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ऐसा क्या है कि छत्तीसगढ़ में जेठ माह में नवविवाहिताएं नहीं जाती मायके

do not go maternal home in month of Jeth: छत्तीसगढ़ अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है. यहां आज कुछ ऐसी परंपराएं है जो सदियों से चली आ रही है. ऐसी ही एक परंपरा है जेठ के महीने में नवविवाहितों के मायके ना जाने की. इसे लेकर मिली जुली बातें सामने आ रही है. जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

jeth month Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में नवविवाहिताओं के लिए जेठ माह को लेकर मान्यता
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Published : Jun 20, 2022, 1:27 PM IST

Updated : Jun 20, 2022, 1:34 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में पीढ़ी दर पीढ़ी एक ऐसी मान्यता चली आ रही है. जिसका पालन तो किया जाता है लेकिन ज्यादातर लोगों को उसकी वजह की जानकारी नहीं है. ये मान्यता है जेठ (जेष्ठ )माह में नव विवाहित महिलाओं को मायके नहीं भेजे जाने की. इस परंपरा के पीछे एक तरफ धर्म का आधार है तो दूसरी तरफ वैज्ञानिक पहलू भी है.(Recognition for month of Jeth for newlyweds )

छत्तीसगढ़ में नवविवाहिताओं के लिए जेठ माह को लेकर मान्यता

ज्योतिशाचार्य प्रफुल्ल दुबे के अनुसार " जेष्ठ महीना में सूर्य उच्च राशि में 90 दिन में आता है. इस दौरान सूर्य प्रचण्ड रूप में होता है. सूर्य अग्नि तत्व है, और जेठ का नक्षत्र जल तत्व है. विवाह होने के बाद कन्या दूसरे गोत्र की हो जाती है. अग्नि और जल तत्व के मिलन से भाप पैदा होती है. अग्नि से भी ज्यादा जलन भाप के जलन से होती है. इसलिए कन्या यदि जेठ माह में मायके जाए तो ना वो जल तत्व की होगी ना ही अग्नि तत्व की होगी. वह भाप बनकर हवा तत्व में रह जाएगी. उस महिला का गर्भ जल तत्व में रहता है. ऐसी स्तिथि में जल तत्व में भाप तत्व में रहे तो वह गर्भ के लिए हानिकारक है. इसलिए छत्तीसगढ़ में यह मान्यता है की जेठ महीने में नवविवाहित महिलाओं को मायके नहीं भेजा जाता." (Significance of Jeth month in Chhattisgarh)

ज्येष्ठ नक्षत्र में बड़े बेटे और बेटी का भी नहीं होता विवाह: ज्योतिष प्रफुल्ल दुबे ने बताया कि " ज्येष्ठ (जेठ) माह में घर के बड़े लड़की या बड़ी लड़के का विवाह भी नहीं किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ वर, ज्येष्ठ कन्या और ज्येष्ठ माह हो तो उस समय विवाह नहीं किया जाता. हमारे हिंदू धर्म में विवाह संस्कार धार्मिक संस्कार माना जाता है. अगर मन, वचन और कर्म से विवाह की विधा होती है उसमें जल और अग्नि तत्व का मिलन होगा. ऐसे में भाप बनेगी. जो एक वायु तत्व है, वायु चारों तरफ हैं ऐसे में यह कहा जाता है कि ज्येष्ठ वर और ज्येषण वधु का विवाह किया जाए तो एक दूसरे की बात कोई नहीं सुनेगा.. ज्येष्ठ माह में ज्येष्ठ वर और ज्येष्ठ कन्या होना यानी तीन ज्येष्ठ का एक साथ होना वर्जित माना गया है." (which month newlyweds do not go maternal home in Chhattisgarh)

फादर्स डे 2022: शास्त्रों के अनुसार पिता का महत्व

जेठ महीने में पड़ती है ज्यादा गर्मी: साहू समाज के पारसनाथ साहू ने बताया कि "ज्येष्ठ महीने में बहुओं को मायके नहीं भेजने के पीछे यह कारण हो सकता है कि इस माह में काफी गर्मी पड़ती है. स्वास्थ्य की सुरक्षा को देखकर बहुओं को मायके ना भेजने का नियम बनाया गया होगा. स्वास्थ्य की सुरक्षा को देखकर आम आदमी भी यह प्रयास करता है कि घर के बच्चों को खुद को तपती गर्मी में कम से कम यात्रा पर जाते है."

सदियों पुरानी परंपरा आज भी जारी: जेठ महीने में नव विवाहितों के मायके नहीं जाने की परंपरा को लेकर किरण शर्मा ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. बड़े बुजुर्गों से हमने यहीं सुना है. उसे हम मानते आ रहे हैं. तीन ज्येष्ठ में शादी नहीं होती है. ज्येष्ठ माह, ज्येष्ठ कन्या, ज्येष्ठ वर. इसे अशुभ माना जाता है. इसलिए जेठ माह में विवाह नहीं होता. उसी तरह से जेठ महीने में गर्मी बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में स्वास्थ्य कारणों से भी बेटी को ना मायके के लिए लेने जाते हैं और ना ही बहुओं को मायके भेजा जाता हैं."

वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा से करनी चाहिए भवन की खुदाई

ये है वैज्ञानिक मान्यता: लोग बताते है कि "जेठ के महीने में गर्मी का प्रकोप ज्यादा रहता है. पुराने समय में आने जाने के साधन बहुत कम हुआ करते थे. उस समय लोग पैदल या बैलगाड़ियों का इस्तेमाल करते थे. तेज गर्मी के दौरान कोई बीमार ना पड़ जाए इसलिए जेठ माह में नवविवाहित कन्या को ना मायके भेजा जाता था, ना मायके से घर वाले कन्या को लेने ससुराल पहुंचते थे."




रायपुर: छत्तीसगढ़ में पीढ़ी दर पीढ़ी एक ऐसी मान्यता चली आ रही है. जिसका पालन तो किया जाता है लेकिन ज्यादातर लोगों को उसकी वजह की जानकारी नहीं है. ये मान्यता है जेठ (जेष्ठ )माह में नव विवाहित महिलाओं को मायके नहीं भेजे जाने की. इस परंपरा के पीछे एक तरफ धर्म का आधार है तो दूसरी तरफ वैज्ञानिक पहलू भी है.(Recognition for month of Jeth for newlyweds )

छत्तीसगढ़ में नवविवाहिताओं के लिए जेठ माह को लेकर मान्यता

ज्योतिशाचार्य प्रफुल्ल दुबे के अनुसार " जेष्ठ महीना में सूर्य उच्च राशि में 90 दिन में आता है. इस दौरान सूर्य प्रचण्ड रूप में होता है. सूर्य अग्नि तत्व है, और जेठ का नक्षत्र जल तत्व है. विवाह होने के बाद कन्या दूसरे गोत्र की हो जाती है. अग्नि और जल तत्व के मिलन से भाप पैदा होती है. अग्नि से भी ज्यादा जलन भाप के जलन से होती है. इसलिए कन्या यदि जेठ माह में मायके जाए तो ना वो जल तत्व की होगी ना ही अग्नि तत्व की होगी. वह भाप बनकर हवा तत्व में रह जाएगी. उस महिला का गर्भ जल तत्व में रहता है. ऐसी स्तिथि में जल तत्व में भाप तत्व में रहे तो वह गर्भ के लिए हानिकारक है. इसलिए छत्तीसगढ़ में यह मान्यता है की जेठ महीने में नवविवाहित महिलाओं को मायके नहीं भेजा जाता." (Significance of Jeth month in Chhattisgarh)

ज्येष्ठ नक्षत्र में बड़े बेटे और बेटी का भी नहीं होता विवाह: ज्योतिष प्रफुल्ल दुबे ने बताया कि " ज्येष्ठ (जेठ) माह में घर के बड़े लड़की या बड़ी लड़के का विवाह भी नहीं किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ वर, ज्येष्ठ कन्या और ज्येष्ठ माह हो तो उस समय विवाह नहीं किया जाता. हमारे हिंदू धर्म में विवाह संस्कार धार्मिक संस्कार माना जाता है. अगर मन, वचन और कर्म से विवाह की विधा होती है उसमें जल और अग्नि तत्व का मिलन होगा. ऐसे में भाप बनेगी. जो एक वायु तत्व है, वायु चारों तरफ हैं ऐसे में यह कहा जाता है कि ज्येष्ठ वर और ज्येषण वधु का विवाह किया जाए तो एक दूसरे की बात कोई नहीं सुनेगा.. ज्येष्ठ माह में ज्येष्ठ वर और ज्येष्ठ कन्या होना यानी तीन ज्येष्ठ का एक साथ होना वर्जित माना गया है." (which month newlyweds do not go maternal home in Chhattisgarh)

फादर्स डे 2022: शास्त्रों के अनुसार पिता का महत्व

जेठ महीने में पड़ती है ज्यादा गर्मी: साहू समाज के पारसनाथ साहू ने बताया कि "ज्येष्ठ महीने में बहुओं को मायके नहीं भेजने के पीछे यह कारण हो सकता है कि इस माह में काफी गर्मी पड़ती है. स्वास्थ्य की सुरक्षा को देखकर बहुओं को मायके ना भेजने का नियम बनाया गया होगा. स्वास्थ्य की सुरक्षा को देखकर आम आदमी भी यह प्रयास करता है कि घर के बच्चों को खुद को तपती गर्मी में कम से कम यात्रा पर जाते है."

सदियों पुरानी परंपरा आज भी जारी: जेठ महीने में नव विवाहितों के मायके नहीं जाने की परंपरा को लेकर किरण शर्मा ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. बड़े बुजुर्गों से हमने यहीं सुना है. उसे हम मानते आ रहे हैं. तीन ज्येष्ठ में शादी नहीं होती है. ज्येष्ठ माह, ज्येष्ठ कन्या, ज्येष्ठ वर. इसे अशुभ माना जाता है. इसलिए जेठ माह में विवाह नहीं होता. उसी तरह से जेठ महीने में गर्मी बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में स्वास्थ्य कारणों से भी बेटी को ना मायके के लिए लेने जाते हैं और ना ही बहुओं को मायके भेजा जाता हैं."

वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा से करनी चाहिए भवन की खुदाई

ये है वैज्ञानिक मान्यता: लोग बताते है कि "जेठ के महीने में गर्मी का प्रकोप ज्यादा रहता है. पुराने समय में आने जाने के साधन बहुत कम हुआ करते थे. उस समय लोग पैदल या बैलगाड़ियों का इस्तेमाल करते थे. तेज गर्मी के दौरान कोई बीमार ना पड़ जाए इसलिए जेठ माह में नवविवाहित कन्या को ना मायके भेजा जाता था, ना मायके से घर वाले कन्या को लेने ससुराल पहुंचते थे."




Last Updated : Jun 20, 2022, 1:34 PM IST
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