रायपुर: कोरोना की वजह से स्कूल बंद हुए तो सरकार ने ऑनलाइन एजुकेशन पर फोकस किया. घर बैठे बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन मिली. ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चों की मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन टाइमिंग ज्यादा बढ़ गई. इससे बच्चों की आंखों पर बहुत बुरा असर हुआ है. जिन बच्चों को पहले से ही चश्मा लगा था, उनकी पावर बार-बार बढ़ रही है. बहुत से ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें अब चश्मा लगाने की जरूरत पड़ रही है. (eye problem increased in children )
2021-22 में करीब 24 हजार बच्चों को लगा चश्मा: छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पताल में 2021-22 में प्रदेश में 24 हजार 32 बच्चों को चश्मा लगा है. यह आंकड़ा पिछले 2 सालों के मुकाबले 4 गुना तक ज्यादा है. साल 2019-20 में 5000, साल 2020-21 में 5500 बच्चों को शासकीय अस्पतालों में चश्मा लगा था.
आने वाले नन्हें मेहमान को थैलेसिमिया से बचना है तो शादी से पहले एचबीए- 2 जांच करवाएं
बच्चों के साथ-साथ बड़ों की आंखों पर भी असर: छत्तीसगढ़ एपिडेमिक कंट्रोल हेड डॉ सुभाष मिश्रा (Chhattisgarh Epidemic Control Head Dr Subhash Mishra ) ने बताया ''साल 2021-22 में 46 हज़ार 741 वयस्कों को चश्मा लगा है. पिछले 2 साल में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन स्टडी की वजह से स्क्रीन टाइमिंग बढ़ी है. आंखों में मायोपिया के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी हर 20 मिनट पर आंखों को आराम देना चाहिए. स्कूल शिक्षकों को भी इन बातों का ख्याल रखना चाहिए कि कंप्यूटर और मोबाइल पर 20 मिनट से ज्यादा क्लासेस ना लें, जिससे बच्चों की आंखों पर प्रभाव न पड़े.''
ओपीडी में दोगुने हुए आंखों के मरीज: रेटिना सर्जन डॉ संतोष सिंह पटेल (Retina Surgeon Dr Santosh Singh Patel ) ने बताया ''पहले ओपीडी में 90 से 100 के आसपास बच्चे अपनी आंखें चेक कराने आते थे. पिछले कुछ समय से ओपीडी में ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है. रोजाना 200 से 300 बच्चे अपनी आंखें चेक कराने आ रहे हैं. पिछले 1 साल में बहुत से बच्चों को चश्मा लगा है. जिन बच्चों को पहले से चश्मा लगा हुआ है, उनकी पावर कई बार चेंज हुए हैं. बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन देखते समय 20-20 का फॉर्मूला अपनाना चाहिए. यानी 20 मिनट वह पढ़ाई करें या मोबाइल में देखें और 20 मिनट अपनी आंखों को आराम दें.
मोबाइल एडिक्ट हुए बच्चे: अभिभावक ने बताया ''बच्चे पिछले 2 सालों से मोबाइल और लैपटॉप के आदी हो चुके हैं. अब ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो रही है लेकिन बच्चे मोबाइल में गेम्स या वीडियो देर तक देखते हैं, जिससे उनकी आंखों में समस्या देखने को मिलती है.''
"आंख है तो जीवन है": अभिभावक के मुताबिक "आंख है तो जीवन है" लेकिन बच्चों को अब मोबाइल लैपटॉप से दूर रखना भी मुश्किल हो रहा है. कोरोना खत्म हो जाने के बाद धीरे-धीरे हम कोशिश कर रहे हैं कि बच्चे मोबाइल और लैपटॉप छोड़ बाहर खेलने जाएं.''