रायपुर: आज गणेश चतुर्थी का पांचवा दिन है. ETV भारत आज आपको भगवान गणेश के पांचवे नाम 'लंबोदर' (lambodar ) के बारे में बताएगा. कहते हैं कि भगवान के इस रूप की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है. तो आइए गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi 2021) के पांचवें दिन हम आपको भगवान गणेश के 'लंबोदर' स्वरूप के बारे में बताते हैं. यह भी जानें कि आखिर कैसे पांचवें दिन आप गजानन को प्रसन्न कर सकते हैं.
'लंबोदर' स्वरूप की कथा
बाराहपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने गणेश जी को पंच तत्वों से बनाया है. इसके पीछे कथा यह है कि एक बार शिव जी, गणेश जी को बना रहे थे. तब देवताओं को खबर मिली कि भगवान शिव अत्यंत रूपवान और विशिष्ट गणेश जी का निर्माण कर रहे हैं. इससे देवताओं को डर सताने लगा कि गणेश जी सबके आकर्षण का केंद्र बन जाएंगे. देवताओं के इस डर को शिवजी जान गए और उन्होंने गणेश जी के पेट को बड़ा कर दिया और मुख हाथी का लगा दिया. इसके बाद से ही गणेश जी को लंबोदर कहा जाने लगा.
रायपुर के पंडित विनित शर्मा बताते हैं कि लंबोदर का मतलब है जिसका पेट या उदर बड़ा हो. लंबोदर महाराज के रूप में भगवान गणेश जाने जाते हैं. भगवान गणेश जब छोटे थे. तब काफी देर तक माता पार्वती का स्तनपान करते थे. इसके पीछे उनकी ये भी मंशा थी कि उनके भाई कार्तिक को इसका लाभ ना मिले. इसे देखते हुए भगवान शंकर ने उनका नाम लंबोदर रख दिया.
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ऐसे करें 'लंबोदर' की आराधना
गणेश चतुर्थी के पांचवें दिन सुबह स्नान-ध्यान कर गणपति के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद दोपहर के समय गणपति की प्रतिमा को लाल कपड़े के ऊपर रखें. गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें. भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा चढ़ाएं. इसके बाद भगवान गणेश को मोदक, लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चारण से उनका पूजन करें. गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें.
हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवी-देवताओं में भगवान गणेश
भगवान गणेश की पूजा वैदिक और अति प्राचीन काल से की जाती रही है. गणेश जी वैदिक देवता हैं क्योंकि ऋग्वेद और यजुर्वेद में गणेश जी के मंत्रों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है. शिव जी, विष्णु जी, सूर्य देव और मां दुर्गा के साथ-साथ गणेश जी का नाम हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवी देवताओं में शामिल है. जिससे गणपति जी की महत्ता का साफ पता चलता है.