रायपुरः शनि प्रदोष का व्रत धनिष्ठा नक्षत्र सुकर्म योग और कौलव तैतिल के सुयोग में मनाया जाएगा. आज के दिन भुनेश्वरी जयंती भी है. इस प्रदोष काल में शनि की भी पूजा (Worship of Shani also) की जाएगी.
भगवान शनि (Lord Shani) को काला तिल (black mole), काला वस्त्र (black dress), लोहे का सिक्का (iron coin) और काली उड़द (black urad) को चढ़ाया जाता है. शनि प्रदोष व्रत संतानहीन जातकों (childless people) के लिए वरदान है.
भगवान शंकर (Lord Shankar) को कनेर, धतूरा, बेल पत्र, शमी पत्र, नीले फूल और दूध का भोग (enjoyment of milk) लगाया जाता है. अनादि शंकर महाराज को पंचामृत से अभिषेक करना शुभ माना गया है. इस प्रदोष व्रत के त्यौहार पर अक्षत मलयाचल का चंदन सिंदूर, अबीर, परिमल आदि चीजें भगवान शिव को अभिषेक के रूप में लगाई जाती हैं. इस दिन शिव चालीसा महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) रुद्री रूद्र अध्याय शिव तांडव (shiv tandav) आदि का पाठ करना बहुत शुभ माना गया है.
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प्रदोष काल का रखें ख्याल
सायं काल गोधूलि बेला में जिसे संध्याकाल भी कहते हैं, शाम को लगभग 4:48 से शाम 7:02 के मध्य का काल प्रदोष काल कहलाता है. इस समय मान्यता है कि भोलेनाथ प्रसन्न हो कर नृत्य करते हैं. इस समय प्रदोष काल का पूजन करने से अभिलाषा में पूर्ण होती है. शास्त्र (ethology) कहते हैं कि इस समय श्री भोले नाथ प्रसन्न हो कर कैलाश पर नृत्य करते हैं.
यह उनकी प्रसन्नता, अनुग्रह और कृपा प्राप्त करने का विशेष समय माना गया है. पंचाक्षरी मंत्र, ओम नमः शिवाय का भी जाप करना चाहिए. प्रदोष काल में तब दान, अन्न दान, श्रम दान, रक्तदान और सहयोग दान का भी विशेष महत्व माना गया है. आज का यह पर्व शिल्प आरंभ के लिए शुभ मुहूर्त माना जाता है.