रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में महाराष्ट्र मंडल ने दिव्यांग बालिकाओं की मदद करने के लिए अनोखी पहल की है. मंडल दिव्यांग बालिकाओं को शिक्षा देने और उनके रहने खाने के लिए खुद पैसों का बंदोबस्त करती है. इसके लिए वे चिवड़ा, सेव, अनरसा, लड्डू, काजू कतली बेच रहे हैं. इनमें जितना भी मुनाफा का पैसा मिलता है. उसको दिव्यांग बालिका विकास गृह में लगा देते हैं. महाराष्ट्र मंडल के विकास गृह में सुदूर इलाकों समेत अनेक राज्यों की दिव्यांग रह रही है. इसके लिए मंडल खाने, रहने और पढ़ाई के लिए निःशुल्क व्यवस्था करता है. (Maharashtra Mandal helping handicapped girls in Raipur )
1982 से महाराष्ट्र मंडल कर रहा दिव्यांग लड़कियों की मदद: महाराष्ट्र मंडल के सचिव चेतन दंडवते (Chetan Dandawate Secretary Maharashtra mandal) ने बताया " कमेटी ने 1982 में विचार किया था कि दिव्यांग बच्चियों के लिए कुछ करना चाहिए. 1982 में इसकी स्थापना की गई. शुरुआत में रेंटल चलता था. 1999 के बाद इस परिसर में आया. बच्चियों का यहां एजुकेशन, लालन-पालन, उनका ट्रीटमेंट भी किया जाता है. यहां आने वाले बच्चियों को पढ़ाई से लेकर नौकरी और विवाह होने तक की सारी व्यवस्था महाराष्ट्र मंडल करता है. इसमें समाज के लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं. उनके ही सहयोग से संचालन किया जा रहा है."
कई सालों से रह रही है दिव्यांग लड़कियां: पुनिता मानिकपुरी बताती हैं "दिव्यांग बालिका विकास गृह में 4 साल से रह रही हूं. यहां की सुविधाएं बहुत अच्छी है. मुझे खाने के साथ ही पढ़ाई की भी व्यवस्था की जा रही है. वर्तमान में पढ़ाई के साथ जॉब भी कर रही हूं. यहां पढ़ाई करके मैं अपना लाइफ भी बेहतर कर रही हूं. एक निजी कंपनी में काम भी करती हूं. वहां बच्चों को देने वाले उपहार जैसे शील्ड बनाने का काम करती हूं."
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मंडल उठाता है पढ़ाई का खर्च: बालिका गृह की रुखमणी नेताम कहती हैं "मुझे तीन साल हो गए हैं. मैं मायाराम सुरजन कन्या स्कूल में 10 वीं कक्षा में पढ़ती हूं. हमें महाराष्ट्र मंडल की ओर से मदद मिलती है. पढ़ाई का खर्च मंडल की ओर से वहन किया जाता है. दिव्यांग बालिका यशोदा ने बताया "मैं फुंडहर की रहने वाली हूं. मेरे घर में पिता और भाई हैं. दो साल से यहां रह रही हूं. पढ़ाई का पूरा खर्च महाराष्ट्र मंडल की तरफ से उठाया जाता है. किसी तरह की कोई समस्या नहीं है."
चिवड़ा, चकली बेच उठाते हैं पढ़ाई का खर्च: महाराष्ट्र मंडल अध्यक्ष अजय काले (Maharashtra Mandal President Ajay Kale) बताते हैं "हमारे यहां से अब तक 130 बच्चियां सेल्फ डिपेंडेंट होकर जा चुकी है. बच्चियों का विवाह भी हो चुका है. कुछ बच्चियां शासकीय सेवा में भी कार्यरत है. वर्तमान में हमारे यहां 16 बच्चियां हैं. उनका रहना, खाना, पढ़ना, लिखना सभी कुछ महाराष्ट्र मंडल करता है. त्योहारों के समय स्टॉल लगाते हैं. ताकि कुछ लोग वहां से खरीदारी करे और इनडायरेक्टली सपोर्ट कर सके. फलाहारी के आइटम चकली, चिवड़ा या रोजमर्रा के जितने भी आइटम हैं चाहे नाश्ता हो या भोजन सुविधा महाराष्ट्र मंडल का मेस करता है. उनसे जो इनकम मिलती हैं. उससे बालिका विकास गृह का संचालन करते हैं." (Raipur latest news)