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ETV Bharat Special : छत्तीसगढ़ में गाय के गोबर से रौशन हो रहे गौठान

छत्तीसगढ़ सरकार ने गोबर को लेकर कई प्रयोग किए हैं. उन्हीं प्रयोगों में से एक है गोबर से बिजली का (Electricity generated from cow dung in Chhattisgarh) उत्पादन.आज छत्तीसगढ़ के गौठानों में गाय के गोबर से बिजली पैदा की जा रही है.

Electricity generation from cow dung in Bemetara
छत्तीसगढ़ में गाय के गोबर से रौशन हो रहे गौठान
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Published : Apr 6, 2022, 9:14 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ में गोधन न्याय योजना लागू होने के बाद 2 रुपए किलो गोबर खरीदी की शुरुआत की गई. उसके बाद से ही लगातार गोबर से नई-नई चीजों का अविष्कार किया जा रहा है. इन दिनों गोबर से चप्पल, ब्रीफकेस, गुलाल जैसे प्रोडक्ट्स धूम मचा रहे हैं. वहीं 2 अक्टूबर 2021 को गांधी जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौठानों में गोबर से बिजली बनाने की परियोजना की शुरुआत की थी. जिसके लिए बेमेतरा जिला के राखी, दुर्ग जिले के सिकोला और रायपुर जिले के वन चरोदा के गौठानों का चयन किया गया. इन्हीं जगहों पर पहले चरण में बिजली पैदा करने की यूनिट स्थापित की गई.इन्हीं गौठानों में ईटीवी भारत ने बिजली पैदा होने के पूरे प्रोसेस को जाना.

छत्तीसगढ़ में गाय के गोबर से रौशन हो रहे गौठान


बेमेतरा जिले का राखी गौठान : सबसे पहले ईटीवी की टीम बेमेतरा जिले के गांव राखी पहुंची. जहां पर बिजली पैदा करने की यूनिट स्थापित (Electricity generation from cow dung in Bemetara ) की गई है. जय लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं इस गौठान में काम कर रहीं हैं. समूह की अध्यक्ष गीता बाई धनगर ने बताया कि यहां गाय के गोबर से खाद बनाने का काम भी किया जा रहा है. गौठान में बायोगैस गोबर संयंत्र लगा है. जिसमें 2 क्विंटल गोबर घोलकर डाला जाता है. जब गोबर से मिथेन गैस बनती है तो इससे बिजली का उत्पादन होता है. गोबर से पैदा होने वाली बिजली से ही गौठान जगमगाता है. अब रात भर गौठान में उजाला रहता है. जिससे गायों को चारा पानी देने में दिक्कत नहीं आती. दुलारी बाई मानिकपुरी ने बताया कि गौठान में बायोगैस संयंत्र लगा हुआ है. जिससे गोबर गैस संयंत्र का उपयोग ईंधन के रूप में खाना बनाने के लिए होता है.



रायपुर का बनचरौदा गौठान : इसके बाद ईटीवी भारत की टीम रायपुर जिले के बनचरौदा स्थित गौठान (Electricity generation from cow dung in Bancharoda Raipur) में पहुंची. स्वच्छ भारत मिशन के तहत गौठान में 20 क्यूबिक मीटर गोबर गैस प्लांट फ्लोटिंग तकनीक के साथ लगाया गया है. जो 1 घंटे में 2 क्यूबिक मीटर गैस पैदा करता है. आरंग के जनपद सीईओ किरण कौशिक ने बताया कि बनचरौदा गौठान में बायोगैस से बिजली बनाने की यूनिट 2 अक्टूबर के लगाई गई थी. वर्तमान में उसी से बिजली बनाने की प्रक्रिया जारी है. 500 किलो गोबर को 1000 लीटर पानी के साथ डाइजेस्टर में डाला जाए तो 24 यूनिट बिजली हम जला सकते है. इसमें 9 वॉट के लगभग 150 बल्ब 12 घण्टे तक चल सकते है.


ऐसे हो रहा बिजली का उत्पादन : 500 किलो गोबर को 1000 लीटर पानी के साथ मिलाकर प्ले टैंक में डाला जाता है. जहां से इस मिश्रण को डाइजेस्टर में डाला जाता है. प्लांट में मिश्रण मिलने के बाद एनएरोबिक प्रक्रिया शुरू होती है. उसके बाद बायोगैस प्रसंस्करण शुरू हो जाता है. जिसमें मिथेन सल्फर नाइट्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड जैसे सभी प्रकार की मिश्रित गैस होती है. मल्टीस्टेज स्क्रबर सिस्टम में मिश्रित गैस को डाला जाता है. जो सभी अवांछित गैस को हटा देती है. सिर्फ मिथेन गैस की प्राप्ति होती है.


मिथेन गैस को बलून में किया जाता है स्टोर : शुद्ध मिलने वाली मीथेन गैस को बलून में स्टोर किया जाता है ताकि एनएरोबिक प्रक्रिया के दौरान गैस गूगल में ट्रांसफर किया जा सके. इस प्रक्रिया में डाइजेस्टर में ताजा गैस मिलती रहती है .स्टोर की गई मीथेन गैस को पाइप के जरिये जनरेटर तक भेजा जाता है. फिर जनरेटर से बिजली की सप्लाई होकर मेन बोर्ड आती है .



दुर्ग जिले में लगाया जा रहा प्लांट : दुर्ग जिले के जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि 2 अक्टूबर 2021 को गांधी जयंती के दौरान क्रेडा द्वारा डेमो प्लांट लगाया गया था. वर्तमान में गोबर गैस संयंत्र की स्थाई यूनिट लगाई (Gobar Gas Plant Unit in Durg) जा रही है. वहीं जल्द ही स्थाई यूनिट की शुरुआत की होगी.

ऊर्जा संकट से निजात दिला सकता है गोबर : देशभर में ऊर्जा का सबसे बड़ा संकट है. खासतौर पर भारत के ग्रामीण इलाकों में जहां लगातार वनों की कटाई हो रही है. गांवों में ईंधन की उपलब्धता भी कम हो रही है. ऐसे में बायोगैस ऊर्जा का एक ऐसा स्त्रोत है जिसका उपयोग बार-बार किया जा सकता है. बायोगैस ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा की तरह ही नवीनीकरण ऊर्जा का स्त्रोत है. वहीं छत्तीसगढ़ में गोबर से बिजली बनाने का सफल आने वाले दिनों में दूर दराज के गांवों को रौशन कर देगा.

रायपुर : छत्तीसगढ में गोधन न्याय योजना लागू होने के बाद 2 रुपए किलो गोबर खरीदी की शुरुआत की गई. उसके बाद से ही लगातार गोबर से नई-नई चीजों का अविष्कार किया जा रहा है. इन दिनों गोबर से चप्पल, ब्रीफकेस, गुलाल जैसे प्रोडक्ट्स धूम मचा रहे हैं. वहीं 2 अक्टूबर 2021 को गांधी जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौठानों में गोबर से बिजली बनाने की परियोजना की शुरुआत की थी. जिसके लिए बेमेतरा जिला के राखी, दुर्ग जिले के सिकोला और रायपुर जिले के वन चरोदा के गौठानों का चयन किया गया. इन्हीं जगहों पर पहले चरण में बिजली पैदा करने की यूनिट स्थापित की गई.इन्हीं गौठानों में ईटीवी भारत ने बिजली पैदा होने के पूरे प्रोसेस को जाना.

छत्तीसगढ़ में गाय के गोबर से रौशन हो रहे गौठान


बेमेतरा जिले का राखी गौठान : सबसे पहले ईटीवी की टीम बेमेतरा जिले के गांव राखी पहुंची. जहां पर बिजली पैदा करने की यूनिट स्थापित (Electricity generation from cow dung in Bemetara ) की गई है. जय लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं इस गौठान में काम कर रहीं हैं. समूह की अध्यक्ष गीता बाई धनगर ने बताया कि यहां गाय के गोबर से खाद बनाने का काम भी किया जा रहा है. गौठान में बायोगैस गोबर संयंत्र लगा है. जिसमें 2 क्विंटल गोबर घोलकर डाला जाता है. जब गोबर से मिथेन गैस बनती है तो इससे बिजली का उत्पादन होता है. गोबर से पैदा होने वाली बिजली से ही गौठान जगमगाता है. अब रात भर गौठान में उजाला रहता है. जिससे गायों को चारा पानी देने में दिक्कत नहीं आती. दुलारी बाई मानिकपुरी ने बताया कि गौठान में बायोगैस संयंत्र लगा हुआ है. जिससे गोबर गैस संयंत्र का उपयोग ईंधन के रूप में खाना बनाने के लिए होता है.



रायपुर का बनचरौदा गौठान : इसके बाद ईटीवी भारत की टीम रायपुर जिले के बनचरौदा स्थित गौठान (Electricity generation from cow dung in Bancharoda Raipur) में पहुंची. स्वच्छ भारत मिशन के तहत गौठान में 20 क्यूबिक मीटर गोबर गैस प्लांट फ्लोटिंग तकनीक के साथ लगाया गया है. जो 1 घंटे में 2 क्यूबिक मीटर गैस पैदा करता है. आरंग के जनपद सीईओ किरण कौशिक ने बताया कि बनचरौदा गौठान में बायोगैस से बिजली बनाने की यूनिट 2 अक्टूबर के लगाई गई थी. वर्तमान में उसी से बिजली बनाने की प्रक्रिया जारी है. 500 किलो गोबर को 1000 लीटर पानी के साथ डाइजेस्टर में डाला जाए तो 24 यूनिट बिजली हम जला सकते है. इसमें 9 वॉट के लगभग 150 बल्ब 12 घण्टे तक चल सकते है.


ऐसे हो रहा बिजली का उत्पादन : 500 किलो गोबर को 1000 लीटर पानी के साथ मिलाकर प्ले टैंक में डाला जाता है. जहां से इस मिश्रण को डाइजेस्टर में डाला जाता है. प्लांट में मिश्रण मिलने के बाद एनएरोबिक प्रक्रिया शुरू होती है. उसके बाद बायोगैस प्रसंस्करण शुरू हो जाता है. जिसमें मिथेन सल्फर नाइट्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड जैसे सभी प्रकार की मिश्रित गैस होती है. मल्टीस्टेज स्क्रबर सिस्टम में मिश्रित गैस को डाला जाता है. जो सभी अवांछित गैस को हटा देती है. सिर्फ मिथेन गैस की प्राप्ति होती है.


मिथेन गैस को बलून में किया जाता है स्टोर : शुद्ध मिलने वाली मीथेन गैस को बलून में स्टोर किया जाता है ताकि एनएरोबिक प्रक्रिया के दौरान गैस गूगल में ट्रांसफर किया जा सके. इस प्रक्रिया में डाइजेस्टर में ताजा गैस मिलती रहती है .स्टोर की गई मीथेन गैस को पाइप के जरिये जनरेटर तक भेजा जाता है. फिर जनरेटर से बिजली की सप्लाई होकर मेन बोर्ड आती है .



दुर्ग जिले में लगाया जा रहा प्लांट : दुर्ग जिले के जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि 2 अक्टूबर 2021 को गांधी जयंती के दौरान क्रेडा द्वारा डेमो प्लांट लगाया गया था. वर्तमान में गोबर गैस संयंत्र की स्थाई यूनिट लगाई (Gobar Gas Plant Unit in Durg) जा रही है. वहीं जल्द ही स्थाई यूनिट की शुरुआत की होगी.

ऊर्जा संकट से निजात दिला सकता है गोबर : देशभर में ऊर्जा का सबसे बड़ा संकट है. खासतौर पर भारत के ग्रामीण इलाकों में जहां लगातार वनों की कटाई हो रही है. गांवों में ईंधन की उपलब्धता भी कम हो रही है. ऐसे में बायोगैस ऊर्जा का एक ऐसा स्त्रोत है जिसका उपयोग बार-बार किया जा सकता है. बायोगैस ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा की तरह ही नवीनीकरण ऊर्जा का स्त्रोत है. वहीं छत्तीसगढ़ में गोबर से बिजली बनाने का सफल आने वाले दिनों में दूर दराज के गांवों को रौशन कर देगा.

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