जाने की सोची. बाद में फॉरेस्ट्री वाइल्ड लाइफ (forestry wild life) में एमएससी (M.Sc) की पढ़ाई की. जब एएमसी कर रही थी और फील्ड (Field) पर जाती थी, तभी समझ में आया कि जरूरी नहीं है कि आईएफएस (IFS) होने के बाद पोस्टिंग वाइल्ड लाइफ में (Posting in Wildlife) मिले. बाद में अपना एनजीओ बना कर वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (wildlife conservation) पर काम करना शुरू किया.

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मीतू गुप्ता

सवालः इस फील्ड में बहुत कम ही महिलाएं जाती हैं.आपने कैसे यहां आने का सोचा. अभी किस तरह से आप काम कर रही हैं?


जवाबः मेरा ज्यादातर काम वाइल्डलाइफ क्राइम नियंत्रण (Wildlife Crime Control) पर आधारित है. इस क्षेत्र में बहुत कम ही लोग जाते हैं. बहुत कम ही महिलाएं हैं, जो वाइल्ड लाइफ क्राइम पर काम कर रही हैं. शुरुआत से ही इंटरेस्ट था और हालात बनते गए. कहते हैं कि भाग्य आप को ले जाता है, जहां के लिए आप बने हो. इसलिए मैं वहां पहुंच गई और वाइल्डलाइफ क्राइम (wildlife crime) को लेकर काम शुरू किया. छत्तीसगढ़ के अलावा भारत के कई प्रदेशों में वाइल्ड लाइफ क्राइम (wild life crime) को लेकर काम किया. पुलिस और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट (Police and Forest Department) के साथ मिल कर कई तरह के गैंग को पकड़वाया है.

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हाथी के बच्चे के साथ मीतू गुप्ता

सवालः वाइल्ड लाइफ क्राइम में किस तरह की चीजें आती हैं?


जवाबः सबसे ज्यादा लोग शौकिया तौर पर शिकार करते हैं. कानून बनने के बाद भी लोग शौकिया तौर पर शिकार करने के लिए जंगलों की ओर जाते हैं. वहीं, वन्यजीवों का मांस खाने का चलन है. वन्यजीवों के खाल अंतर्राष्ट्रीय बाजारों (international markets) में भी बिक्री किए जाते हैं. जिसमें टाइगर का खाल (tiger skin), पैंगोलिन की तस्करी होती है. छत्तीसगढ़ में भी लगातार इस तरह के क्राइम हो रहे हैं और इस तरह के क्राइम करने वाले गैंग को पकड़ा गया है.

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वाइल्ड लाइफ क्राइम रोकने मीतू चला रही कई कार्यक्रम


सवालः आपने एजुकेशन कहां से हासिल की और किस तरह की आपकी यात्रा रही?


जवाबः नागपुर से माइक्रोबायोलॉजी में Bsc किया. 1998 में बिलासपुर आई और उस समय Msc की पढ़ाई की. मैं पहली स्टूडेंट थी जो वाइल्डलाइफ में एमएससी किया. यूनिवर्सिटी में थोड़ी दिक्कत हुई क्योंकि उस समय वाइल्डलाइफ के कोई गाइड नहीं थे लेकिन मैंने पढ़ाई की. शुरुआत से ही एक ललक थी कि वाइल्डलाइफ (wildlife) को नहीं छोड़ना है और गाइड मिले या ना मिले, इसे पूरा करना है. वाइल्ड लाइफ (wild life) की फील्ड में किस तरह से काम करना है? इसके लिए दिल्ली में बड़े ऑर्गेनाइजेशन (Organization) के साथ जुड़कर काम किया. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California) में एनवायरमेंटल लीडरशिप (environmental leadership) का कोर्स किया. उसके बाद सेंटियागो के जू सफारी पार्क में काम करने को अनुमति मिली. वहां काम किया. वहां से सीखा कि किस तरह से काम करना है.

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वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन पर कर रही काम
सवालः वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन को लेकर किस तरह का कार्य चल रहा है?

जवाबः मैं कंजर्वेशन रिसर्च पर कार्य कर रही हूं. जब तक रिसर्च नहीं है, फील्ड का डाटा नहीं है, तब तक कंजर्वेशन का कार्य अच्छे से नहीं हो पाता. ज्यादातर प्रोजेक्ट कंजर्वेशन रिसर्च बेस्ड होते हैं. उसी पर काम करती हूं.

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फोटोग्राफी का भी है शौक
सवालः एक महिला होकर इस तरह का काम कर पाना और अपने परिवार को मैनेज करना कितना मुश्किल है?


जवाबः पहले दिक्कतें होती थीं. लेकिन अब आदत हो गई. परिवार से वाइल्ड लाइफ सर्विसेज में कोई नहीं है. मैंने वाइल्ड लाइफ क्राइम (world life crime) रोकने पर काम शुरू किया. उस दौरान रात में आना, रेस्क्यू (rescue) के लिए गए हैं तो घर आने में देरी हो जाती थी. चुनौतियां थीं लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो गया.

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वाइल्ड लाइफ में बनाया करियर

सवालः इस नवरात्रि पर आप क्या संदेश देना चाहेंगी?


जवाबः महिलाएं जो भी सपने देखें, उसे पूरा करने के लिए जी-जान लगा दें. जिस दिन आप सपने देखेंगी और उड़ने की कोशिश करेंगी, फिर आपको कोई नहीं रोक पाएगा.

Last Updated : Oct 11, 2021, 11:51 AM IST
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