रायपुर: हम सभी जब बच्चे थे तब इच्छा होती थी कि बिना बस्ते के स्कूल लगे तो कितना मजा आएगा. जैसे जैसे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव आता गया वैसे वैसे बच्चों को पढ़ाई लिखाई में सुविधाएं भी दी जाने लगी हैं. तनाव मुक्त शिक्षा की दिशा में हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं. इसी कड़ी में बलरामपुर में ''बैगलेस लर्निंग मॉडल'' का आगाज किया गया है. मकसद है युवा छात्रों पर शैक्षणिक बोझ कम करना.
बैगलेस लर्निंग मॉडल'' शुरू: बलरामपुर के चंद्र नगर क्षेत्र के आठ सरकारी स्कूलों ने राज्य शिक्षा विभाग की पहल के तहत 'बैगलेस लर्निंग मॉडल' को अपनाया है. जिला शिक्षा अधिकारी डीएन मिश्रा ने बताया कि इन स्कूलों में कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक के छात्र अब केवल एक नोटबुक और कलम लेकर स्कूल आते हैं, जिससे पढ़ाई तनाव मुक्त हो गई है. जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि हमने रामचंद्रपुर विकास खंड के चंद्र नगर क्षेत्र के स्कूलों को बैगलेस बना दिया है.
चंद्र नगर के स्कूली बच्चे अपने साथ केवल कॉपी और कलम लेकर आते हैं. शिक्षा विभाग की ओर से व्यावसायिक शिक्षा के तहत पढ़ाई के साथ साथ सिलाई मशीन की भी व्यवस्था की गई है. हम जिले के अन्य स्कूलों में भी बैगलेस प्रणाली को लागू करने की कार्य योजना पर काम कर रहे हैं - डीएन मिश्रा, जिला शिक्षा अधिकारी
कम हुआ बच्चों पर पढ़ाई का दबाव: जिला शिक्षा अधिकारी डीएन मिश्रा ने बताया कि जिले के स्कूलों में रूढ़िवादी एजुकेशन सिस्टम के प्रति ओवर ऑल नजरिया हम बदलना चाहते हैं. हम चाहते हैं छात्रों के लिए एक संतुलित और आकर्षक शैक्षिक वातावरण मिले. शिक्षा विभाग जिले के अन्य स्कूलों में भी बैगलेस व्यवस्था लागू करने के लिए कार्य योजना पर काम कर रहा है. इस अनूठी पहल से स्कूली छात्र भी खुश हैं.
मैं एक किताब लेकर स्कूल आया हूं क्योंकि हमें दो सेट किताबें मिली हैं, एक घर के लिए और एक स्कूल के लिए. इस तरह मुझे भारी बैग नहीं ढोना पड़ता. पहले हमें स्कूल में बैग ढोना पड़ता था जो परेशानी भरा काम होता है. अब हमारे शिक्षकों की बदौलत हमारे पास दो सेट किताबें हैं, जिससे हम भारी बैग ढोने के बोझ के बिना पढ़ाई कर सकते हैं - छात्र
स्कूल के भीतर बना 'बुक कॉर्नर': स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बताया कि हम छात्रों को दो सेट में किताबें उपलब्ध कराते हैं. 'बैगलेस' पहल के साथ. हमारा लक्ष्य किताबों के दो सेट उपलब्ध कराकर बच्चों पर बोझ कम करना है. एक साल के प्रयास के बाद हमने एक ऐसी प्रणाली लागू की है जिसमें पुरानी किताबें जमा की जाती हैं और अगली कक्षा में बांटी जाती है. प्रशासन की ओर दी गई नई पुस्तकों को स्कूल के भीतर एक तय 'बुक कॉर्नर' में व्यवस्थित किया जाता है.
कोविड के बाद से शुरु हुई प्रक्रिया: स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कहा कि कोविड के बाद से चल रही यह प्रक्रिया शिक्षा में सुधार और बोझ कम करने की दिशा में एक बेहतर कदम साबित हो रहा है. बच्चों में भी पढ़ाई लिखाई को लेकर रुचि पहले से बढ़ी है. बच्चों में भी गुणात्मक सुधार आया है. इसी उद्देश्य से हमने सिलाई मशीनें स्थापित की हैं, छात्राओं में इसको लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है.
(सोर्स: एएनआई)