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छत्तीसगढ़ में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर वन विभाग कर्मी - Forest department workers

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर दैनिक वेतन भोगी वन कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं.वनविभाग के कर्मचारियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है.

Forest department workers on indefinite strike in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर वन विभागकर्मी
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Published : Aug 20, 2022, 3:37 PM IST

Updated : Aug 20, 2022, 5:20 PM IST

रायपुर : प्रदेश की राजधानी रायपुर में 22 अगस्त से कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन अनिश्चितकालीन हड़ताल करने वाले (indefinite strike in Chhattisgarh)हैं. उसके पहले ही प्रदेश के वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अपनी 2 सूत्रीय मांगों लेकर 20 अगस्त शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए (Forest department workers) हैं. वन विभाग में काम करने वाले इन कर्मचारियों का कहना है कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इन कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था. लेकिन सरकार बनने के बाद भी इन्हें नियमित नहीं किया गया है. सरकार की वादा खिलाफी के विरोध में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर है.

छत्तीसगढ़ में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर वन विभाग कर्मी



दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की क्या है मांग : वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग जिसमें पहला मांग स्थायीकरण और दूसरा मांग नियमितीकरण का है. इन कर्मचारियों का कहना है कि जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं उन्हें स्थाई किया जाए . वहीं जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाए. पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं.इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9 हजार रुपए ही वेतन मिलता है, जो वन विभाग में वाहन चालक कंप्यूटर, ऑपरेटर, रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.



सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप : छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री रामकुमार सिन्हा ने बताया कि "वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करते हुए कर्मचारियों को 2 साल से लेकर 17 साल पूर्ण कर लिए हैं. बावजूद इसके कांग्रेस सरकार ना तो स्थाई कर रही है और ना ही नियमित कर रही है. सरकार की वादा खिलाफी के विरोध में इन कर्मचारियों को अनिश्चितकालीन आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा है. आने वाले दिनों में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन को तेज किया जाएगा."



जंगलों में लगती है ड्यूटी : राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे दैनिक वेतन भोगी महिला कर्मचारी पार्वती बेहरा ने बताया कि "सुबह 8 बजे से वन विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर जंगल जाकर जंगल में अवैध कटाई आगजनी की घटना और रेत खनन जैसी चीजों की देखरेख करनी होती है. जंगल जाने से इन कर्मचारियों को जंगली जानवरों का भी भय बना रहता लेकिन ऐसे हालात में नौकरी करना इनकी मजबूरी है."

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के 32 कर्मचारी संघ ने खत्म की हड़ताल


चौबीस घंटे रहती है ड्यूटी : अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी ऋषिकेश गुणी ने बताया कि "वन विभाग की नौकरी चौबीसों घंटे की होती है अधिकारियों के निर्देश पर कभी भी कहीं भी जाना होता है चाहे वह गर्मी, ठंड या बरसात का दिन हो फिर भी उनको ड्यूटी करनी होती है. अधिकारियों की निर्देश का पालन करना दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की मजबूरी है. संवेदनशील इलाकों में भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है."

रायपुर : प्रदेश की राजधानी रायपुर में 22 अगस्त से कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन अनिश्चितकालीन हड़ताल करने वाले (indefinite strike in Chhattisgarh)हैं. उसके पहले ही प्रदेश के वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अपनी 2 सूत्रीय मांगों लेकर 20 अगस्त शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए (Forest department workers) हैं. वन विभाग में काम करने वाले इन कर्मचारियों का कहना है कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इन कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था. लेकिन सरकार बनने के बाद भी इन्हें नियमित नहीं किया गया है. सरकार की वादा खिलाफी के विरोध में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने को मजबूर है.

छत्तीसगढ़ में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर वन विभाग कर्मी



दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की क्या है मांग : वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग जिसमें पहला मांग स्थायीकरण और दूसरा मांग नियमितीकरण का है. इन कर्मचारियों का कहना है कि जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं उन्हें स्थाई किया जाए . वहीं जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाए. पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं.इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9 हजार रुपए ही वेतन मिलता है, जो वन विभाग में वाहन चालक कंप्यूटर, ऑपरेटर, रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.



सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप : छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री रामकुमार सिन्हा ने बताया कि "वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करते हुए कर्मचारियों को 2 साल से लेकर 17 साल पूर्ण कर लिए हैं. बावजूद इसके कांग्रेस सरकार ना तो स्थाई कर रही है और ना ही नियमित कर रही है. सरकार की वादा खिलाफी के विरोध में इन कर्मचारियों को अनिश्चितकालीन आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा है. आने वाले दिनों में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन को तेज किया जाएगा."



जंगलों में लगती है ड्यूटी : राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे दैनिक वेतन भोगी महिला कर्मचारी पार्वती बेहरा ने बताया कि "सुबह 8 बजे से वन विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर जंगल जाकर जंगल में अवैध कटाई आगजनी की घटना और रेत खनन जैसी चीजों की देखरेख करनी होती है. जंगल जाने से इन कर्मचारियों को जंगली जानवरों का भी भय बना रहता लेकिन ऐसे हालात में नौकरी करना इनकी मजबूरी है."

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चौबीस घंटे रहती है ड्यूटी : अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी ऋषिकेश गुणी ने बताया कि "वन विभाग की नौकरी चौबीसों घंटे की होती है अधिकारियों के निर्देश पर कभी भी कहीं भी जाना होता है चाहे वह गर्मी, ठंड या बरसात का दिन हो फिर भी उनको ड्यूटी करनी होती है. अधिकारियों की निर्देश का पालन करना दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की मजबूरी है. संवेदनशील इलाकों में भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है."

Last Updated : Aug 20, 2022, 5:20 PM IST
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