रायपुर: छत्तीसगढ़िया सीएम भूपेश बघेल ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सहेजने में एक नया कदम उठाया है. उन्होंने मजदूर दिवस पर छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में भूपेश बघेल ने बोरे बांसी की खासियत बताई है. सीएम ने कहा कि 'पहली मई यानी श्रमिक दिवस के दिन हम सब बोरे बासी खाकर श्रम का सम्मान करेंगे और अपनी संस्कृति पर गर्व करेंगे'. (Appeal to eat Basi on Labor Day )
गजब विटामिन भरे हुए हे छत्तीसगढ़ के बासी मा: सीएम ने कहा कि ' हर छत्तीसगढ़िया के आहार में बोरे बासी का कितना महत्व हैं. हमारे श्रमिक भाइयों और किसान भाइयों और यहां की महिलाओं के पसीने में बासी की महक है. जब हम कहते है 'बटकी में बासी अउ चुटकी में नून' तो यह सिंगार हमें अपनी संस्कृति से जोड़ता है. डॉ. बघेल ने भी खूब कहा है गजब विटामिन भरा पड़ा है. छत्तीसगढ़ की बासी में. आपको बताया चाहूंगा कि गर्मी के दिनों में बोरे बासी शरीर को ठंडा रखता है. त्वचा को कोमलता देता है. पाचन शक्ति बढ़ाता है. वजन संतुलित रखने में भी यह रामबाण है. बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद रहते हैं. हमे हमारी युवा पीढ़ी को अपने आहर और संस्कृति के प्रति गौरव का अहसान दिलाना बहुत जरूरी है'.
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भूपेश ने आगे कहा कि ' आप सबसे से अपील है कि 1 मई को हम सब छत्तीसगढ़िया बोरे बासी, आमा के अथान (आम के अचार का मसाला), गोंदली (प्याज ) के साथ हर घर में बासी खाएं और अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व महसूस करें'.
क्या है बोरे बासी (what is Basi )
बासी एक ऐसा शब्द है जो हर सुबह छत्तीसगढ़िया की जुबान पर आ ही जाता है. क्योंकि यहीं वो भोजन है जो छत्तीसगढ़ी हर रोज सुबह खाता है और फिर अपने काम पर निकल जाता है. रात के बचे हुए चावल में पानी डालकर उसे रख दिया जाता है. सुबह इसी पानी वाले चावल में नमक डालकर प्याज, हरी मिर्च या अचार के साथ खाया जाता है. छत्तीसगढ़ चूकिं मेहनतकश लोगों के लिए जाना जाता है. ऐसे में यहां गरीब, मजदूरों के लिए ये एक पौष्टिक आहार है. खासकर गर्मी के दिनों में हर छत्तीसगढ़ी फिर चाहे वो आम हो या खास बासी जरूर खाता है.