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6 महीने की ताक्षी को पिता ने दिया अपना लिवर, ट्रांसप्लांट कर बची बच्ची की जान - 6 महीने की बच्ची ताक्षी का लिवर ट्रांसप्लांट

राजधानी रायपुर में 8-9 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद 6 महीने की बच्ची ताक्षी का लिवर ट्रांसप्लांट कर उसकी जान बचाई गई. ट्रांसप्लांट के लिए पिता ने बच्ची को अपने लिवर का एक हिस्सा दिया. फिलहाल बच्ची स्वस्थ है. यह ऑपरेशन मध्य भारत का पहला ऐसा ऑपरेशन है, जिसमें इतनी कम उम्र की बच्ची का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है.

Father saves life of his daughter by giving liver for transplant in Raipur
रायपुर में पिता ने अपनी बच्ची को लीवर देकर बचाई जान
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Published : Jul 30, 2021, 12:49 PM IST

रायपुर: राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल में 6 महीने की बच्ची ताक्षी का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है. इस 6 महीने के बच्चे को उसके पिता ने ही जीवनदान दिया है. मध्य भारत का ये पहला ऐसा लिवर ट्रांसप्लांट है. ट्रांसप्लांट के बाद अब 6 महीने की नन्ही ताक्षी पूरी तरह स्वस्थ है. कुछ ही दिनों बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.

बीमार बेटे के लिए मां बन गई 'भगवान', किडनी देकर बचाई 'जिगर के टुकड़े' की जान

बिलारी अत्रेसिया नाम की बीमारी से पीड़ित थी बच्ची


यह पूरा ऑपरेशन रायपुर के एक निजी अस्पताल में किया गया है. दरअसल 6 महीने की ताक्षी 'बिलारी अत्रेसिया' नाम की बीमारी से पीड़ित थी. कहते हैं कि ये बीमारी बच्चों में जन्मजात होती है. इससे पित्त की नली ब्लॉक होने की वजह से पीलिया बढ़ता जाता है और लिवर क्षतिग्रस्त होने लगता है. मात्र 4 से 6 महीने में ही मृत्यु भी हो सकती है. ताक्षी के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से पहले उन्हें लगा कि उनकी बच्ची को नहीं बचाया जा सकेगा. ताक्षी के माता-पिता उसे लेकर कई अस्पताल गए, लेकिन किसी में इसका ऑपरेशन नहीं हो पाया. आखिर में वह एक निजी अस्पताल पहुंचे, जहां ताक्षी का ऑपरेशन किया गया.

मध्य भारत का पहला मामला, जिसमें 6 महीने की बच्ची का हुआ लिवर ट्रांसप्लांट

अस्पताल प्रबंधक ने इस ऑपरेशन के लिए एक स्पेशल टीम बनाई और डॉक्टर मोहम्मद अब्दुल नईम और डॉक्टर अजीत मिश्रा की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को 8 से 9 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद सफलतापूर्वक संपन्न किया. इस ऑपरेशन में पिता ने अपनी बच्ची को लीवर का एक हिस्सा दिया है, जिससे बच्ची की जान बच पाई है. यह ऑपरेशन मध्य भारत का पहला ऐसा ऑपरेशन है, जिसमें इतनी कम उम्र की बच्ची का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है.

बिलारी अत्रेसिया के लक्षणों में पीलिया, गहरा पीला या भूरा मूत्र होना, त्वचा पीली पड़ना, खुजली, सूजा हुआ पेट, धीमी वृद्धि, बढ़े हुए प्लीहा जैसे संकेत मिलते हैं.

रायपुर: राजधानी रायपुर के एक निजी अस्पताल में 6 महीने की बच्ची ताक्षी का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है. इस 6 महीने के बच्चे को उसके पिता ने ही जीवनदान दिया है. मध्य भारत का ये पहला ऐसा लिवर ट्रांसप्लांट है. ट्रांसप्लांट के बाद अब 6 महीने की नन्ही ताक्षी पूरी तरह स्वस्थ है. कुछ ही दिनों बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.

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बिलारी अत्रेसिया नाम की बीमारी से पीड़ित थी बच्ची


यह पूरा ऑपरेशन रायपुर के एक निजी अस्पताल में किया गया है. दरअसल 6 महीने की ताक्षी 'बिलारी अत्रेसिया' नाम की बीमारी से पीड़ित थी. कहते हैं कि ये बीमारी बच्चों में जन्मजात होती है. इससे पित्त की नली ब्लॉक होने की वजह से पीलिया बढ़ता जाता है और लिवर क्षतिग्रस्त होने लगता है. मात्र 4 से 6 महीने में ही मृत्यु भी हो सकती है. ताक्षी के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से पहले उन्हें लगा कि उनकी बच्ची को नहीं बचाया जा सकेगा. ताक्षी के माता-पिता उसे लेकर कई अस्पताल गए, लेकिन किसी में इसका ऑपरेशन नहीं हो पाया. आखिर में वह एक निजी अस्पताल पहुंचे, जहां ताक्षी का ऑपरेशन किया गया.

मध्य भारत का पहला मामला, जिसमें 6 महीने की बच्ची का हुआ लिवर ट्रांसप्लांट

अस्पताल प्रबंधक ने इस ऑपरेशन के लिए एक स्पेशल टीम बनाई और डॉक्टर मोहम्मद अब्दुल नईम और डॉक्टर अजीत मिश्रा की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को 8 से 9 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद सफलतापूर्वक संपन्न किया. इस ऑपरेशन में पिता ने अपनी बच्ची को लीवर का एक हिस्सा दिया है, जिससे बच्ची की जान बच पाई है. यह ऑपरेशन मध्य भारत का पहला ऐसा ऑपरेशन है, जिसमें इतनी कम उम्र की बच्ची का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है.

बिलारी अत्रेसिया के लक्षणों में पीलिया, गहरा पीला या भूरा मूत्र होना, त्वचा पीली पड़ना, खुजली, सूजा हुआ पेट, धीमी वृद्धि, बढ़े हुए प्लीहा जैसे संकेत मिलते हैं.

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