रायपुर: पिछले तीन सालों से देश में नक्सल घटनाओं में हालांकि कमी आई है. लेकिन छत्तीसगढ़ में हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए है. लोकसभा में गृहमंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले तीन सालों में देशभर में 2168 घटनाएं हुई हैं. इनमें से अकेले छत्तीसगढ़ में हुए 970 नक्सली हमले (Naxalite violence in Chhattisgarh) शामिल हैं. इसी तरह इन घटनाओं में देश भर में 625 लोग मारे गए हैं. इनमें से 341 मौत अकेले छत्तीसगढ़ में हुई है. यानी नक्सल हिंसा में भले ही देश में कमी दर्ज की जा रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में स्थिति में सुधार नहीं कहा जा सकता. छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड में ज्यादा नक्सली वारदात हुई हैं. यहां इन तीन सालों में 604 वारदातें हुई हैं. इनमें 128 लोग मारे गए हैं.
छत्तीसगढ़ का एक नया जिला बना नक्सल प्रभावित
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट (home ministry report on Naxalite violence in Chhattisgarh ) के अनुसार भूगौलिक रूप से नक्सली क्षेत्र में भी कमी आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय नीति और योजनाओं के चलते नक्सली क्षेत्र सिमटा है. लेकिन छत्तीसगढ़ में इस साल एक नया जिला 'मुंगेली' नक्सल प्रभावित क्षेत्र (Mungeli became the new Naxal affected district) में शामिल हो गया. प्रदेश में इस वक्त ये 14 जिले नक्सल प्रभावित लिस्ट में शामिल हैं-
बलरामपुर, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव, धमतरी, गरियाबंद, राजनांदगांव, महासमुंद, कबीरधाम, मुंगेली शामिल हैं.
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बाकी राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं मिल रही सफलता
इस रिपोर्ट के बाद ये भी बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर जब देशभर में नक्सली वारदातों में कमी आ रही है तो छत्तीसगढ़ में क्यों ये नीति सफल नहीं हो पा रही है. इस पर मंथन होनी चाहिए कि आखिर छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के दबाव के बावजूद वारदातों में कमी क्यों नहीं आ रही. नक्सली बखौलाहट में आए दिन आम ग्रामीणों को भी निशाना बना रहे हैं.
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आदिवासी नेतृत्व भी सरकार के रुख से नाखुश !
बस्तर के आदिवासी नेताओं ने भी अब ये कहना शुरू कर दिया है कि नक्सल को लेकर सरकार का रुख साफ नहीं है. हाल ही में ETV भारत से बात करते हुए वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम (arvind netam) ने कहा था कि ये बहुत बड़ी विडंबना है कि इस समस्या के सबसे पीड़ित भोलेभाले आदिवासी हैं और उन्हीं से कोई भी सरकार बात नहीं करती.