रायपुर : केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली से राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान से बचाने के लिए 14% क्षतिपूर्ति का जो मॉडल बनाया था वह 30 जून को खत्म हो (Chhattisgarh is suffering due to GST) गया. अब राज्य सरकार इस नुकसान की भरपाई की राह तलाश रही है. संभावना जताई जा रही है कि यदि केंद्र सरकार राज्य नुकसान से बचाने के लिए 14% क्षतिपूर्ति नहीं देती है तो मजबूरन राज्य सरकार को वस्तुओं पर सेस (उपकर) लगाना होगा. इस बात की जानकारी कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने दी.
क्षतिपूर्ति अवधि बढ़ाने की मांग : सुशील आनंद शुक्ला ने बताया कि '' जीएसटी के कारण जिन राज्यों में उत्पादन अधिक होता है. उन राज्यों को कर संग्रहण में नुकसान उठाना पड़ता है. जब जीएसटी लागू किया गया था. उस दौरान केंद्र ने कहा था कि 5 वर्ष तक क्षतिपूर्ति दी जाएगी.इन 5 वर्षों में भी राज्यों की कर संग्रहण की स्थिति नहीं सुधरी (Demand for extension of compensation period from the center) है. ऐसे में जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को और आगे बढ़ाया जाए. यदि इस अवधि को नहीं बढ़ाया गया तो राज्य के विकास कार्य प्रभावित होंगे.''
सेस लगाना राज्य सरकार की मजबूरी : इस दौरान सुशील आनंद शुक्ला ने जीएसटी मंत्री टीएस सिंहदेव (GST Minister TS Singhdeo) के बयान का हवाला देते हुए कहा कि '' उन्होंने सही कहा है कि यदि केंद्र सरकार जीएसटी क्षतिपूर्ति बहाल नहीं करेगी. तो ऐसे में राज्य सरकार को सेस (उपकर) लगाना मजबूरी होगी. जो राज्य सरकार के लिए आवश्यक है. इसलिए केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि यह क्षतिपूर्ति की अवधि को आगे बढ़ाया जाए.''
टीएस सिंहदेव ने भी लिखा केंद्र को खत : बता दें कि '' जीएसटी मंत्री टीएस सिंहदेव ने पूर्व में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) को पत्र लिखा था और कहा था कि 14% संरक्षित राजस्व का प्रावधान 30 जून 2022 से समाप्त हो रहा है. इसे कम से कम 5 वर्षों तक जारी रखा जाना चाहिए, क्योंकि विशेष रूप से खनन और विनिर्माण राज्य, जो उपभोक्ता नहीं हैं, उनको बहुत अधिक राजस्व का नुकसान होता है.'' जिसमें उन्होंने 10 वस्तुओं का विवरण प्रस्तुत करते हुए VAT और GST के निम्नलिखित अंतर का उल्लेख किया है.
• लौह और स्टील (VAT 1600Cr - GST 350Cr) अंतर 1250Cr
• कोयला (VAT 800Cr - GST 200Cr) अंतर 600Cr
• धान (VAT 590Cr - GST 0Cr) अंतर 590Cr
• तेंदूपत्ता (VAT 110Cr - GST 10Cr) अंतर 100Cr
• एल्यूमीनियम (VAT 19Cr - GST 5Cr) अंतर 14Cr
• मदिरा (VAT 18Cr - GST 0Cr) अंतर 18Cr
• किराना (VAT 15Cr - GST 25Cr) अंतर 10Cr
• टिंबर (VAT 15Cr - GST 20Cr) अंतर 5Cr
• खाद्य तेल (VAT 55Cr - GST 12Cr) अंतर 43Cr
• ट्रैक्टर (VAT 25Cr - GST 12Cr) अंतर 13Cr
सिंहदेव के पत्र में क्या : सिंहदेव ने आगे लिखा कि जीएसटी के तहत राज्य को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2,786 करोड़, 2019-20 में 3,176 करोड़, 2020-21 में 3,620 करोड़, 2021-22 में 4,127 करोड़ का भारी राजस्व नुकसान हुआ, जिसे उपकर प्रावधान के माध्यम से मुआवजा देने के लिए प्रदान किया गया था. यदि हमें भारत की एक प्रभावी संघीय इकाई के रूप में कार्य करना है, तो राजस्व के ऐसे नुकसान के साथ सामाजिक क्षेत्र में पूंजी शीर्ष विकास, रोजगार और निवेश का निवेश करना असंभव होगा, जिसकी भरपाई नहीं की जाती है. सिंहदेव ने लिखा कि उपरोक्त कारणों से हम 14% संरक्षित राजस्व प्रावधान को जारी रखने कि मांग की हैं. यदि सुरक्षात्मक राजस्व प्रावधान जारी नहीं रखा जाता है तो सीजीएसटी और एसजीएसटी के लिए 50% फॉर्मूला को एसजीएसटी 80-70% और सीजीएसटी 20-30% में बदल दिया जाना चाहिए.
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क्या होता है सेस :सेस भी दरअसल एक प्रकार का कर होता है. जो आपके मुख्य टैक्स के ऊपर और अलग से लगता है. यह सामान्य टैक्स से इस मायने में अलग होता है कि मुख्य टैक्स का पैसा सरकार अपनी जरूरत के हिसाब से किसी भी मद में खर्च कर सकती है, जबकि सेस टैक्स से मिली रकम को सिर्फ उसी मद में खर्च किया जाता है, जिस मद के लिए वह सेस लिया गया है.