रायपुर: छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी के संस्थापक अजीत जोगी का आज 76वीं जन्म जयंती है. पार्टी के कार्यकर्ता उनका जन्मदिन अधिकार दिवस के रूप में मनाएंगे. रायपुर के दीनदयाल ऑडिटोरियम में दोपहर 2 बजे से जयंती समारोह का आयोजन किया गया है. जिसमें प्रदेश भर के जोगी कांग्रेसी जुटेंगे.अजित जोगी के अधूरे सपने को पूरा करने और छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़या राज-स्वराज लाने का संकल्प लेंगे.(JCCJ Swabhiman Diwas program in Raipur)
-
आपके आशीर्वाद,प्रेरणा और सहयोग से मैंने अपने पिताजी और छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्य मंत्री स्वर्गीय श्री अजीत जोगी जी के 76वीं जयंती का रायपुर में 29 अप्रैल को दोपहर 2 बजे से पंडित दीन दयाल उपाध्याय ऑडिटॉरीयम में श्रद्धाँजलि समारोह का आयोजन किया गया है।आपकी उपस्थिति प्रार्थनीय है।🙏 pic.twitter.com/W9UflNMx7Z
— Amit Ajit Jogi (@amitjogi) April 26, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">आपके आशीर्वाद,प्रेरणा और सहयोग से मैंने अपने पिताजी और छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्य मंत्री स्वर्गीय श्री अजीत जोगी जी के 76वीं जयंती का रायपुर में 29 अप्रैल को दोपहर 2 बजे से पंडित दीन दयाल उपाध्याय ऑडिटॉरीयम में श्रद्धाँजलि समारोह का आयोजन किया गया है।आपकी उपस्थिति प्रार्थनीय है।🙏 pic.twitter.com/W9UflNMx7Z
— Amit Ajit Jogi (@amitjogi) April 26, 2022आपके आशीर्वाद,प्रेरणा और सहयोग से मैंने अपने पिताजी और छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्य मंत्री स्वर्गीय श्री अजीत जोगी जी के 76वीं जयंती का रायपुर में 29 अप्रैल को दोपहर 2 बजे से पंडित दीन दयाल उपाध्याय ऑडिटॉरीयम में श्रद्धाँजलि समारोह का आयोजन किया गया है।आपकी उपस्थिति प्रार्थनीय है।🙏 pic.twitter.com/W9UflNMx7Z
— Amit Ajit Jogi (@amitjogi) April 26, 2022
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले प्रशासनिक सर्जरी पर सियासत तेज
रायपुर में जेसीसीजे का स्वाभिमान दिवस कार्यक्रम: अजीत जोगी के जयंती समारोह में जोगी परिवार समेत प्रदेश भर के कार्यकर्ता शामिल होंगे. युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप साहू ने कहा कि 'हम सभी जोगी कांग्रेसियों का सौभाग्य है कि छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय नेता जननायक अजीत जोगी जी के सानिध्य में काम करने का अवसर मिला. जोगी एक ऐसे व्यक्ति थे जो समाज के अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति की चिंता करते थे. उनके द्वार पीड़ित, शोषित, दबे कुचले पिछड़े, गरीब, आदिवासी, मजदूर, किसान सभी वर्गों के लिए चौबीसों घंटे खुले रहते थे. वे उनके न्याय की लड़ाई लड़ते थे'.