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विश्वविद्यालय के फैसले से खतरे में मेडिकल छात्रों का भविष्य

आयुष विश्वविद्यालय के एक फैसले से सैकड़ों छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. छात्रों का ये भी आरोप है कि विश्वविद्यालय MCI के गाइडलाइन का उल्लंघन कर रहा है.

Ayush University
आयुष विश्वविद्यालय
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Published : Jan 21, 2020, 7:32 PM IST

Updated : Jan 21, 2020, 11:30 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ के सैकड़ों मेडिकल स्टूडेंट का भविष्य अधर में लटक सकता है. आयुष विश्वविद्यालय के 2016 सत्र के MBBS छात्रों के फाइनल पार्ट-1 की परीक्षा फरवरी में होनी है. इससे छात्रों का एकेडमिक ईयर पूरा नहीं हो पाएगा और छात्रों की डिग्री पर सवाल खड़े होंगे.

खतरे में आया मेडिकल छात्रों का भविष्य

MCI के गाइडलाइन के मुताबिक एकेडमिक ईयर कम होने पर छात्र की डिग्री रद्द की जा सकती है. आयुष विश्वविद्यालय के 2016 वर्ष के छात्रों का सेकंड ईयर का एक्जाम मार्च में हुआ था. उस हिसाब से फरवरी में परीक्षा होने से उनकी एक वर्ष की अवधि पूरी नहीं हो पाएगी. छात्रों का कहना है कि ये एक तरह से MCI के गाइडलाइन का उल्लंघन है. छात्रों ने अपनी इस समस्या से कॉलेज प्रबंधन के साथ ही राज्यपाल को भी अवगत कराया था, लेकिन फिलहाल इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

पढ़ें:शिक्षा की गुणवत्ता और धान खरीदी पर हुई CM से चर्चा : टेकाम

मेडिकल स्टूडेंट आए दिन प्रबंधन के किसी ना किसी फैसले के खिलाफ संघर्ष करते नजर आते हैं, ऐसे में इनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती हैं. ETV भारत ने इस संबंध पर डीएमई और स्वास्थ्य मंत्री से बात करने की भी कोशिश की थी. फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. ऐसे में छात्रों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ के सैकड़ों मेडिकल स्टूडेंट का भविष्य अधर में लटक सकता है. आयुष विश्वविद्यालय के 2016 सत्र के MBBS छात्रों के फाइनल पार्ट-1 की परीक्षा फरवरी में होनी है. इससे छात्रों का एकेडमिक ईयर पूरा नहीं हो पाएगा और छात्रों की डिग्री पर सवाल खड़े होंगे.

खतरे में आया मेडिकल छात्रों का भविष्य

MCI के गाइडलाइन के मुताबिक एकेडमिक ईयर कम होने पर छात्र की डिग्री रद्द की जा सकती है. आयुष विश्वविद्यालय के 2016 वर्ष के छात्रों का सेकंड ईयर का एक्जाम मार्च में हुआ था. उस हिसाब से फरवरी में परीक्षा होने से उनकी एक वर्ष की अवधि पूरी नहीं हो पाएगी. छात्रों का कहना है कि ये एक तरह से MCI के गाइडलाइन का उल्लंघन है. छात्रों ने अपनी इस समस्या से कॉलेज प्रबंधन के साथ ही राज्यपाल को भी अवगत कराया था, लेकिन फिलहाल इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

पढ़ें:शिक्षा की गुणवत्ता और धान खरीदी पर हुई CM से चर्चा : टेकाम

मेडिकल स्टूडेंट आए दिन प्रबंधन के किसी ना किसी फैसले के खिलाफ संघर्ष करते नजर आते हैं, ऐसे में इनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती हैं. ETV भारत ने इस संबंध पर डीएमई और स्वास्थ्य मंत्री से बात करने की भी कोशिश की थी. फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. ऐसे में छात्रों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है.

Intro:छत्तीसगढ़ के सैकड़ों मेडिकल स्टूडेंट का भविष्य अधर में लटक सकता है दरअसल एमबीबीएस 2016 बैच के स्टूडेंट का इस साल फाइनल पार्ट वन का एग्जाम होना है ।आयुष विश्वविद्यालय ने इस साल फरवरी में परीक्षा लेने का फैसला किया है ऐसे में छात्रों को डर सताने लगा है कि इसके चलते उनके कोर्स के एकेडमिक ईयर की अवधि कहीं शार्ट ना हो जाए।


Body:एमसीआई की गाइडलाइन के मुताबिक एकेडमिक ईयर कम होने पर छात्र की डिग्री पर सवाल उठ सकते हैं मेडिकल स्टूडेंट ने अपनी इस चिंता से कॉलेज प्रबंधन के साथ ही राज्यपाल को भी अवगत कराया है लेकिन फिलहाल इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है हमने इस संबंध में डीएमई और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नही हो पाई है।


Conclusion:मेडिकल स्टूडेंट आए दिन प्रबंधन के किसी ना किसी फैसले के खिलाफ संघर्ष करते नजर आते हैं ऐसे में इनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती हैं ऐसे में इस संवेदनशील मुद्दे पर सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि सैकड़ों स्टूडेंट की चिंता दूर हो सके साथ ही प्रदेश का नाम भी धूमिल होने से बचाया जा सके।। बाईट छात्र कृपया छात्रों का चेहरा ब्लर करदे । university ke short warp se bhej hai.
Last Updated : Jan 21, 2020, 11:30 PM IST
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