रायपुर: कोरोना संक्रमण से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है. जहां बड़े-छोटे कारोबार प्रभावित हुए हैं तो वहीं आर्थिक तंगी की वजह से कई दुकानों में ताला भी लग गया है. इस दौरान सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और व्यस्त क्षेत्र मेडिकल का रहा है. अस्पतालों में डॉक्टर लगातार संक्रमित मरीजों को ठीक करने में लगे हुए हैं. इस बीच ऑर्गेन डोनेशन पर भी कोरोना का प्रभाव साफ देखने को मिला है.
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सामान्य दिनों की अगर बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में ऑर्गेन डोनेशन की सुविधा नहीं है. रायपुर में अधिकतर आंखों का डोनेशन किया जाता है. इसके अलावा किडनी डोनेशन के कुछ गिने-चुने मामले है. ऑर्गन डोनेशन विषय पर रायपुर मेकाहारा अस्पताल के एनाटाॅमी विभाग के एचओडी डॉक्टर मानिक चटर्जी से ETV भारत ने खास बातचीत की.
सवाल: कोविड के समय क्या पहले की तरह ही ऑर्गेन डोनेशन छत्तीसगढ़ में देखने मिला है?
जवाब: ऑर्गेन डोनेशन छत्तीसगढ़ और रायपुर में नहीं किया जाता. इसकी सुविधा हमारे पास अभी नहीं है, लेकिन कॉर्निया डोनेट किया जाता है. बाकी कोई ऑर्गेन डोनेशन की सुविधा यहां नहीं है. निश्चित रुप से कोविड के समय ये प्रभावित हुआ है. कोविड की सीमा से जो पूरी तरह मुक्त हो उसकी ही की जा सकती है.
सवाल: डोनेशन के लिए किस तरह की गाइडलाइन थी?
जवाब: ऑर्गेन डोनेशन का एक विस्तृत गाइडलाइन है. इसके बहुत से नियम हैं, जिनका पालन किया जाता है. यहां अभी इसके लिए सेटअप नहीं है. इसलिए रेगुलर बेस पर नहीं किया जाता है. ऑर्गेन डोनेशन उन लोगों का किया जाता है जो ब्रेन डेड होते हैं या जिनके बचने की कोई उम्मीद नहीं रहती, तब उनकी परमिशन से किया जाता है. रायपुर में इतना होता नहीं है अभी, लेकिन एक-दो बाहर से आकर करते होंगे.
सवाल: कोविड के समय क्या लोग डोनर के लिए परेशान हुए हैं?
जवाब: कोविड के समय बाकि मरीजों को परेशानियां हुई थी. मेकाहारा को कोविड अस्पताल बना दिया गया था. मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया. कई सर्जरी पोस्टपोन किया गया. ऑर्गेन डोनेशन में भी इसका प्रभाव पड़ा है.
सवाल: जो लोग डोनेशन के लिए आए थे उनके क्या सवाल रहते थे?
जवाब: जिनको डोनेट करना है वो डरे हुए नहीं रहते थे, क्योंकि ज्यादातर लोग अपने परिचितों को ही डोनेट करते थे. इस दौरान रिसीव करने वालों को डोनेट करने वालों से ज्यादा परेशानियां आई थी.