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कोरोना ने रोका हरियाली का रास्ता: घाटे की वजह से उद्योगों ने नहीं दिया अनुदान, हरियर छत्तीसगढ़ योजना बुरी तरह प्रभावित

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Published : Jul 12, 2021, 9:43 PM IST

कोरोना काल में हरियर छत्तीसगढ़ योजना (hariyar chhattisgarh yojana) प्रभावित होती नजर आ रही है. क्योंकि उद्योगों से मिलने वाला अनुदान बंद हो गया है. इसकी सीधा असर वृक्षारोपण पर पड़ा है. जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ की हरियाली कम होती नजर आ रही है.

hariyar chhattisgarh yojana
हरियर छत्तीसगढ़ योजना बुरी तरह प्रभावित

रायपुर: छत्तीसगढ़ को हरा-भरा करने के लिए कई सरकारों ने योजनाएं ((hariyar chhattisgarh yojana)) संचालित की. चाहे वह बीजेपी की सरकार रही हो या कांग्रेस की सरकार. मानसून के समय इस तरह की योजनाओं का ज्यादा प्रसार होता है. लेकिन छत्तीसगढ़ में हरियर छत्तसीगढ़ योजना की रफ्तार मंद (hariyar chhattisgarh yojana slowed down ) होती दिख रही है. इसकी वजह है उद्योगों से मिलने वाला अनुदान (non receipt of grant from industries) जो अब तक सरकार को नहीं मिल सका है

कोरोना काल में हरियर छत्तीसगढ़ योजना

उद्योगों की तरफ से हरियर छत्तीसगढ़ योजना के लिए अनुदान दिया जाता रहा है. इस राशि का उपयोग वन विभाग वृक्षारोपण और उसके रख रखाव पर करता है. लेकिन कोरोना काल में कहीं ना कहीं यह हरियर छत्तीसगढ़ योजना (hariyar chhattisgarh scheme affected by Corona) प्रभावित होती नजर आ रही है. क्योंकि उद्योगों से मिलने वाला अनुदान बंद हो गया है. जिस वजह से हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत लगाए जाने वाले पौधों की (greenery of chhattisgarh) संख्या में भी काफी कमी आई है.

साल 2016 में शुरू की गई थी हरियर छत्तीसगढ़ योजना

तत्कालीन भाजपा सरकार के द्वारा साल 2016 में उद्योगपतियों की एक (lack of forest department funds) बैठक बुलाई गई थी जिसमें हरियर छत्तीसगढ़ योजना की रूपरेखा तैयार कर, इस अभियान की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत प्रदेश भर के उद्योगपतियों को स्वेच्छा से अनुदान देना था. इसके लिए कुल 5 साल का डीपीआर 362 करोड़ रुपए बनाया गया था. पहले साल उद्योगपतियों की तरफ से इस योजना के लिए भरपूर स्वेच्छा अनुदान दिया गया. लेकिन दूसरे और तीसरे साल में यह राशि लगातार कम होती गई. इस योजना के तहत उद्योगपतियों की तरफ से तीन वर्षों में 197 करोड़ रुपए वन विभाग को दिए गए. जिससे प्रदेश की हरियाली पर असर पड़ा है.

हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत पिछले 3 सालों में नहीं लगा एक भी पौधा

करीब तीन साल के बाद से उद्योगों की तरफ से यह अनुदान राशि मिलनी बंद हो गई है. यही वजह है कि साल 2019 से अब तक एक भी पौधा इस मद से नहीं लग पाया है. अब तो हाल ये है कि यह योजना बंदी के कगार पर है. आइए एक नजर डालते हैं इस योजना के माध्यम से प्रदेश भर में लगाए गए पौधे और उसमें जीवित बचे पौधों के आंकड़ पर.

इस योजना के तहत साल 2016-17 में 4,92,962 पौधे लगाए गए थे जिसमें से 82 फ़ीसदी पौधे जीवित अवस्था में हैं. वही इस साल 2017-18 में 21,40,743 पौधे लगाए गए थे. जिसमें से 87 फ़ीसदी पौधे जीवित अवस्था में हैं. साथ ही साल 2018-19 में 3,53,210 पौधे लगाए थे जिसमें से 82 फ़ीसदी पौधे जीवित बचे हुए हैं. तो वहीं दूसरे योजनाओं से प्रदेश में जो वृक्षारोपण का काम किया गया है. उसकी बात करें तो साल 2019 में पूरे प्रदेश में 5.30 करोड़ पौधारोपण किया गया था. वहीं साल 2020 में 4.85 करोड और साल 2021 में 3.74 करोड़ वृक्षारोपण किया गया है. यह संख्या निरंतर घटती जा रही है जो कहीं ना कहीं चिंता का विषय बनी हुई है.

नहीं मिला उद्योगों से अनुदान

पर्यावरणविद नितिन सिंघवी का कहना है कि उद्योगों द्वारा स्वच्छ अनुदान दिया जाता है. लेकिन उनकी बाध्यता नहीं है, पहले वे सामान्य दिनों में ज्यादा अनुदान देते थे ,लेकिन पिछले 2 सालों में कोरोना और लॉक डाउन के कारण उद्योगपतियों को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ी है. इसलिए उद्योगों की तरफ से अनुदान मिलना बंद हो गया. जिससे वृक्षारोपण और हरियाली पर असर पड़ा है. सिंघवी का कहना है कि, इसके अलावा भी वृक्षारोपण के लिए वन विभाग के पास विभिन्न मदों से पर्याप्त राशि मिलती रहती है. इस राशि का उपयोग कर भी वृक्षारोपण अभियान को सुचारू रूप से संचालित किया जा सकता है.

वन विभाग के पास भी है राशि की कमी

जानकारी के मुताबिक कोरोना काल मे वन विभाग के पास भी राशि का अभाव है. जिस वजह से सिर्फ पूर्व में लगाए गए पौधों का रखरखाव ही हो पा रहा है. कुछ दिन पहले वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने उद्योगपतियों की एक बैठक बुलाई थी. इस बैठक में उन्होंने उद्योगपतियों से अनुदान राशि देने की बात भी कही थी. लेकिन वर्तमान स्थिति तक इन उद्योगपतियों की तरफ से वन विभाग को अनुदान राशि मुहैया नहीं कराई गई है. हरियर छत्तीसगढ़ योजना पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

बहरहाल उद्योगों से अनुदान ना मिलने की वजह से हरीयर छत्तीसगढ़ योजना पर खासा प्रभाव पड़ा है. देखने वाली बात है कि आने वाले दिनों में इस योजना को सुचारु रुप से संचालित करने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है. अगर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह योजना ठंडे बस्ते में जा सकती है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ को हरा-भरा करने के लिए कई सरकारों ने योजनाएं ((hariyar chhattisgarh yojana)) संचालित की. चाहे वह बीजेपी की सरकार रही हो या कांग्रेस की सरकार. मानसून के समय इस तरह की योजनाओं का ज्यादा प्रसार होता है. लेकिन छत्तीसगढ़ में हरियर छत्तसीगढ़ योजना की रफ्तार मंद (hariyar chhattisgarh yojana slowed down ) होती दिख रही है. इसकी वजह है उद्योगों से मिलने वाला अनुदान (non receipt of grant from industries) जो अब तक सरकार को नहीं मिल सका है

कोरोना काल में हरियर छत्तीसगढ़ योजना

उद्योगों की तरफ से हरियर छत्तीसगढ़ योजना के लिए अनुदान दिया जाता रहा है. इस राशि का उपयोग वन विभाग वृक्षारोपण और उसके रख रखाव पर करता है. लेकिन कोरोना काल में कहीं ना कहीं यह हरियर छत्तीसगढ़ योजना (hariyar chhattisgarh scheme affected by Corona) प्रभावित होती नजर आ रही है. क्योंकि उद्योगों से मिलने वाला अनुदान बंद हो गया है. जिस वजह से हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत लगाए जाने वाले पौधों की (greenery of chhattisgarh) संख्या में भी काफी कमी आई है.

साल 2016 में शुरू की गई थी हरियर छत्तीसगढ़ योजना

तत्कालीन भाजपा सरकार के द्वारा साल 2016 में उद्योगपतियों की एक (lack of forest department funds) बैठक बुलाई गई थी जिसमें हरियर छत्तीसगढ़ योजना की रूपरेखा तैयार कर, इस अभियान की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत प्रदेश भर के उद्योगपतियों को स्वेच्छा से अनुदान देना था. इसके लिए कुल 5 साल का डीपीआर 362 करोड़ रुपए बनाया गया था. पहले साल उद्योगपतियों की तरफ से इस योजना के लिए भरपूर स्वेच्छा अनुदान दिया गया. लेकिन दूसरे और तीसरे साल में यह राशि लगातार कम होती गई. इस योजना के तहत उद्योगपतियों की तरफ से तीन वर्षों में 197 करोड़ रुपए वन विभाग को दिए गए. जिससे प्रदेश की हरियाली पर असर पड़ा है.

हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत पिछले 3 सालों में नहीं लगा एक भी पौधा

करीब तीन साल के बाद से उद्योगों की तरफ से यह अनुदान राशि मिलनी बंद हो गई है. यही वजह है कि साल 2019 से अब तक एक भी पौधा इस मद से नहीं लग पाया है. अब तो हाल ये है कि यह योजना बंदी के कगार पर है. आइए एक नजर डालते हैं इस योजना के माध्यम से प्रदेश भर में लगाए गए पौधे और उसमें जीवित बचे पौधों के आंकड़ पर.

इस योजना के तहत साल 2016-17 में 4,92,962 पौधे लगाए गए थे जिसमें से 82 फ़ीसदी पौधे जीवित अवस्था में हैं. वही इस साल 2017-18 में 21,40,743 पौधे लगाए गए थे. जिसमें से 87 फ़ीसदी पौधे जीवित अवस्था में हैं. साथ ही साल 2018-19 में 3,53,210 पौधे लगाए थे जिसमें से 82 फ़ीसदी पौधे जीवित बचे हुए हैं. तो वहीं दूसरे योजनाओं से प्रदेश में जो वृक्षारोपण का काम किया गया है. उसकी बात करें तो साल 2019 में पूरे प्रदेश में 5.30 करोड़ पौधारोपण किया गया था. वहीं साल 2020 में 4.85 करोड और साल 2021 में 3.74 करोड़ वृक्षारोपण किया गया है. यह संख्या निरंतर घटती जा रही है जो कहीं ना कहीं चिंता का विषय बनी हुई है.

नहीं मिला उद्योगों से अनुदान

पर्यावरणविद नितिन सिंघवी का कहना है कि उद्योगों द्वारा स्वच्छ अनुदान दिया जाता है. लेकिन उनकी बाध्यता नहीं है, पहले वे सामान्य दिनों में ज्यादा अनुदान देते थे ,लेकिन पिछले 2 सालों में कोरोना और लॉक डाउन के कारण उद्योगपतियों को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ी है. इसलिए उद्योगों की तरफ से अनुदान मिलना बंद हो गया. जिससे वृक्षारोपण और हरियाली पर असर पड़ा है. सिंघवी का कहना है कि, इसके अलावा भी वृक्षारोपण के लिए वन विभाग के पास विभिन्न मदों से पर्याप्त राशि मिलती रहती है. इस राशि का उपयोग कर भी वृक्षारोपण अभियान को सुचारू रूप से संचालित किया जा सकता है.

वन विभाग के पास भी है राशि की कमी

जानकारी के मुताबिक कोरोना काल मे वन विभाग के पास भी राशि का अभाव है. जिस वजह से सिर्फ पूर्व में लगाए गए पौधों का रखरखाव ही हो पा रहा है. कुछ दिन पहले वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने उद्योगपतियों की एक बैठक बुलाई थी. इस बैठक में उन्होंने उद्योगपतियों से अनुदान राशि देने की बात भी कही थी. लेकिन वर्तमान स्थिति तक इन उद्योगपतियों की तरफ से वन विभाग को अनुदान राशि मुहैया नहीं कराई गई है. हरियर छत्तीसगढ़ योजना पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

बहरहाल उद्योगों से अनुदान ना मिलने की वजह से हरीयर छत्तीसगढ़ योजना पर खासा प्रभाव पड़ा है. देखने वाली बात है कि आने वाले दिनों में इस योजना को सुचारु रुप से संचालित करने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है. अगर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह योजना ठंडे बस्ते में जा सकती है.

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