रायपुरः छत्तीसगढ़ कांग्रेस में क्या राजनीतिक नक्सलवाद (Political Naxalism) पनप रहा है? सुनने में तो यह जरूर थोड़ा अटपटा लग रहा होगा लेकिन यह अब धीरे-धीरे हकीकत बनता जा रहा है. जिस तरह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अंदर पार्टी के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, नेता, मंत्री एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप (Counter Charges) लगा रहे हैं, हत्या की साजिश, एफआईआर करा रहे हैं, उससे अब प्रदेश में ऐसी ही स्थिति निर्मित होती जा रही है.
हाल ही में विधायक बृहस्पति देव का यह बयान कि टीएस सिंह देव उनकी हत्या कराना चाहते हैं और सीएम बनना चाहते हैं, उसके बाद बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे (MLA Shailesh Pandey) के द्वारा यह कहना कि हम लोग टीएस सिंह देव (TS Singh Dew) के आदमी हैं, इसलिए हमारे खिलाफ कार्रवाई हो रही है. इस सारे विवादों के बीच पार्टी के अंदर चल रहा अंतर कलह अब खुल कर देखने को मिल रहा है. पार्टी ने भी इस मामले में शिकायत मिलने पर जांच के बाद गुण दोष के आधार पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.
समय-समय पर सुर्खियों में बने रहे पार्टी के नेता
इसके पहले ढाई ढाई साल के फार्मूले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव (Health Minister TS Singh Dew) के बीच घमासान मचा हुआ है और अब बृहस्पति सिंह देव (Brihaspati Singh Dew) और शैलेश पांडे के मामलों ने इस विवाद को और तूल दे दिया है. ऐसा पहली बार नहीं है कि जब पार्टी के अंदर मचा घमासान पार्टी के बाहर खुल कर देखने को मिल रहा है. इसके पहले चाहे पूर्व कांग्रेस प्रदेश प्रभारी नारायणसामी (Congress State In-Charge Narayanasamy) के मुंह पर कालिख पोतने का मामला हो या फिर विद्याचरण शुक्ल का पार्टी छोड़ने का केई घटना. या फिर जोगी के पार्टी से बाहर जाने का मामला.
दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के शासनकाल में भी पार्टी में कई गुट होने की बात देखने को मिलती रही. ऐसे कई मामले हैं जिन्हें लेकर पार्टी चर्चा में बनी रही. यहां तक कि झीरम घाटी नक्सली हमले में भी कहीं ना कहीं गाहे-बगाहे कांग्रेस के सदस्यों के हाथ होने की बात कही जाती रही. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है. यही वजह है कि अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस में राजनीतिक नक्सलवाद के पनपने की बात कही जा रही है. परिस्थिति ऐसी बन गई है कि मानों छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कोई नेतृत्व करने वाला ही नहीं है.
या यूं कहें कि नेतृत्व होते हुए भी नेतृत्व विहीन की तरह पार्टी चल रही है. यही कारण है कि जिन्हें पार्टी संभालने का नेतृत्व दिया गया है, उनका नियंत्रण पार्टी पर नजर नहीं आ रहा है. हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम (Congress State President Mohan Markam) इस बात से सीधे तौर पर इंकार कर रहे हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम का कहना है कि नियंत्रण सब पर है. नियंत्रण के कारण ही हम सभी अनुशासन में बंधे हुए हैं. यदि किसी के मन में कोई बात है और उन्होंने कह दी है तो कोशिश करेंगे कि भविष्य में इस तरह की बातें ना सामने आए.
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, हम सब एक हैं
पार्टी के अंदर चल रहे घमासान का आगामी चुनाव पर पड़ने वाले असर को लेकर मरकाम ने कहा कि हम सभी एकजुट हैं. एकजुटता के साथ आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. विधायक शैलेश पांडे के मामले को लेकर मरकाम ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद उसकी जांच-पड़ताल की जाएगी. कमेटी गठित करने की जरूरत पड़ेगी तो उसे भी किया जाएगा. मरकाम ने बताया कि बृहस्पति मामले में भी कांग्रेस कमेटी (Congress Committee) के द्वारा बकायदा पार्टी से निकालने के लिए कार्रवाई करने के लिए पीसीसी को दिया था. उसकी जांच करवाई गई है. हालांकि इस मामले में खुद बृहस्पति सिंह ने खेद व्यक्त किया है. क्षमा मांगा. जिसके बाद इस पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया है.
जब मरकाम से पूछा गया कि आप ने बयान दिया था कि मैं इनके साथ, उनके साथ हूं तो क्या वाकई में कांग्रेस खेमों में बंटा हुआ है? इस पर मरकाम ने कहा कि खेमें वाली बात नहीं है. हम संगठन के व्यक्ति हैं. संगठन है जहां निर्णय होता है. उस पर अमल करते हैं. हर कोई सदस्य है. सभी के बराबर बात को सुनते ओर रखते हैं. संगठन हाईकमान के निर्देशों का पालन करता है. सीएम हाउस (CM House) में आदिवासी समाज (Tribal Society) के लोगों के द्वारा कई बार मुलाकात किया गया. लेकिन इस दौरान मोहन मरकाम मुख्यमंत्री निवास पर उपस्थित नहीं थे. इसे लेकर जब सवाल किया गया तो मरकाम ने कहा कि सरकार और संगठन का काम अलग-अलग है. इसलिए उन बैठकों में शामिल नहीं रहा.
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बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, कांग्रेस में राजनीतिक आतंकवाद
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पनप रहे राजनीति नक्सलवाद को लेकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव (BJP State Spokesperson Sanjay Srivastava) ने कहा कि जिस तरीके से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार में अंतरकलह, अंतर्द्वंद, और वर्चस्व की लड़ाई चल रही है, ऐसा लग रहा है मानों राजनीतिक आतंकवाद कांग्रेस के अंदर फैला है. वैसे तो कांग्रेस का इतिहास रहा है कि कुर्सी की लड़ाई के लिए हर प्रकार का षड्यंत्र रचा जाता है. पहले वी नारायण सामी के मुंह पर कालिख पोती गई. उसके बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर द्वंद चल रहा है.
कांग्रेस का एक विधायक मंत्री पर हत्या कराए जाने का आरोप लगाता है. दूसरा विधायक आरोप लगाता है कि मुख्यमंत्री के द्वारा एक विशेष व्यक्ति के समर्थकों को फंसाया जा रहा है. इन पूरी घटनाओं को देख कर तो यही लगता है कि कांग्रेस में आतंकवाद और नक्सलवाद की प्रक्रिया चल रही है. सरकारें आती-जाती रहती हैं. सरकार की पहली प्राथमिकता होती है इस प्रदेश व देश के आम जनता की सेवा करे.
सरगुजा की कई घटनाएं देती है राजनीतिक नक्सलवाद की गवाही
पहला मामला - लगभग के वर्ष पूर्व बलरामपुर जिले के कुसमी में यूथ कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता और टी एस सिंहदेव के समर्थक विष्णुदेव सिंह सहित उनके 5 अन्य समर्थकों पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया. अवैध रेत परिवहन को रोकने के चक्कर मे हुये विवाद में इन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के ऊपर इनकी ही सरकार में एट्रोसिटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया.
दूसरा मामला - मंत्री के जन्म दिन पर खुलेआम सोशल डिस्टसिंग कर धज्जियां उड़ाये जाने पर भी मौन रहने वाला सरगुजा जिला प्रशासन सरगुज़ा की आराध्य देवी और टी एस सिंहदेव की कुलदेवी मां महामाया मंदिर पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. लॉकडाउन का उल्लंघन तमाम स्थानों पर हुआ लेकिन इतनी बड़ी कार्रवाई सिर्फ इस मंदिर प्रशासन पर हुआ.
तीसरा मामला - महामारी अधिनियम के तहत भी प्रदेश की सबसे बड़ी करवाई सिंहदेव समर्थकों के ऊपर ही हुई है. सिंहदेव के करीबी कांग्रेस ओबीसी मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रकाश साहू और जिला कांग्रेस के महामंत्री सरोज साहू के घर विवाह के बाद 9 लाख 36 हजार रुपये का जुर्माना सरगुजा कलेक्टर ने लगया. जबकि इस तरह के आयोजन तमाम शहर में होते रहे हैं. प्रशासन को वहां झांकने की भी फुर्सत नहीं होती.
चौथा मामला- विधायक बृहस्पति सिंह के सुरक्षाकर्मियों से रोड क्रॉस करने के चक्कर मे सिंहदेव समर्थक और बृहस्पति सिंह के समर्थकों में विवाद हो गया. इस मामले में बृहस्पति सिंह ने टी एस सिंहदेव के ऊपर हत्या की साजिश का आरोप लगा दिया. हालांकि बाद में सरकार ने इस मामले सदन में सफाई दी. उसके बाद वीरभद्र सिंह जो जनपद लुंड्रा के उपाध्यक्ष हैं. उनपर गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. फिलहाल वो जमानत पर बाहर हैं.
पांचवां मामला - बलरामपुर जिले में टी एस सिंहदेव समर्थक 3 सरपंचों को कलेक्टर ने बर्खास्त कर दिया है और एक जनपद सदस्य को बर्खास्त करने की कार्रवाई चल रही है.