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मुर्गे की बर्थडे पार्टी में काजू कतली और श्रीखंड का भोज

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Published : Sep 25, 2021, 2:28 PM IST

Updated : Sep 25, 2021, 7:02 PM IST

लोगों के लिए सिर्फ मुर्गा खाने की अच्छी डिश होता है. इस दृष्टिकोण को बदलने के लिए नागपुर के कागदेलवार परिवार ने मुर्गे को अपने घर का सदस्य बना लिया है. कागदेलवार परिवार का कहना है कि हमें हमेशा यह याद रहे की मुर्गा हमारे घर का सदस्य है. इसके लिए हर साल मुर्गे का जन्मदिन (Chicken Birthday) बना रहे है. मुर्गे की इस बर्थडे पार्टी (chicken birthday party) में पड़ोस के कुत्ते बुलेट को निमंत्रण मिला. पार्टी में मुर्गे की पसंदीदा व्यंजन काजू-कतली और श्रीखंड परोसा गया.

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मुर्गे का जन्मदिन

नागपुर\रायपुर: आपने पहले भी कई पालतू जानवरों का जन्मदिन मनाते लोगों को देखा होगा, लेकिन कभी आपने किसी मुर्गे का जन्मदिन (Chicken Birthday) मनाते हुए देखा है? शायद नहीं. हम आपको आज नागपुर के एक ऐसे परिवार से मिलाते है जो हर साल मुर्गे का जन्मदिन मनाता है. नागपुर जिले के उमडेर में रहने वाले कागदेलवार परिवार (Kagdelwar family) हर साल बड़ी ही धूमधाम से मुर्गे का जन्मदिन मनाता है.इस साल भी ये जन्मदिन मनाया गया. यह जन्मदिन इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि इस परिवार ने मुर्गे का जन्मदिन साधारण तरीके से नहीं बल्कि धूमधाम से मनाया.

मुर्गे का जन्मदिन

नॉनवेज प्रमियों की सबसे पसंदिदा व्यंजन को इस परिवार ने घर का सदस्य बना लिया है. इस बात पर आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन यह बात 100 प्रतिशत सत्य है. मुर्गे का जन्मदिन धुमधाम से मनाने वाले उमाकांत कागदेलवार बताते है कि उनके बच्चे मुर्गे को अपने भाई के समान प्यार करते है. हमने इसका नाम कुचा रखा है. यह हमें 20 सितंबर को मिला था, इसलिए इसी दिन कुचा का जन्मदिन मानाया है.

मुर्गा घर का सदस्य कैसे बना?

उमाकांत कागदेलवार ने बताया कि साल भर पहले आज ही के दिन हमें एक चूजा मिला था. एक साल में ही यह चूजा हमारे घर का सदस्य बन गया. यह मुर्गा रोज सुबह चाय और परमल खाता है, ये चीज मुर्गे को बहुत पसंद है. यह बचपन से ही कुच कुच करता था इसलिए हमने इसका नाम 'कुचा' रख दिया. देखते-देखते एक साल बिता और यह कुचा से 'कुचा सेठ' बन गया.

कहां 50 साल के "बुड्ढे" फिर से हो गए "जवान" !

यह सिर्फ नाम का कुचा सेठ नहीं है, बल्कि इस मुर्गे के ठाठ भी ऐसे ही है. मुर्गे को खाने में रोजाना काजू, मुंगफली के दाने, श्रीखंड और काजू कतली मिलती है. इसके अलावा भी मुर्गे की कई पसंदीदा चीजे है. उमाकांत की बेटी सुरभी बताती है कि मुर्गे को मीठा खाना बहुत पसंद है.

मेहमान बनकर आया पड़ोस का कुत्ता

उमाकांत का कहना है कि हम इस मुर्गे को बच्चे की तरह पालते है. इसे मिले हुए 20 सितंबर एक वर्ष हो गया था. इसलिए इसकी जन्म तारीख 20 सितंबर ही तय की है. जन्मदिन के दिन परिवारजनों ने सबसे मुर्गे को गद्दी वाली कुर्सी पर बैठाया. इसके बाद घर की सजावट की. मुर्गे की पसंद का खाना बनाया गया, इसके बाद श्रीखंड से मुर्गे का मुंह मीठा करवाया. मुर्गे के जन्मदिन पर पड़ोस का बुलेट नाम का कुत्ता मेहमान बनकर आया.

लोगों के लिए यह खाने का व्यंजन, हमारे लिए घर का सदस्य

कागदेलवार परिवार का कहना है कि मुर्गा लोगों के लिए भले ही खाने का कोई व्यंजन हो, लेकिन ये मुर्गा हमारे लिए हमारे घर का सदस्य है. हम इसको अपने बच्चे की तरह पालते है. हम इसकी जीवन भर देखभाल करेंगे. हम कुचा मिलने की याद में हर साल उसका जन्मदिन मनाएंगे.

नागपुर\रायपुर: आपने पहले भी कई पालतू जानवरों का जन्मदिन मनाते लोगों को देखा होगा, लेकिन कभी आपने किसी मुर्गे का जन्मदिन (Chicken Birthday) मनाते हुए देखा है? शायद नहीं. हम आपको आज नागपुर के एक ऐसे परिवार से मिलाते है जो हर साल मुर्गे का जन्मदिन मनाता है. नागपुर जिले के उमडेर में रहने वाले कागदेलवार परिवार (Kagdelwar family) हर साल बड़ी ही धूमधाम से मुर्गे का जन्मदिन मनाता है.इस साल भी ये जन्मदिन मनाया गया. यह जन्मदिन इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि इस परिवार ने मुर्गे का जन्मदिन साधारण तरीके से नहीं बल्कि धूमधाम से मनाया.

मुर्गे का जन्मदिन

नॉनवेज प्रमियों की सबसे पसंदिदा व्यंजन को इस परिवार ने घर का सदस्य बना लिया है. इस बात पर आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन यह बात 100 प्रतिशत सत्य है. मुर्गे का जन्मदिन धुमधाम से मनाने वाले उमाकांत कागदेलवार बताते है कि उनके बच्चे मुर्गे को अपने भाई के समान प्यार करते है. हमने इसका नाम कुचा रखा है. यह हमें 20 सितंबर को मिला था, इसलिए इसी दिन कुचा का जन्मदिन मानाया है.

मुर्गा घर का सदस्य कैसे बना?

उमाकांत कागदेलवार ने बताया कि साल भर पहले आज ही के दिन हमें एक चूजा मिला था. एक साल में ही यह चूजा हमारे घर का सदस्य बन गया. यह मुर्गा रोज सुबह चाय और परमल खाता है, ये चीज मुर्गे को बहुत पसंद है. यह बचपन से ही कुच कुच करता था इसलिए हमने इसका नाम 'कुचा' रख दिया. देखते-देखते एक साल बिता और यह कुचा से 'कुचा सेठ' बन गया.

कहां 50 साल के "बुड्ढे" फिर से हो गए "जवान" !

यह सिर्फ नाम का कुचा सेठ नहीं है, बल्कि इस मुर्गे के ठाठ भी ऐसे ही है. मुर्गे को खाने में रोजाना काजू, मुंगफली के दाने, श्रीखंड और काजू कतली मिलती है. इसके अलावा भी मुर्गे की कई पसंदीदा चीजे है. उमाकांत की बेटी सुरभी बताती है कि मुर्गे को मीठा खाना बहुत पसंद है.

मेहमान बनकर आया पड़ोस का कुत्ता

उमाकांत का कहना है कि हम इस मुर्गे को बच्चे की तरह पालते है. इसे मिले हुए 20 सितंबर एक वर्ष हो गया था. इसलिए इसकी जन्म तारीख 20 सितंबर ही तय की है. जन्मदिन के दिन परिवारजनों ने सबसे मुर्गे को गद्दी वाली कुर्सी पर बैठाया. इसके बाद घर की सजावट की. मुर्गे की पसंद का खाना बनाया गया, इसके बाद श्रीखंड से मुर्गे का मुंह मीठा करवाया. मुर्गे के जन्मदिन पर पड़ोस का बुलेट नाम का कुत्ता मेहमान बनकर आया.

लोगों के लिए यह खाने का व्यंजन, हमारे लिए घर का सदस्य

कागदेलवार परिवार का कहना है कि मुर्गा लोगों के लिए भले ही खाने का कोई व्यंजन हो, लेकिन ये मुर्गा हमारे लिए हमारे घर का सदस्य है. हम इसको अपने बच्चे की तरह पालते है. हम इसकी जीवन भर देखभाल करेंगे. हम कुचा मिलने की याद में हर साल उसका जन्मदिन मनाएंगे.

Last Updated : Sep 25, 2021, 7:02 PM IST
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