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Happy Daughters Day 2021: बेटियां तो होती हैं खास

परिवार के सदस्यों के साथ संबंध बनाए रखने में एक बेटी का अहम किरदार (important role) है. जिस समाज में महिलाओं को पुरूष से कमतर माना जाता है, उस समाज में बदलाव (change in society) लाने के लिए Daughters Day मनाया जाता है. यह इवेंट (event) हर साल सिप्तंबर के लास्ट रविवार (last sunday of september) को मनाया जाता है.

daughters are special
बेटियां तो होती हैं खास
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Published : Sep 26, 2021, 4:04 PM IST

हैदराबाद/रायपुरः बेटियां कुदरत के हाथों दी गईं खूबसूरत तोहफा (beautiful gift) होती हैं, जो हमारे घर-आंगन को खुशियों (happiness at home) से भर देती हैं. इनकी मासूम किलकारियों से घर रोशन होता है. पैदा लेती हैं तो मां-बाप (parents) का घर रोशन करती हैं और दूसरेक के घर जाती हैं तो पति की जिंदगी में खुशियों के फूल बिखेरती हैं. उनकी उपस्थिति की अहमियत (importance) मां-बाप से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता.

हर साल के सितंबर महीने के आखिरी रविवार को डॉटर्स डे (daughter's day) यानी बिटिया दिवस मनाया जाता है. बिटिया दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य है बेटियों को भी बेटे के समान ही महत्व व सम्मान दिया जाए. इस खास दिन पर बेटियों को उनकी उपलब्धियों और उनके महत्व के बारे में बताया जाता है. साथ ही बेटियों को यह अहसास कराया जाता है कि वह बेटों से किसी भी तरह कम नहीं हैं. जिन परिवारों में बेटियां होती हैं, उन्हें माता-पिता कोई उपहार (Gift) देते हैं. उनके साथ जश्न मनाते हैं.

समाज में लड़के और लड़कियों के बीच की गहरी खाई को पाटने की पहल संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने की थी. लड़कियों के महत्व को समझते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को एक दिन बेटियों को समर्पित किया. संयुक्त राष्ट्र की इस पहल का स्वागत दुनिया भर के देशों ने किया. इसके बाद से ही हर देश में बेटियों के लिए एक दिन समर्पित किया गया है. डॉटर्स डे हर देश में अलग-अलग दिन मनाया जाता है.

बेटियां दिखा रहीं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा की करिश्मा

पुत्रप्रधान समाज में आज भी बेटियों की जगह बेटे को ही खास मुकाम हासिल है. हालांकि बड़े शहरों में यह ऐसा देखने को कम ही मिलता है. हालांकि कई देशों में ऐसे मामलों में अभी भी किसी प्रकार की कमी नहीं आ सकी है. कुछ लोग अपना परिवार बढ़ाने के लिए सिर्फ बेटों की ही चाहत रखते हैं जो शिशु हत्या का सबसे बड़ा कारण है.

लेकिन परिस्थितियां अब काफी बदल चुकी हैं. बेटियों ने बेटों से भी कई कदम आगे बढ़कर कर दिखाया है. मां-बाप को उस पर गर्व है. यह बेटियां एक तरफ ससुराल दो दूसरी ओर मायके में भी अपने मां-बाप के दुःख दर्द को बेटों से बढ़-चढ़ कर महसूस करती हैं. बेटी के प्यार, समर्पण और त्याग को देखते हुए दुनिया के हर कोने में हर साल डॉटर्स डे मनाया जाने लगा है.

बेटियों के प्रति सम्मान प्रकट करने का दिन है विश्व बेटी दिवस

इवेंट को ऐसे मनाए हर मां-बाप

- घर पर बेटी की पसंद का विशेष व्यंजन बना सकते हैं या खाने के लिए होटल में लेकर जा सकते हैं.

-माता-पिता को यह बताना चाहिए कि बेटे तथा बेटियों को कैसे समान रूप से प्यार और सम्मान करते हैं.

- कुछ समय निकाल कर बेटियों के साथ कुछ अच्छा समय बिताएं.

- बताएं कि वह माता-पिता के लिए जीवन में क्या महत्व रखती हैं.

- बेटियों को यह बताना चाहिए कि वे लड़कों से कम नहीं है.

हैदराबाद/रायपुरः बेटियां कुदरत के हाथों दी गईं खूबसूरत तोहफा (beautiful gift) होती हैं, जो हमारे घर-आंगन को खुशियों (happiness at home) से भर देती हैं. इनकी मासूम किलकारियों से घर रोशन होता है. पैदा लेती हैं तो मां-बाप (parents) का घर रोशन करती हैं और दूसरेक के घर जाती हैं तो पति की जिंदगी में खुशियों के फूल बिखेरती हैं. उनकी उपस्थिति की अहमियत (importance) मां-बाप से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता.

हर साल के सितंबर महीने के आखिरी रविवार को डॉटर्स डे (daughter's day) यानी बिटिया दिवस मनाया जाता है. बिटिया दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य है बेटियों को भी बेटे के समान ही महत्व व सम्मान दिया जाए. इस खास दिन पर बेटियों को उनकी उपलब्धियों और उनके महत्व के बारे में बताया जाता है. साथ ही बेटियों को यह अहसास कराया जाता है कि वह बेटों से किसी भी तरह कम नहीं हैं. जिन परिवारों में बेटियां होती हैं, उन्हें माता-पिता कोई उपहार (Gift) देते हैं. उनके साथ जश्न मनाते हैं.

समाज में लड़के और लड़कियों के बीच की गहरी खाई को पाटने की पहल संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने की थी. लड़कियों के महत्व को समझते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को एक दिन बेटियों को समर्पित किया. संयुक्त राष्ट्र की इस पहल का स्वागत दुनिया भर के देशों ने किया. इसके बाद से ही हर देश में बेटियों के लिए एक दिन समर्पित किया गया है. डॉटर्स डे हर देश में अलग-अलग दिन मनाया जाता है.

बेटियां दिखा रहीं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा की करिश्मा

पुत्रप्रधान समाज में आज भी बेटियों की जगह बेटे को ही खास मुकाम हासिल है. हालांकि बड़े शहरों में यह ऐसा देखने को कम ही मिलता है. हालांकि कई देशों में ऐसे मामलों में अभी भी किसी प्रकार की कमी नहीं आ सकी है. कुछ लोग अपना परिवार बढ़ाने के लिए सिर्फ बेटों की ही चाहत रखते हैं जो शिशु हत्या का सबसे बड़ा कारण है.

लेकिन परिस्थितियां अब काफी बदल चुकी हैं. बेटियों ने बेटों से भी कई कदम आगे बढ़कर कर दिखाया है. मां-बाप को उस पर गर्व है. यह बेटियां एक तरफ ससुराल दो दूसरी ओर मायके में भी अपने मां-बाप के दुःख दर्द को बेटों से बढ़-चढ़ कर महसूस करती हैं. बेटी के प्यार, समर्पण और त्याग को देखते हुए दुनिया के हर कोने में हर साल डॉटर्स डे मनाया जाने लगा है.

बेटियों के प्रति सम्मान प्रकट करने का दिन है विश्व बेटी दिवस

इवेंट को ऐसे मनाए हर मां-बाप

- घर पर बेटी की पसंद का विशेष व्यंजन बना सकते हैं या खाने के लिए होटल में लेकर जा सकते हैं.

-माता-पिता को यह बताना चाहिए कि बेटे तथा बेटियों को कैसे समान रूप से प्यार और सम्मान करते हैं.

- कुछ समय निकाल कर बेटियों के साथ कुछ अच्छा समय बिताएं.

- बताएं कि वह माता-पिता के लिए जीवन में क्या महत्व रखती हैं.

- बेटियों को यह बताना चाहिए कि वे लड़कों से कम नहीं है.

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