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छत्तीसगढ़ में राजनीति का "नशा"...लखमा बोले-नोटबंदी जैसी अचानक नहीं होगी शराबबंदी, भाजपा ने स्थिति स्पष्ट करने कहा

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार विपक्षियों के निशाने पर है. जबकि आम लोगों ने भी अब यह कहना शुरू कर दिया है कि चूंकि सरकार को इससे टैक्स के रूप में भारी-भरकम राजस्व प्राप्त होता है इसलिए सरकार भी शराबबंदी करना नहीं चाहती.

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Published : Oct 22, 2021, 5:06 PM IST

Updated : Oct 23, 2021, 4:15 PM IST

शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा
शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा

रायपुरः प्रदेश में इन दिनों धर्मांतरण और शराबबंदी (Conversion and Prohibition) के मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है. कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार (Bhupesh Baghel Govt.) को विपक्षी लगातार शराबबंदी के मुद्दे पर निशाने पर ले रहे हैं. वहीं आम जनता भी छत्तीसगढ़ में शराबबंदी (liquor ban in chhattisgarh) को लेकर मुखर होने लगी है. भाजपा समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि चुनाव लड़ने के समय कांग्रेस ने शराबबंदी को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था. कांग्रेस ने कहा था कि उनके सत्ता में आते ही प्रदेश में शराबबंदी हो जाएगी. लेकिन का कहना है कि अब तो कांग्रेस की सरकार बने करीब तीन साल गुजरने को हैं, लेकिन अब तक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शराबबंदी नहीं कर सकी है.

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने दिया था शराब पर बयान

प्रदेश में अराजकता, अफसर हैं कंफ्यूजः धरमलाल

प्रदेश में मदिरा की भारी खपत
रायपुर सहित पूरे प्रदेश में शराब की खपत दिन प्रति-दिन कम ज्यादा होते रहती है. बात अगर प्रदेश के कुछ जिलों की करें तो सबसे अधिक खपत होने वाले जिलों में रायपुर दुर्ग बिलासपुर और राजनांदगांव हैं. जहां पर शराब की प्रतिदिन खपत अन्य जिलों की तुलना में अधिक होती है. आबकारी विभाग के मुताबिक रायपुर जिले में प्रतिदिन 4 करोड़ 20 लाख रुपए की देसी और अंग्रेजी शराब (English Liquor) की बिक्री होती है. जिले में 1 महीने की शराब की बिक्री की बात की जाए तो लगभग 125 करोड़ रुपए की शराब की बिक्री होती है.

शराबबंदी जरूरी

आज के समय में प्रदेश में शराबबंदी बहुत जरूरी हो गया है प्रदेश में लोग शराब के आदी (Addicted To Alcohol) होते जा रहे हैं जो कि उनके सेहत के साथ-साथ परिवार में लड़ाई झगड़े का भी कारण बनते जा रहा है. वहीं, प्रदेश में लगातार अपराध के मामले की बढ़ते जा रहे हैं. जिसका एक मुख्य कारण शराब है. इसलिए प्रदेश में शराबबंदी और जरूरी हो जाता है. कोविड के समय यह देखने को मिला कि प्रदेश में शराब दुकानें तो बंद रहीं लेकिन इस वजह से कुछ लोग स्पिरिट और सैनिटाइजर (sanitizer) पीने लगे. जिससे कुछ लोगों की जान तक चली गई. धीरे धीरे लोगों को शराब पीने से रोकना बहुत जरूरी हो गया है. इस बारे में ईटीवी भारत ने राज्य हॉस्पिटल बोर्ड रायपुर अध्यक्ष राकेश गुप्ता से बातचीत की.

वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल राजस्व का 16 प्रतिशत आबकारी से टैक्स

इधर, छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार को आबकारी से कितना और किस तरह का टैक्स मिलता है? इसको लेकर ईटीवी भारत ने अर्थशास्त्री (Economist) प्रोफेसर रविंद्र कुमार ब्रम्हे से बात की तो उन्होंने बताया कि राज्य की अर्थव्यवस्था (Economy) में टैक्स (Tax) के रूप में आबकारी महत्वपूर्ण रोल अदा करता है. 5 सालों की तुलना करें तो वर्तमान में आबकारी (excise) से राज्य सरकार को कुल राजस्व का टैक्स के रूप में 16 फीसदी मिला है.

शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रोफेसर रविंद्र कुमार ब्रम्हे ने बताया कि राज्य सरकार को टैक्स के रूप में सबसे अधिक राजस्व आबकारी से मिलता है. पिछले 5 सालों की तुलना की जाए तो इसका यह ग्राफ बढ़ कर 16% पर पहुंच गया है. इसके पहले 13% था. वर्ष 2014-15 में 24000 करोड़ रुपए में 3100 करोड़ रुपये कर के रूप में आबकारी से राज्य सरकार को मिला था जो कुल राजस्व का 13% था. वर्ष 2021- 22 में 35000 करोड़ रुपए में 5500 करोड़ रुपए कर के रूप में आबकारी से राज्य सरकार को मिला था जो कुल राजस्व का 16% है.

शराब उपलब्ध न हो पाने पर दूसरा नशा करने को बाध्य होते हैं शराब के आदी

राज्य हॉस्पिटल बोर्ड रायपुर अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने बताया कि जिन लोगों को शराब की लत है, वह इसकी उपलब्धता नहीं होने पर दूसरे नशे के लिए बाध्य होते हैं. मानसिक और शारीरिक रूप से इसमें ऐसा नशा जो वो पहले से नहीं करते हैं वो उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. इसके लिए सामाजिक जागरूकता भी बेहद जरूरी है. शराबबंदी को लेकर अभियान जरूरी है, जिसमें शारीरिक और मानसिक रूप से उसकी निर्भरता कम की जा सके. जो लोग शराब से ज्यादा जानलेवा नशा करने लगते हैं, उनके जान पर बन आती है. अधिकांश लोग आत्महत्या की ओर रुख कर लेते हैं.

शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा

ज्यादा शराब पीने से ऑर्गन और लिवर फैलियर का खतरा

शराब ज्यादा पीने से ऑर्गन फैलियर और लिवर फेलियर का भी खतरा बढ़ जाता है. शराब पीना और दूसरे नशे करना शरीर के लिए बहुत घातक हो सकते हैं. लिवर फैलियर की बीमारी इन दिनों बहुत देखी जा रही है. जो लोग शराब के बहुत आदी हैं, वैसे लोगों की मौत भी हो जाती है. इसे ऑर्गन फैलियर में मुख्य रूप से पेट संबंधित बीमारियां, लीवर संबंधित बीमारियां या किडनी फैलियर होना बहुत सामान्य बात है. मानसिक रूप से जब बहुत सारे लोग शराब पर निर्भर हो जाते हैं, तब मानसिक विकार भी आने लगते हैं. इससे पूरा परिवार और नशे का आदी व्यक्ति सब का शिकार होने लगते हैं. हम सब को यह समझना जरूरी है कि नशे से दूर रहना चाहिए.

भाजपा प्रवक्ता ने पूछा सवाल-लखमा ने यह बयान होश में दिया या बेहोशी में?

प्रदेश में भले ही एक साल में शराबबंदी नहीं होगी, अगले साल भी नहीं होगी तो देखेंगे, लेकिन जल्दबाजी में प्रदेश में शराबबंदी नहीं करेंगे. यह कहना है प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा का. कवासी लखमा के इस बयान के बाद एक बार फिर भाजपा को बैठे-बैठे मुद्दा मिल गया है. भाजपा ने लखमा के इस बयान को कांग्रेस सरकार द्वारा आगामी 2 सालों में भी पूर्ण शराबबंदी न किये जाने का संकेत माना है. लखमा के इस बयान पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने सवालिया लहजे में पूछा है कि लखमा ने यह बयान होश में दिया है, या बेहोशी में ? उनके द्वारा कहा जाता है कि कोरोना के दौरान शराब न मिलने से कुछ लोगों ने अन्य नशीले पदार्थों का सेवन किया, जिससे उनकी मौत हो गई. सरकार दो चार छह लोगों की मौत की बात कह रही है, लेकिन शराब की वजह से जो आयेदिन लोग मर रहे हैं, परिवार टूट रहे हैं, महिलाएं परेशान हैं, अपराध बढ़ रहा है, हत्या हो रही है, इसकी चिंता सरकार को नहीं है.

शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा

संजय उवाच.....प्रदेश में शराबबंदी होगी या नहीं, स्थिति स्पष्ट करे कांग्रेस

प्रदेश में शराबबंदी तो दूर की बात है, सरकार इस पर विचार कर रही है कि घर-घर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शराब कैसे पहुंचाई जाए. उससे ज्यादा से ज्यादा रिवेन्यू कैसे जेनरेट किया जाए. साथ ही ऊपरी कमाई किस तरह की जाए, उसकी भी तैयारी सरकार द्वारा की गई है. श्रीवास्तव ने भूपेश सरकार से मांग की है कि शराबबंदी को लेकर स्थिति को स्पष्ट करें कि प्रदेश में शराबबंदी होगी या नहीं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को सामने आकर कहना चाहिए कि अब हम शराबबंदी नहीं करेंगे. अगर शराबबंदी नहीं करेंगे तो शराब के समर्थन में रैली निकालें, आम सभाएं करें. शराब के समर्थन के लिए राहुल-सोनिया को बुलाकर यह घोषणा करें. क्योंकि इन दोनों ने शराबबंदी की बात कही थी.

शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा

पब्लिक ओपिनियन.....हाथ में गंगाजल लेकर कांग्रेस ने खाई थी कसम, सत्ता में आते वादा भूली

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को करीब 3 साल होने जा रहे हैं. सरकार में आने से पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी की बात कही थी, लेकिन अभी तक शराबबंदी नहीं होने से प्रदेश के लोगों में नाराजगी साफ-साफ दिख रही है. आम लोगों का कहना है कि जिस तरह से सरकार ने घोषणा पत्र में वादा किया था, उसे पूरा करे. कांग्रेस ने हाथ में गंगाजल लेकर कसम खाई थी, लेकिन अब सत्ता में आने के बाद सरकार इस मुद्दे को भूल गई है. जिसके कारण शराब के सेवन से लगातार क्राइम बढ़ रहा है. कई परिवारों में लड़ाई-झगड़े की वजह शराब ही बन रही है.

कोई भी सरकार आए, प्रदेश में होनी चाहिए शराबबंदी

प्रदेश की आधी से ज्यादा युवा पीढ़ी शराब और नशे के कारण बर्बाद होती जा रही है. इस बात को देखते हुए प्रदेश में शराबबन्दी लागू होनी चाहिए. मैं सरकार से अपील करना चाहूंगा कि जल्द से जल्द शराबबंदी लागू की जाए. लेकिन सरकार शराबबंदी करेगी, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. प्रदेश में कोई भी सरकार आए, लेकिन शराबबंदी झूठे वादों पर ही चल रही है. समाज को बचाने के लिए शराबबंदी अनिवार्य है.

प्रतिबंध हटने के बाद भी शुरू नहीं हुए रेत खदान, अवैध उत्खनन को मिल रहा बढ़ावा

प्रदेश में शराबबंदी बेहद जरूरी

प्रदेश में शराबबंदी बेहद जरूरी है. छत्तीसगढ़ में जो क्राइम का ग्राफ बढ़ रहा है, इसका मुख्य कारण शराब ही है. इसलिए सरकार से अपील करते हैं कि उन्होंने जो अपने घोषणापत्र में वादा किया है, उसके मुताबिक प्रदेश में शराब बंदी लागू करे.

लॉकडाउन में बंद थीं शराब दुकानें तो घटा था अपराध का ग्राफ

जिस तरह से छत्तीसगढ़ की जनता ने खासकर महिलाओं कांग्रेस को बहुमत दिया, कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उनके सत्ता आते ही प्रदेश में शराब बंदी लागू होगी. वर्तमान सरकार को लगभग 3 साल होने जा रहे हैं. इसको लेकर कमेटी बनी है, लेकिन कमेटी क्या कर रही यह पता नहीं. सरकार ने शराबबंदी को लेकर एक भी कदम नहीं उठाया. कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन था, शराब की सारी दुकानें बंद थीं. उस दौरान प्रदेश में क्राइम का रेशियो कम हो गया था, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुला और शराब की दुकानें खुली अचानक क्राइम का ग्राफ भी बढ़ गया.

रायपुरः प्रदेश में इन दिनों धर्मांतरण और शराबबंदी (Conversion and Prohibition) के मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है. कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार (Bhupesh Baghel Govt.) को विपक्षी लगातार शराबबंदी के मुद्दे पर निशाने पर ले रहे हैं. वहीं आम जनता भी छत्तीसगढ़ में शराबबंदी (liquor ban in chhattisgarh) को लेकर मुखर होने लगी है. भाजपा समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि चुनाव लड़ने के समय कांग्रेस ने शराबबंदी को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था. कांग्रेस ने कहा था कि उनके सत्ता में आते ही प्रदेश में शराबबंदी हो जाएगी. लेकिन का कहना है कि अब तो कांग्रेस की सरकार बने करीब तीन साल गुजरने को हैं, लेकिन अब तक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शराबबंदी नहीं कर सकी है.

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने दिया था शराब पर बयान

प्रदेश में अराजकता, अफसर हैं कंफ्यूजः धरमलाल

प्रदेश में मदिरा की भारी खपत
रायपुर सहित पूरे प्रदेश में शराब की खपत दिन प्रति-दिन कम ज्यादा होते रहती है. बात अगर प्रदेश के कुछ जिलों की करें तो सबसे अधिक खपत होने वाले जिलों में रायपुर दुर्ग बिलासपुर और राजनांदगांव हैं. जहां पर शराब की प्रतिदिन खपत अन्य जिलों की तुलना में अधिक होती है. आबकारी विभाग के मुताबिक रायपुर जिले में प्रतिदिन 4 करोड़ 20 लाख रुपए की देसी और अंग्रेजी शराब (English Liquor) की बिक्री होती है. जिले में 1 महीने की शराब की बिक्री की बात की जाए तो लगभग 125 करोड़ रुपए की शराब की बिक्री होती है.

शराबबंदी जरूरी

आज के समय में प्रदेश में शराबबंदी बहुत जरूरी हो गया है प्रदेश में लोग शराब के आदी (Addicted To Alcohol) होते जा रहे हैं जो कि उनके सेहत के साथ-साथ परिवार में लड़ाई झगड़े का भी कारण बनते जा रहा है. वहीं, प्रदेश में लगातार अपराध के मामले की बढ़ते जा रहे हैं. जिसका एक मुख्य कारण शराब है. इसलिए प्रदेश में शराबबंदी और जरूरी हो जाता है. कोविड के समय यह देखने को मिला कि प्रदेश में शराब दुकानें तो बंद रहीं लेकिन इस वजह से कुछ लोग स्पिरिट और सैनिटाइजर (sanitizer) पीने लगे. जिससे कुछ लोगों की जान तक चली गई. धीरे धीरे लोगों को शराब पीने से रोकना बहुत जरूरी हो गया है. इस बारे में ईटीवी भारत ने राज्य हॉस्पिटल बोर्ड रायपुर अध्यक्ष राकेश गुप्ता से बातचीत की.

वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल राजस्व का 16 प्रतिशत आबकारी से टैक्स

इधर, छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार को आबकारी से कितना और किस तरह का टैक्स मिलता है? इसको लेकर ईटीवी भारत ने अर्थशास्त्री (Economist) प्रोफेसर रविंद्र कुमार ब्रम्हे से बात की तो उन्होंने बताया कि राज्य की अर्थव्यवस्था (Economy) में टैक्स (Tax) के रूप में आबकारी महत्वपूर्ण रोल अदा करता है. 5 सालों की तुलना करें तो वर्तमान में आबकारी (excise) से राज्य सरकार को कुल राजस्व का टैक्स के रूप में 16 फीसदी मिला है.

शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रोफेसर रविंद्र कुमार ब्रम्हे ने बताया कि राज्य सरकार को टैक्स के रूप में सबसे अधिक राजस्व आबकारी से मिलता है. पिछले 5 सालों की तुलना की जाए तो इसका यह ग्राफ बढ़ कर 16% पर पहुंच गया है. इसके पहले 13% था. वर्ष 2014-15 में 24000 करोड़ रुपए में 3100 करोड़ रुपये कर के रूप में आबकारी से राज्य सरकार को मिला था जो कुल राजस्व का 13% था. वर्ष 2021- 22 में 35000 करोड़ रुपए में 5500 करोड़ रुपए कर के रूप में आबकारी से राज्य सरकार को मिला था जो कुल राजस्व का 16% है.

शराब उपलब्ध न हो पाने पर दूसरा नशा करने को बाध्य होते हैं शराब के आदी

राज्य हॉस्पिटल बोर्ड रायपुर अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने बताया कि जिन लोगों को शराब की लत है, वह इसकी उपलब्धता नहीं होने पर दूसरे नशे के लिए बाध्य होते हैं. मानसिक और शारीरिक रूप से इसमें ऐसा नशा जो वो पहले से नहीं करते हैं वो उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. इसके लिए सामाजिक जागरूकता भी बेहद जरूरी है. शराबबंदी को लेकर अभियान जरूरी है, जिसमें शारीरिक और मानसिक रूप से उसकी निर्भरता कम की जा सके. जो लोग शराब से ज्यादा जानलेवा नशा करने लगते हैं, उनके जान पर बन आती है. अधिकांश लोग आत्महत्या की ओर रुख कर लेते हैं.

शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा

ज्यादा शराब पीने से ऑर्गन और लिवर फैलियर का खतरा

शराब ज्यादा पीने से ऑर्गन फैलियर और लिवर फेलियर का भी खतरा बढ़ जाता है. शराब पीना और दूसरे नशे करना शरीर के लिए बहुत घातक हो सकते हैं. लिवर फैलियर की बीमारी इन दिनों बहुत देखी जा रही है. जो लोग शराब के बहुत आदी हैं, वैसे लोगों की मौत भी हो जाती है. इसे ऑर्गन फैलियर में मुख्य रूप से पेट संबंधित बीमारियां, लीवर संबंधित बीमारियां या किडनी फैलियर होना बहुत सामान्य बात है. मानसिक रूप से जब बहुत सारे लोग शराब पर निर्भर हो जाते हैं, तब मानसिक विकार भी आने लगते हैं. इससे पूरा परिवार और नशे का आदी व्यक्ति सब का शिकार होने लगते हैं. हम सब को यह समझना जरूरी है कि नशे से दूर रहना चाहिए.

भाजपा प्रवक्ता ने पूछा सवाल-लखमा ने यह बयान होश में दिया या बेहोशी में?

प्रदेश में भले ही एक साल में शराबबंदी नहीं होगी, अगले साल भी नहीं होगी तो देखेंगे, लेकिन जल्दबाजी में प्रदेश में शराबबंदी नहीं करेंगे. यह कहना है प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा का. कवासी लखमा के इस बयान के बाद एक बार फिर भाजपा को बैठे-बैठे मुद्दा मिल गया है. भाजपा ने लखमा के इस बयान को कांग्रेस सरकार द्वारा आगामी 2 सालों में भी पूर्ण शराबबंदी न किये जाने का संकेत माना है. लखमा के इस बयान पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने सवालिया लहजे में पूछा है कि लखमा ने यह बयान होश में दिया है, या बेहोशी में ? उनके द्वारा कहा जाता है कि कोरोना के दौरान शराब न मिलने से कुछ लोगों ने अन्य नशीले पदार्थों का सेवन किया, जिससे उनकी मौत हो गई. सरकार दो चार छह लोगों की मौत की बात कह रही है, लेकिन शराब की वजह से जो आयेदिन लोग मर रहे हैं, परिवार टूट रहे हैं, महिलाएं परेशान हैं, अपराध बढ़ रहा है, हत्या हो रही है, इसकी चिंता सरकार को नहीं है.

शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा

संजय उवाच.....प्रदेश में शराबबंदी होगी या नहीं, स्थिति स्पष्ट करे कांग्रेस

प्रदेश में शराबबंदी तो दूर की बात है, सरकार इस पर विचार कर रही है कि घर-घर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शराब कैसे पहुंचाई जाए. उससे ज्यादा से ज्यादा रिवेन्यू कैसे जेनरेट किया जाए. साथ ही ऊपरी कमाई किस तरह की जाए, उसकी भी तैयारी सरकार द्वारा की गई है. श्रीवास्तव ने भूपेश सरकार से मांग की है कि शराबबंदी को लेकर स्थिति को स्पष्ट करें कि प्रदेश में शराबबंदी होगी या नहीं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को सामने आकर कहना चाहिए कि अब हम शराबबंदी नहीं करेंगे. अगर शराबबंदी नहीं करेंगे तो शराब के समर्थन में रैली निकालें, आम सभाएं करें. शराब के समर्थन के लिए राहुल-सोनिया को बुलाकर यह घोषणा करें. क्योंकि इन दोनों ने शराबबंदी की बात कही थी.

शराबबंदी की राह में राजस्व का रोड़ा

पब्लिक ओपिनियन.....हाथ में गंगाजल लेकर कांग्रेस ने खाई थी कसम, सत्ता में आते वादा भूली

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को करीब 3 साल होने जा रहे हैं. सरकार में आने से पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी की बात कही थी, लेकिन अभी तक शराबबंदी नहीं होने से प्रदेश के लोगों में नाराजगी साफ-साफ दिख रही है. आम लोगों का कहना है कि जिस तरह से सरकार ने घोषणा पत्र में वादा किया था, उसे पूरा करे. कांग्रेस ने हाथ में गंगाजल लेकर कसम खाई थी, लेकिन अब सत्ता में आने के बाद सरकार इस मुद्दे को भूल गई है. जिसके कारण शराब के सेवन से लगातार क्राइम बढ़ रहा है. कई परिवारों में लड़ाई-झगड़े की वजह शराब ही बन रही है.

कोई भी सरकार आए, प्रदेश में होनी चाहिए शराबबंदी

प्रदेश की आधी से ज्यादा युवा पीढ़ी शराब और नशे के कारण बर्बाद होती जा रही है. इस बात को देखते हुए प्रदेश में शराबबन्दी लागू होनी चाहिए. मैं सरकार से अपील करना चाहूंगा कि जल्द से जल्द शराबबंदी लागू की जाए. लेकिन सरकार शराबबंदी करेगी, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. प्रदेश में कोई भी सरकार आए, लेकिन शराबबंदी झूठे वादों पर ही चल रही है. समाज को बचाने के लिए शराबबंदी अनिवार्य है.

प्रतिबंध हटने के बाद भी शुरू नहीं हुए रेत खदान, अवैध उत्खनन को मिल रहा बढ़ावा

प्रदेश में शराबबंदी बेहद जरूरी

प्रदेश में शराबबंदी बेहद जरूरी है. छत्तीसगढ़ में जो क्राइम का ग्राफ बढ़ रहा है, इसका मुख्य कारण शराब ही है. इसलिए सरकार से अपील करते हैं कि उन्होंने जो अपने घोषणापत्र में वादा किया है, उसके मुताबिक प्रदेश में शराब बंदी लागू करे.

लॉकडाउन में बंद थीं शराब दुकानें तो घटा था अपराध का ग्राफ

जिस तरह से छत्तीसगढ़ की जनता ने खासकर महिलाओं कांग्रेस को बहुमत दिया, कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उनके सत्ता आते ही प्रदेश में शराब बंदी लागू होगी. वर्तमान सरकार को लगभग 3 साल होने जा रहे हैं. इसको लेकर कमेटी बनी है, लेकिन कमेटी क्या कर रही यह पता नहीं. सरकार ने शराबबंदी को लेकर एक भी कदम नहीं उठाया. कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन था, शराब की सारी दुकानें बंद थीं. उस दौरान प्रदेश में क्राइम का रेशियो कम हो गया था, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुला और शराब की दुकानें खुली अचानक क्राइम का ग्राफ भी बढ़ गया.

Last Updated : Oct 23, 2021, 4:15 PM IST
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