रायपुर : राजधानी रायपुर के सबसे पुराने प्रो. जे एन पाण्डेय शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 10 जून की रात स्कूल के स्टोर रूम में आगजनी की घटना होने से रखी किताबें और फर्नीचर पूरी तरह से जलकर खाक हो गई हैं. इस आगजनी के कारण स्कूल में रखे कई ऐतिहासिक दस्तावेज और किताबें भी जलकर राख हो गए (Many records of Raipur JN Pandey School burnt ) हैं. मिली जानकारी के अनुसार आजादी से पूर्व की किताबें भी इस आगजनी में जल गईं हैं. इनमें से कई ऐसे ही किताबें थी जो आजादी के समय और उससे पूर्व की थी. जानकारों का कहना है कि 1890 में ब्रिटिश काल के दौरान इस स्कूल का निर्माण कराया गया था. रिकॉर्ड यहां की एक अलमारी में रखे गए थे. जो जलकर राख हो गए हैं.
स्कूल विभाग ने मांगी रिपोर्ट : स्कूल शिक्षा विभाग इस आगजनी की घटना की जांच कर रही है. विभाग ने कई बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट मांगी है. विभाग ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी मांगी है कि स्कूल में कितनी किताबें जली हैं. वहां किस तरह की ऐतिहासिक दस्तावेज जले हैं. इसके साथ ही किताबें वहां किस तरह की थी और वहां क्यों रखी गई थी. इसके साथ ही आग से कितने रुपए के फर्नीचर और किताबों का नुकसान हुआ (Chhattisgarh School Education Department is investigating the fire) है.
कहां लगी थी आग : 10 जून रात स्कूल के पिछले हिस्से में विद्याचरण शुक्ल चौक के पास कुछ लोगों ने आग की लपटें और धुआं निकलते देखा था. तब लोगों को लगा था कि कचरे में आग लगी होगी. जिसके बाद आग में धीरे-धीरे विकराल रूप ले लिया. जिसके बाद इसकी सूचना पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम को दी गई. देर रात की घटना के दौरान स्कूल का कोई भी स्टाफ या बच्चा वहां मौजूद नहीं था. स्कूल की देखभाल करने वाला चौकीदार अपने परिवार के साथ वहां मौजूद था. फायर ब्रिगेड की टीम आने के लगभग ढाई घंटे बाद ऑपरेशन चलाकर आग पर काबू पाया(Historical documents burnt in Raipur JN Pandey school fire) गया.
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अंग्रेज जमाने का है जेएन पांडे स्कूल : रायपुर का जेएन पांडे स्कूल देश की आजादी के पहले का स्कूल है. इस स्कूल को अंग्रेज चलाया करते (JN Pandey School was built by the British ) थे. यहीं पढ़ने वाले क्रांतिकारी जेएन पांडे ने स्कूल की छत पर तिरंगा लहरा दिया था. देश की आजादी के बाद स्कूल का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया. जिसे आज लोग जेएन पांडे स्कूल के नाम से जानते और पहचानते हैं.