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ईटीवी भारत के माध्यम से दैनिक वेतन भोगियों ने लगाई सीएम भूपेश से गुहार - Problems of women employees of forest department

ईटीवी भारत के माध्यम से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है.कर्मचारियों ने एक स्वर में नियमितिकरण करने की बात कही है.

दैनिक वेतन भोगियों ने लगाई सीएम भूपेश से गुहार
दैनिक वेतन भोगियों ने लगाई सीएम भूपेश से गुहार
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Published : Aug 29, 2022, 7:24 PM IST

Updated : Aug 30, 2022, 5:20 PM IST

रायपुर : प्रदेश की राजधानी रायपुर में वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अपनी 2 सूत्रीय मांग स्थायीकरण और नियमितीकरण की मांग को लेकर 20 अगस्त प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर (Daily wagers appeal to CM bhupesh for regulias) हैं. जिलों के दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी राजधानी के अलग-अलग जगहों पर किराए पर रहने को मजबूर हैं. मंत्री विधायक कोई भी इनकी फरियाद सुनने को तैयार नहीं है.प्रदर्शन में आए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी खाने पीने की व्यवस्था खुद से कर रहे हैं.ऊपर से मौसम की मार के कारण कई कर्मचारी बीमार पड़ गए (Indefinite strike of daily wage earners) हैं.


1 लाख 20 हजार भवन का किराया : वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री ने बताया कि राजधानी के तीन जगहों पर किराए का भवन लिया गया है. जिसमें गोपिया पारा में जानकी कुंज जहां पर महीने भर का किराया 1 लाख 20 हजार रुपए है.दूसरी जगह कुशालपुर में स्थित सामुदायिक भवन में प्रतिदिन 6 हजार रुपए किराया दे रहे हैं.वहीं शहर के तीसरी जगह आमानाका में एक मंदिर में रहने का प्रतिदिन 3 हजार रुपए किराया देकर रहने को मजबूर हैं. कुछ बचे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी गंदगी और बदहाली के बीच प्रदर्शन स्थल में रात बिताने को मजबूर हैं.

दैनिक वेतन भोगियों ने लगाई सीएम भूपेश से गुहार
क्या है कर्मचारियों की मांग : वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग जिसमें पहला मांग स्थायीकरण और दूसरा मांग नियमितीकरण का है. इन कर्मचारियों का कहना है कि ''जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं. उन्हें स्थाई किया जाए और जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं. उन्हें नियमित किया जाए. पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं. इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9 हजार रुपये ही वेतन मिलता है. जो वन विभाग में वाहन चालक कंप्युटर ऑपरेटर रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.'' महिला पुरुष एक साथ होने से परेशानी : अपनी मांगों को लेकर रायपुर में प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर पहुंची. दैनिक वेतन भोगी महिला वन कर्मचारियों ने बताया कि "तीजा का पर्व भी अब प्रदर्शन स्थल पर मनाएंगे. जिन जगहों पर किराया लेकर गुजर बसर कर रहे हैं. वहां पर महिला और पुरुष वन कर्मचारी रात बिताने को मजबूर हैं. जहां महिला वन कर्मचारियों को दिक्कतें हो रही (Problems of women employees of forest department) हैं. दिक्कतों के बावजूद भी वन विभाग में काम करने वाले महिला कर्मचारियों ने हिम्मत नहीं हारी हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि ''जब तक सरकार इनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तब तक हड़ताल समाप्त नहीं करेंगे."कई कर्मचारी हो रहे हैं बीमार : प्रदेश भर के लगभग 3000 दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ प्रदेश व्यापी इस आंदोलन में राजधानी पहुंचे हैं. कांकेर जिले के वन कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष गिरधर जैन ने बताया कि "राजधानी के अलग-अलग जगहों पर किराए के मकान में रहकर अपने हड़ताल को सफल बनाने में जुटे हैं. लेकिन इन कर्मचारियों की सुध लेने की फुर्सत किसी को नहीं है. 20 अगस्त से लेकर अब तक लगभग 25 दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ की तबीयत भी खराब हो चुकी है. कई वन कर्मचारियों को तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से उनके गृह ग्राम वापस भेज दिया गया है."सीएम से मिला भरोसा भी अब टूट रहा : दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री राम कुमार सिन्हा ने बताया कि ''सरकार ने सत्ता में आने के पहले वादा किया था कि सरकार बनते ही उन्हें नियमित कर दिया जाएगा. लेकिन सरकार को बने लगभग साढ़े 3 साल हो चुके हैं. बावजूद इसके इनका नियमितीकरण नहीं हो पाया. इनकी मांगों के संबंध में सरकार ने एक कमेटी भी गठित की है. लेकिन उक्त कमेटी के द्वारा इनकी मांगों को लेकर अब तक कोई भी संतोषजनक निर्णय नहीं लिया जा सका है.''लोग मानते हैं कि भूपेश है तो भरोसा है इसी भरोसे के आधार पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं. लेकिन अब यह भरोसा भी टूटता जा रहा है."

रायपुर : प्रदेश की राजधानी रायपुर में वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अपनी 2 सूत्रीय मांग स्थायीकरण और नियमितीकरण की मांग को लेकर 20 अगस्त प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर (Daily wagers appeal to CM bhupesh for regulias) हैं. जिलों के दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी राजधानी के अलग-अलग जगहों पर किराए पर रहने को मजबूर हैं. मंत्री विधायक कोई भी इनकी फरियाद सुनने को तैयार नहीं है.प्रदर्शन में आए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी खाने पीने की व्यवस्था खुद से कर रहे हैं.ऊपर से मौसम की मार के कारण कई कर्मचारी बीमार पड़ गए (Indefinite strike of daily wage earners) हैं.


1 लाख 20 हजार भवन का किराया : वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री ने बताया कि राजधानी के तीन जगहों पर किराए का भवन लिया गया है. जिसमें गोपिया पारा में जानकी कुंज जहां पर महीने भर का किराया 1 लाख 20 हजार रुपए है.दूसरी जगह कुशालपुर में स्थित सामुदायिक भवन में प्रतिदिन 6 हजार रुपए किराया दे रहे हैं.वहीं शहर के तीसरी जगह आमानाका में एक मंदिर में रहने का प्रतिदिन 3 हजार रुपए किराया देकर रहने को मजबूर हैं. कुछ बचे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी गंदगी और बदहाली के बीच प्रदर्शन स्थल में रात बिताने को मजबूर हैं.

दैनिक वेतन भोगियों ने लगाई सीएम भूपेश से गुहार
क्या है कर्मचारियों की मांग : वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग जिसमें पहला मांग स्थायीकरण और दूसरा मांग नियमितीकरण का है. इन कर्मचारियों का कहना है कि ''जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं. उन्हें स्थाई किया जाए और जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं. उन्हें नियमित किया जाए. पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं. इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9 हजार रुपये ही वेतन मिलता है. जो वन विभाग में वाहन चालक कंप्युटर ऑपरेटर रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.'' महिला पुरुष एक साथ होने से परेशानी : अपनी मांगों को लेकर रायपुर में प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर पहुंची. दैनिक वेतन भोगी महिला वन कर्मचारियों ने बताया कि "तीजा का पर्व भी अब प्रदर्शन स्थल पर मनाएंगे. जिन जगहों पर किराया लेकर गुजर बसर कर रहे हैं. वहां पर महिला और पुरुष वन कर्मचारी रात बिताने को मजबूर हैं. जहां महिला वन कर्मचारियों को दिक्कतें हो रही (Problems of women employees of forest department) हैं. दिक्कतों के बावजूद भी वन विभाग में काम करने वाले महिला कर्मचारियों ने हिम्मत नहीं हारी हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि ''जब तक सरकार इनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तब तक हड़ताल समाप्त नहीं करेंगे."कई कर्मचारी हो रहे हैं बीमार : प्रदेश भर के लगभग 3000 दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ प्रदेश व्यापी इस आंदोलन में राजधानी पहुंचे हैं. कांकेर जिले के वन कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष गिरधर जैन ने बताया कि "राजधानी के अलग-अलग जगहों पर किराए के मकान में रहकर अपने हड़ताल को सफल बनाने में जुटे हैं. लेकिन इन कर्मचारियों की सुध लेने की फुर्सत किसी को नहीं है. 20 अगस्त से लेकर अब तक लगभग 25 दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ की तबीयत भी खराब हो चुकी है. कई वन कर्मचारियों को तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से उनके गृह ग्राम वापस भेज दिया गया है."सीएम से मिला भरोसा भी अब टूट रहा : दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री राम कुमार सिन्हा ने बताया कि ''सरकार ने सत्ता में आने के पहले वादा किया था कि सरकार बनते ही उन्हें नियमित कर दिया जाएगा. लेकिन सरकार को बने लगभग साढ़े 3 साल हो चुके हैं. बावजूद इसके इनका नियमितीकरण नहीं हो पाया. इनकी मांगों के संबंध में सरकार ने एक कमेटी भी गठित की है. लेकिन उक्त कमेटी के द्वारा इनकी मांगों को लेकर अब तक कोई भी संतोषजनक निर्णय नहीं लिया जा सका है.''लोग मानते हैं कि भूपेश है तो भरोसा है इसी भरोसे के आधार पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं. लेकिन अब यह भरोसा भी टूटता जा रहा है."
Last Updated : Aug 30, 2022, 5:20 PM IST

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