रायपुर : घर का मंदिर एक पवित्र जगह है, जहां हम भगवान की पूजा करते हैं. जाहिर सी बात है कि यह सकारात्मक और शांतिपूर्ण जगह होनी (Vastu Gyan 2022) चाहिए. अगर मंदिर को वास्तु शास्त्र के मुताबिक रखा जाए तो यह घर और उनके निवासियों के लिए सुख-शांति और समृद्धि लाता है. यूं तो एक अलग पूजाघर श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन मेट्रोपॉलिटन शहरों में जगह कम होने के कारण यह हमेशा मुमकिन नहीं होता.ऐसे घरों के लिए, आप अपनी जरूरत के अनुसार दीवार पर या छोटे कोने में मंदिर रखने पर विचार कर सकते हैं.
कैसा होना चाहिए पूजा स्थल : पूजा का स्थान शांतिपूर्ण होना चाहिए, जो दिव्य ऊर्जा से भरा होता (direction of worship at home) है. यह वह स्थान है, जहां लोग खुद को भगवान को अर्पित कर शक्ति पाते हैं. अगर घर में पूजा का कमरा बनाने की जगह नहीं है तो पूर्व की दीवार या घर के नॉर्थ-ईस्ट जोन में छोटी वेदी होनी चाहिए. मंदिर घर की दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए.
किस दिशा में हो पूजा घर : पूरब उगते सूर्य और भगवान इंद्र की दिशा है इसलिए पूरब की ओर मुख करके प्रार्थना करने से सौभाग्य और वृद्धि होती है. पश्चिम की ओर मुख करके प्रार्थना करने से धन आकर्षित करने में मदद मिलती है. उत्तर की ओर मुख करने से अवसरों और सकारात्मकता को आकर्षित करने में मदद मिलती है. वास्तु के अनुसार मंदिर में पूजा करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करना सही नहीं है. इसलिए घर में मंदिर की दिशा दक्षिण को छोड़कर कोई भी हो सकती है.
ये भी पढ़ें -वास्तु के अनुसार जानिए...नये घर में सीढ़ी किस दिशा में बनाएं
कहां ना रखें पूजा का स्थान : नॉर्थ-ईस्ट दिशा का स्वामी बृहस्पति होता है. इसे ईशान कोण भी कहा जाता (Place the place of worship in the Northeast) है. ईशान यानी ईश्वर या भगवान. इसी वजह से यह भगवान या बृहस्पति की दिशा है. सलाह दी जाती है कि मंदिर यहीं रखें. इसके अलावा पृथ्वी का झुकाव उत्तर-पूर्व दिशा में भी है और धरती उत्तर-पूर्व के शुरुआती बिंदु के साथ घूमती है. यह कॉर्नर रेल के इंजन की तरह है तो पूरी रेलगाड़ी को खींचता है. घर के इस एरिया में मंदिर होना भी कुछ ऐसा ही है. यह पूरे घर की ऊर्जा को खुद की ओर खींचकर उसे आगे ले जाता है.