रायपुर: मनेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक डॉ विनय जायसवाल को राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के संचालक मंडल में जगह दी है.डॉक्टर जायसवाल को सरकार ने राज्य मंत्री का दर्जा भी प्रदान किया है. स्वास्थ्य सेवाओं में दवा,मेडिकल उपकरण सहित अन्य सामग्रियों की खरीदी से जुड़ी एजेंसी CGMSC यानी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के प्रबंधन में पहली बार सरकार ने जनप्रतिनिधियों को शामिल किया है. पेशे से डॉक्टर विधायक विनय जायसवाल से ईटीवी भारत ने कॉरपोरेशन और प्रदेश से जुड़े अन्य विषयों को लेकर खास बातचीत की.
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सवाल : प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में डॉक्टरों की कमी की समस्या, राज्य बनने के बाद से ही है.इसके निराकरण के लिए क्या पहल की जानी चाहिए ? दूसरी तरफ क्या वजह मानते हैं कि हमारे यहां के बच्चे यूक्रेन जैसी जगह में जाकर डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं ?
जवाब : मैं मानता हूं कि, कांग्रेस सरकार बनने से पहले प्रदेश में ,डॉक्टरों की कमी एक बड़ी और गंभीर समस्या थी . इसकी बड़ी वजह पिछली सरकार द्वारा जिला खनिज न्यास के पैसे का जमकर दुरुपयोग करना था . पिछली बीजेपी की सरकार ने कहीं इस मद का उपयोग अधिकारियों के लिए स्विमिंग पूल बनवाने में किया, तो कहीं के अधिकारी, नेताओं को लेकर इस राशि से विदेश यात्रा किए यानी गैर जरूरी चीजों पर इस पैसे को खर्च किया गया . लेकिन राज्य में कांग्रेस की भूपेश सरकार बनने के बाद इस राशि का उपयोग प्रदेश भर में चिकित्सकों की भर्ती के लिए किया गया . यही वजह है कि आज चिरमिरी के दूरस्थ अंचलों में भी डॉक्टरों की मौजूदगी है . रही बात यूक्रेन जाकर पढ़ाई कर रहे बच्चों की , तो उनके लिए जो बातें बीजेपी के सोशल मीडिया तंत्र में कही गई, वह निंदनीय है.अगर देश में ही इन बच्चों के सामने कम खर्च में डॉक्टर बनने का विकल्प रहता, तो ये अन्य देशों में जाकर पढ़ाई क्यों करते .कम खर्च में पढ़ाई की व्यवस्था , केंद्र सरकार को करनी चाहिए लेकिन इसके उलट,केंद्र में बीजेपी सरकार आने के बाद प्राइवेट कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई की फीस में बेतहाशा वृद्धि कर दी गई है .
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सवाल : छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र चल रहा है.लगातार विपक्षी दल के सदस्य सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं.आप लोगों ने अपने बचाव के लिए कोई रणनीति बनाई है क्या ?
जवाब : मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ , कि हमें अपना बचाव करने के लिए कोई रणनीति बनाने की जरूरत भी है.इसकी वजह विपक्ष का मुद्दा विहीन होना है.सच तो यह है कि बचाव की मुद्रा में खुद विपक्ष ही है.हमारी सरकार ने तीन वर्षों में जो जनहित के कार्य किए हैं.उन्हें गिनाना मुश्किल है. इसी वजह से विपक्ष आज खुद बचाव की मुद्रा में है.किसानों के मुद्दे हो ,युवाओं से जुड़े मुद्दे हो ,शिक्षा हो या स्वास्थ्य के मुद्दे हों ,इन सभी मुद्दों पर विपक्ष चर्चा करने से कतरा रही है. यही वजह है कि सदन से विपक्षी दल ने अब तक सर्वाधिक बहिर्गमन किया है.सच्चाई तो यह है कि,विपक्ष जिस विषय में चर्चा करने की मांग करती हैं,अगर उस विषय में भी चर्चा के लिए समय दिया जाता है तो भी वे उस चर्चा से बचते नजर आते हैं . जबकि सत्तापक्ष तो चाहती है कि विपक्ष को सदन के अंदर सार्थक चर्चा में भाग लेना चाहिए.