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Mahatma Gandhi death anniversary: छत्तीसगढ़ से जुड़ी महात्मा गांधी की स्मृतियां

Memories of Mahatma Gandhi related to Chhattisgarh: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी दो बार छत्तीसगढ़ पहुंचे थे. छत्तीसगढ़ के लोगों ने गांधी के आगमन पर किस तरह उनका स्वागत किया. आइए जानते हैं.

Memories of Mahatma Gandhi related to Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ से जुड़ी महात्मा गांधी की स्मृतियां
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Published : Jan 30, 2022, 12:10 PM IST

Updated : Jan 30, 2022, 12:33 PM IST

रायपुर: भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक मोहनदास करमचंद गांधी की 74वीं पुण्यतिथि है. 30 जनवरी 1948 को बाबू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बापू की पुण्यतिथि पर ETV भारत बापू के छत्तीसगढ़ से जुड़ी यादें आपको बताने जा रहा है. (Memories of Mahatma Gandhi related to Chhattisgarh ) स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत भ्रमण के दौरान बापू आजादी की चिंगारी लेकर छत्तीसगढ़ भी पहुंचे (Mahatma Gandhi visit to Chhattisgarh) थे. पहली बार वे 1920 में कंडेल सत्याग्रह में हिस्सा लेने छत्तीसगढ़ आए थे. दूसरी बार 1933 में वे छत्तीसगढ़ पहुंचे थे. उनकी यात्रा के दौरान कई ऐसे दिलचस्प किस्से हैं जिन्हें आज भी इतिहासकार याद करते हैं.

छत्तीसगढ़ से जुड़ी महात्मा गांधी की स्मृतियां

धमतरी में किसानों ने की थी बगावत

इतिहासकार रामेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं '1920 में महात्मा गांधी भारत के सबसे बड़े नेता के तौर पर स्थापित हो चुके थे. देश के लोग अपनी आवाज महात्मा गांधी में खोजने लगे थे. इसी दौरान धमतरी के पास अंग्रेज सरकार की दमन नीतियों के खिलाफ किसानों ने बगावत कर दी. प्रशासन, किसानों पर पानी चुराने का आरोप लगाकर लगान वसूली कर रहा था. उनके मवेशियों को जब्त किया जा रहा था. इससे इलाके के किसान बेहद दुखी थे. अंग्रेजों के जुल्मों से तंग आकर छत्तीसगढ़ के स्थानीय नेताओं ने इस आंदोलन में महात्मा गांधी को शामिल करने का फैसला लिया और पंडित सुंदरलाल शर्मा महात्मा गांधी को लेने कोलकाता गए. महात्मा गांधी के कंडेल सत्याग्रह में शामिल होने की खबर सुनकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए और उन्होंने किसान के खिलाफ दिए गए आदेश को वापस ले लिया.

रायपुर में जहां गांधी ने जनसभा की उस मैदान का नाम गांधी मैदान पड़ा

20 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी रायपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे. इस दौरान उनका भव्य स्वागत हुआ. उनकी एक झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा था. जिस मैदान में गांधीजी ने जनसभा को संबोधित किया था. उसे आज भी गांधी मैदान के नाम से जाना जाता है.

गांधी की स्मृति में चबूतरे की ईंट निकालकर ले गए लोग

महात्मा गांधी ने रायपुर के कंकाली पारा स्थित आनंद समाज लाइब्रेरी के पास एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था. उस दौरान उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा था. गांधी की लोकप्रियता का अंदाजा इस तरह भी लगाया जा सकता है कि जिस चबूतरे से गांधी जी ने सभा को संबोधित किया था. उस चबूतरे की ईंट को निकालकर लोग अपने साथ बतौर स्मृति ले गए.

तिलक स्वराजफंड में दिल खोलकर लोगों ने दिया दान

महात्मा गांधी की यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ के लोगों ने तिलक स्वराज फंड में दिल खोलकर दान दिया. इस दौरान महिलाओं ने अपने गहने तक उतार कर दान दिए. इसके बाद महात्मा गांधी रायपुर से सीधा नागपुर रवाना हो गए. जहां कांग्रेस के सम्मेलन में असहयोग आंदोलन करने की घोषणा की.

नवंबर 1933 में दोबारा छत्तीसगढ़ आए बापू

1920 के बाद महात्मा गांधी 22 नवंबर 1933 को दुर्ग पहुंचे. दुर्ग के घनश्याम सिंह गुप्त के निवास में वे रुके. उसी शाम महात्मा गांधी सभा को संबोधित करने वाले थे. इस खबर को सुनते ही बड़ी संख्या में लोग पहुचने लगे.

फूल बरसाकर लोगों ने की गांधी जी की आरती

दुर्ग में सभा के संबोधन के बाद उसी शाम के महात्मा गांधी रायपुर के लिए रवाना हुए. रायपुर के आमापारा में जब महात्मा गांधी पहुंचे तब उनकी आरती उतारने और उनका स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर खड़े रहे और आमापारा से बूढ़ापारा स्थित रविशंकर शुक्ल के निवास तक पहुंचने में उन्हें 3 घंटे से भी ज्यादा का समय लगा.

महात्मा गांधी 28 नवंबर तक रायपुर में रहे. इस दौरान बूढ़ापारा स्थित शुक्र निवास में भजन कीर्तन का आयोजन किया गया. इसमें शहर के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते थे. दिन में गांधीजी आसपास के इलाकों का दौरा करते और फिर शाम तक लौटकर रायपुर आ जाते. उनकी स्मृति में वहां चबूतरा बनाया गया है.

इतिहासकार रामेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि ' बापू ने छत्तीसगढ़ की इस यात्रा में छुआछूत को दूर करने और भेदभाव मिटाने के लिए लोगों को जागरूक किया. रायपुर में महात्मा गांधी अलग-अलग स्थानों पर रुके. माधव राव सप्रे मैदान में उन्होंने भाषण दिया था. मोती बाग में जो पहले ही विक्टोरिया गार्डन के नाम से जाना जाता था. वहां स्वदेशी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने गए थे. उसके बाद जब दोबारा आए तो राजकुमार कॉलेज के छात्रों के बीच उन्होंने उद्बोधन किया. जिसका प्रभाव वहां के स्टूडेंट पर पड़ा. महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ में आने से लोगों में उत्साह और जागृति तो थी और लोगों को प्रेरणा भी मिली. 1920 से 1947 जिसे हम गांधी युग कहते हैं. उस गांधी युग में महात्मा गांधी की प्रेरणा से अखिल भारतीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की भी सहभागिता रही है'.

रायपुर: भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक मोहनदास करमचंद गांधी की 74वीं पुण्यतिथि है. 30 जनवरी 1948 को बाबू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बापू की पुण्यतिथि पर ETV भारत बापू के छत्तीसगढ़ से जुड़ी यादें आपको बताने जा रहा है. (Memories of Mahatma Gandhi related to Chhattisgarh ) स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत भ्रमण के दौरान बापू आजादी की चिंगारी लेकर छत्तीसगढ़ भी पहुंचे (Mahatma Gandhi visit to Chhattisgarh) थे. पहली बार वे 1920 में कंडेल सत्याग्रह में हिस्सा लेने छत्तीसगढ़ आए थे. दूसरी बार 1933 में वे छत्तीसगढ़ पहुंचे थे. उनकी यात्रा के दौरान कई ऐसे दिलचस्प किस्से हैं जिन्हें आज भी इतिहासकार याद करते हैं.

छत्तीसगढ़ से जुड़ी महात्मा गांधी की स्मृतियां

धमतरी में किसानों ने की थी बगावत

इतिहासकार रामेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं '1920 में महात्मा गांधी भारत के सबसे बड़े नेता के तौर पर स्थापित हो चुके थे. देश के लोग अपनी आवाज महात्मा गांधी में खोजने लगे थे. इसी दौरान धमतरी के पास अंग्रेज सरकार की दमन नीतियों के खिलाफ किसानों ने बगावत कर दी. प्रशासन, किसानों पर पानी चुराने का आरोप लगाकर लगान वसूली कर रहा था. उनके मवेशियों को जब्त किया जा रहा था. इससे इलाके के किसान बेहद दुखी थे. अंग्रेजों के जुल्मों से तंग आकर छत्तीसगढ़ के स्थानीय नेताओं ने इस आंदोलन में महात्मा गांधी को शामिल करने का फैसला लिया और पंडित सुंदरलाल शर्मा महात्मा गांधी को लेने कोलकाता गए. महात्मा गांधी के कंडेल सत्याग्रह में शामिल होने की खबर सुनकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए और उन्होंने किसान के खिलाफ दिए गए आदेश को वापस ले लिया.

रायपुर में जहां गांधी ने जनसभा की उस मैदान का नाम गांधी मैदान पड़ा

20 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी रायपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे. इस दौरान उनका भव्य स्वागत हुआ. उनकी एक झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा था. जिस मैदान में गांधीजी ने जनसभा को संबोधित किया था. उसे आज भी गांधी मैदान के नाम से जाना जाता है.

गांधी की स्मृति में चबूतरे की ईंट निकालकर ले गए लोग

महात्मा गांधी ने रायपुर के कंकाली पारा स्थित आनंद समाज लाइब्रेरी के पास एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था. उस दौरान उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा था. गांधी की लोकप्रियता का अंदाजा इस तरह भी लगाया जा सकता है कि जिस चबूतरे से गांधी जी ने सभा को संबोधित किया था. उस चबूतरे की ईंट को निकालकर लोग अपने साथ बतौर स्मृति ले गए.

तिलक स्वराजफंड में दिल खोलकर लोगों ने दिया दान

महात्मा गांधी की यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ के लोगों ने तिलक स्वराज फंड में दिल खोलकर दान दिया. इस दौरान महिलाओं ने अपने गहने तक उतार कर दान दिए. इसके बाद महात्मा गांधी रायपुर से सीधा नागपुर रवाना हो गए. जहां कांग्रेस के सम्मेलन में असहयोग आंदोलन करने की घोषणा की.

नवंबर 1933 में दोबारा छत्तीसगढ़ आए बापू

1920 के बाद महात्मा गांधी 22 नवंबर 1933 को दुर्ग पहुंचे. दुर्ग के घनश्याम सिंह गुप्त के निवास में वे रुके. उसी शाम महात्मा गांधी सभा को संबोधित करने वाले थे. इस खबर को सुनते ही बड़ी संख्या में लोग पहुचने लगे.

फूल बरसाकर लोगों ने की गांधी जी की आरती

दुर्ग में सभा के संबोधन के बाद उसी शाम के महात्मा गांधी रायपुर के लिए रवाना हुए. रायपुर के आमापारा में जब महात्मा गांधी पहुंचे तब उनकी आरती उतारने और उनका स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर खड़े रहे और आमापारा से बूढ़ापारा स्थित रविशंकर शुक्ल के निवास तक पहुंचने में उन्हें 3 घंटे से भी ज्यादा का समय लगा.

महात्मा गांधी 28 नवंबर तक रायपुर में रहे. इस दौरान बूढ़ापारा स्थित शुक्र निवास में भजन कीर्तन का आयोजन किया गया. इसमें शहर के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते थे. दिन में गांधीजी आसपास के इलाकों का दौरा करते और फिर शाम तक लौटकर रायपुर आ जाते. उनकी स्मृति में वहां चबूतरा बनाया गया है.

इतिहासकार रामेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि ' बापू ने छत्तीसगढ़ की इस यात्रा में छुआछूत को दूर करने और भेदभाव मिटाने के लिए लोगों को जागरूक किया. रायपुर में महात्मा गांधी अलग-अलग स्थानों पर रुके. माधव राव सप्रे मैदान में उन्होंने भाषण दिया था. मोती बाग में जो पहले ही विक्टोरिया गार्डन के नाम से जाना जाता था. वहां स्वदेशी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने गए थे. उसके बाद जब दोबारा आए तो राजकुमार कॉलेज के छात्रों के बीच उन्होंने उद्बोधन किया. जिसका प्रभाव वहां के स्टूडेंट पर पड़ा. महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ में आने से लोगों में उत्साह और जागृति तो थी और लोगों को प्रेरणा भी मिली. 1920 से 1947 जिसे हम गांधी युग कहते हैं. उस गांधी युग में महात्मा गांधी की प्रेरणा से अखिल भारतीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की भी सहभागिता रही है'.

Last Updated : Jan 30, 2022, 12:33 PM IST
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