रायपुरः अब तक आप सभी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस भी मनाया जाता है. जी हां, महिला दिवस की तर्ज पर ही पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस भी मनाया जाता (International Men's Day is also celebrated in the world) है. यह दिन 19 नवंबर को मनाया जाता है. इस दिन को लैंगिग समानता और पुरुषों के अधिकार की बात करने के लिए भी जाना जाता है.
महिला दिवस पर उठी थी अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की आवाज
इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ही संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण (Second phase of budget session of Parliament) की शुरुआत हुई थी. इस दौरान राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह ने सदन के पटल से अंंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की मांग रखी. अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की भी मांग (International Men's Day also demanded) राज्यसभा सांसद और मशहूर नृत्यांगना सोनल मानसिंह जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बोलने के लिए खड़ी हुईं तो उन्होंने कहा कि हम बराबरी की बात करते हैं. इसलिए वह सदन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की भी मांग करती हैं.
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पुरुष विकास मंत्रालय व राष्ट्रीय पुरुष आयोग के गठन की उठ चुकी है मांग
जानकारी के मुताबिक कुछ साल पहले भारत में मौजूद All India Men Welfare Association ने सरकार से एक खास मांग की और कहा कि वो महिला विकास मंत्रालय की तरह ही पुरुष विकास मंत्रालय भी बनाए. साथ ही राष्ट्रीय पुरुष आयोग का गठन हो. लिंग समानता का मतलब समानता की तरह पेश करे. नारी के बिना जीवन अधूरा है, लेकिन पुरुष भी उस जीवन को जीवंत बनाने में योगदान देते हैं. मां बच्चे को पेट में पालती है तो पिता भविष्य में आने वाली उसकी जरूरतों को दिमाग में पालता है. बतौर पिता-भाई, दोस्त, दादा, चाचा, मामा, नाना पुरुष कई किरदार हमारे-आपके जीवन में निभाते हैं, जिनकी काफी अहमियत होती है.
कब मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस?
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस के बारे में बात करें तो यह दिन हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 7 फरवरी 1992 को थॉमस ओस्टर द्वारा की गई थी.
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क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस?
कहा जाता है कि भारत एक पुरुष प्रधान देश है. बाकी जिसके आखिर क्या वजह है कि यहां आप पुरुष दिवस मनाने की जरूरत पड़ने लगी. जबकि यहां तक कि महिला दिवस मनाया जाता रहा है. लेकिन आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि अब ऐसी परिस्थिति निर्मित हो गई है कि अब पुरुषों को भी अपने अधिकारों के लिए पुरुष दिवस टीम बनाना पड़ रहा है. आज पुरुष भी कई तरह की समस्याओं से लड़ रहा है. जूझ रहा है. और यह बात भी सामने आ रही है कि इन समस्याओं की वजह से आज आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या ज्यादा होती है.
आत्महत्या करने वालों में 76 फीसदी पुरुष
आकड़ों पर नजर डालें तो 76 फीसदी आत्महत्याएं पुरुष करते हैं (76% of suicides are committed by men). 85 फीसदी बेघर लोग पुरुष हैं. 70 फीसदी हत्याएं पुरुषों की हुई हैं. घरेलू हिंसा के शिकारों में भी 40 फीसदी पुरुष हैं तो अगर महिला और पुरुष को समानता के पैमाने पर रखना है तो महिला दिवस के साथ-साथ पुरुष दिवस भी मनाना जरूरी है. इन्हीं सब कारणों के चलते पुरुष दिवस को भी मनाया जाता है.
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का यह रहा इतिहास
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस के इतिहास के बारे में बात करें तो यह दिन हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 7 फरवरी 1992 को थॉमस ओस्टर द्वारा की गई थी. अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की के बारे में थॉमस ओस्टर ने एक साल पहले 8 फरवरी 1991 को ही सोच लिया था. इसके बाद 1999 में इस परियोजना को त्रिनिदाद और टोबैगो ने शुरू किया और तबसे यह प्रचलन में आ गया.
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भारत में 2007 में पहली बार मनाया गया अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस
भारत में पहली बार 2007 में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया. पहले से ही 8 मार्च 1923 से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता रहा है. ऐसे में ऐसे किसी एक दिन की जरूरत पुरुषों के लिए भी महसूस हुई. इस दिन को मनाने के पीछे एक बड़ा कारण लैंगिक समानता को बढ़ावा देना भी था.
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य था कि जिन लोगों ने समाज में बदलाव लाने की कोशिश की है उनको सम्मानित करना. साथ ही इस दिवस का उद्देश्य ये भी है कि मर्द जो मानसिक तकलीफें झेल रहे हैं उनको दुनिया के सामने लाना और इस मुद्दे पर एक चर्चा शुरू हो पाए.
कैसे मनाते हैं अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस?
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के प्रस्तावित उद्देश्यों में पुरुषों का और लड़कों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना, लिंग संबंधों में सुधार, लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और सकारात्मक पुरुष भूमिका मॉडल को उजागर करना शामिल है. यह एक ऐसे अवसर के रूप में भी सुझाया गया है, जिसके तहत पुरुष उनके खिलाफ भेदभाव को उजागर कर सकते हैं और अपनी सकारात्मक उपलब्धियों और समुदायों, कार्य स्थानों, मित्रता, परिवारों, विवाह और बाल देखभाल में योगदान के लिए मना सकते हैं.