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सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत के प्रयास के लिए समिति गठित - Negotiations between government and the Naxalites

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सिविल सोसाइटी के सदस्यों की एक बैठक हुई. इसमें सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत के प्रयास शुरू करने पर जोर दिया गया. सिविल सोसाइटी ने बाकायदा 11 सदस्यीय समिति का गठन भी किया है.

Civil society meeting
सिविल सोसाइटी की बैठक
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Published : Feb 23, 2021, 3:10 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 8:01 PM IST

रायपुर: बस्तर में चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए सिविल सोसाइटी ने कवायद शुरू कर दिया है. सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत के प्रयास शुरू करने के लिए एक समिति भी गठित की गई है. 11 सदस्यीय समिति को जिले में और सदस्यों को जोड़ने के साथ ही कोर टीम बनाने का अधिकार दिया गया है.

सिविल सोसाइटी की बैठक


समिति के प्रमुख सदस्य

  • अरविन्द नेताम, पूर्व केंद्रीय मंत्री
  • नंद कुमार साय, पूर्व अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग
  • मनीष कुंजाम, सीपीआई नेता

पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी को इस समिति का संयोजक बनाया गया है.

Civil society meeting
सिविल सोसायटी की बैठक

समिति के अन्य प्रमुख सदस्य

  • दिवाकर मुक्तिबोध, पत्रकार
  • कमल शुक्ला
  • इंदु नेताम, सामाजिक कार्यकर्ता
  • बीएस रावटे, सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष
  • वीरेंद्र पांडेय,राजनेता
  • गिरीश पंकज, लेखक
  • आरडीसीपी राव,राज्य सचिव, सीपीआई

'बातचीत ही एकमात्र रास्ता'

समिति के सदस्यों ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने घोषणापत्र में बातचीत के लिए गंभीर प्रयास किए जाने का वादा किया है. इस समस्या के समाधान के लिए बातचीत के अलावा और कोई तरीका नहीं है. यह समिति विभिन्न जिलों में बैठक कर अपनी सदस्यता बढ़ाने का प्रयास करेगी. समिति पीड़ितों के रजिस्टर बनाए जाने का भी समर्थन करती है, जिसमें पिछले 50 सालों से अधिक समय में हिंसा से प्रभावित लोगों की सूची बनाने का प्रयास किया जा रहा है. कुछ महीने पहले हुए एक फोन जनमत संग्रह में 92 फीसदी लोगों ने इस समस्या के बातचीत के माध्यम से एक शांतिपूर्ण समाधान के प्रयास का आग्रह किया था.

नक्सल हिंसा के पीड़ितों की बैठक का समर्थन

समिति के सदस्यों का यह भी कहना है कि इस तरह के प्रयास आंध्रप्रदेश में पहले असफल हुए हैं. हमें गलतियों से सीख लेना है. दुनिया के दूसरे देशों में हुए सफल प्रयोगों का भी अध्ययन करना है. समिति इस दिशा में हो रहे प्रयासों का समर्थन करती है.

समिति अबूझमाड़ से रायपुर तक 12 मार्च को होने वाले नई शांति प्रक्रिया के दांडी मार्च शांति पदयात्रा का समर्थन करती है. 23 और 24 मार्च को रायपुर में आयोजित पीड़ितों की पहली बैठक 'चैकले मांदी' का भी समर्थन करती है. इस बैठक में दोनों पक्षों से पीड़ित परिवार पहली बार एक मंच पर आएंगे.

साय ने जताया भरोसा

भाजपा के वरिष्ठ नेता और अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नन्द कुमार साय ने कहा कि आज एक अच्छी पहल हो रही है. आने वाले समय में यह पहल काफी कारगर साबित हो सकती है. यह सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं है. सरकार एक आधार बन सकती है. सरकार एक कारक हो सकती है, लेकिन कोशिश तो लोगों को ही करना होगा. यह पहल इसी तरह आगे बढ़ती रही तो हम इस समस्या के समाधान तक जरूर पहुंचेंगे.

SPECIAL: दंतेश्वरी और बस्तर फाइटर्स 'लाल आतंक' का करेंगे खात्मा !


चर्चा कर निकालें समाधान-साय

साय ने वर्तमान सरकार के नक्सल समस्या को लेकर उठाए गए कदम पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि वे कोई राजनीतिक बात नहीं करना चाहता हैं. साय ने वर्तमान सरकार के नक्सल समस्या को लेकर उठाए गए कदम पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि वे कोई राजनीतिक बात नहीं करना चाहते हैं. जनजातियों और इस दिशा में काम कर रहे लोगों से चर्चा कर समाधान निकालने की कोशिश होनी चाहिए.

रायपुर: बस्तर में चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए सिविल सोसाइटी ने कवायद शुरू कर दिया है. सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत के प्रयास शुरू करने के लिए एक समिति भी गठित की गई है. 11 सदस्यीय समिति को जिले में और सदस्यों को जोड़ने के साथ ही कोर टीम बनाने का अधिकार दिया गया है.

सिविल सोसाइटी की बैठक


समिति के प्रमुख सदस्य

  • अरविन्द नेताम, पूर्व केंद्रीय मंत्री
  • नंद कुमार साय, पूर्व अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग
  • मनीष कुंजाम, सीपीआई नेता

पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी को इस समिति का संयोजक बनाया गया है.

Civil society meeting
सिविल सोसायटी की बैठक

समिति के अन्य प्रमुख सदस्य

  • दिवाकर मुक्तिबोध, पत्रकार
  • कमल शुक्ला
  • इंदु नेताम, सामाजिक कार्यकर्ता
  • बीएस रावटे, सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष
  • वीरेंद्र पांडेय,राजनेता
  • गिरीश पंकज, लेखक
  • आरडीसीपी राव,राज्य सचिव, सीपीआई

'बातचीत ही एकमात्र रास्ता'

समिति के सदस्यों ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने घोषणापत्र में बातचीत के लिए गंभीर प्रयास किए जाने का वादा किया है. इस समस्या के समाधान के लिए बातचीत के अलावा और कोई तरीका नहीं है. यह समिति विभिन्न जिलों में बैठक कर अपनी सदस्यता बढ़ाने का प्रयास करेगी. समिति पीड़ितों के रजिस्टर बनाए जाने का भी समर्थन करती है, जिसमें पिछले 50 सालों से अधिक समय में हिंसा से प्रभावित लोगों की सूची बनाने का प्रयास किया जा रहा है. कुछ महीने पहले हुए एक फोन जनमत संग्रह में 92 फीसदी लोगों ने इस समस्या के बातचीत के माध्यम से एक शांतिपूर्ण समाधान के प्रयास का आग्रह किया था.

नक्सल हिंसा के पीड़ितों की बैठक का समर्थन

समिति के सदस्यों का यह भी कहना है कि इस तरह के प्रयास आंध्रप्रदेश में पहले असफल हुए हैं. हमें गलतियों से सीख लेना है. दुनिया के दूसरे देशों में हुए सफल प्रयोगों का भी अध्ययन करना है. समिति इस दिशा में हो रहे प्रयासों का समर्थन करती है.

समिति अबूझमाड़ से रायपुर तक 12 मार्च को होने वाले नई शांति प्रक्रिया के दांडी मार्च शांति पदयात्रा का समर्थन करती है. 23 और 24 मार्च को रायपुर में आयोजित पीड़ितों की पहली बैठक 'चैकले मांदी' का भी समर्थन करती है. इस बैठक में दोनों पक्षों से पीड़ित परिवार पहली बार एक मंच पर आएंगे.

साय ने जताया भरोसा

भाजपा के वरिष्ठ नेता और अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नन्द कुमार साय ने कहा कि आज एक अच्छी पहल हो रही है. आने वाले समय में यह पहल काफी कारगर साबित हो सकती है. यह सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं है. सरकार एक आधार बन सकती है. सरकार एक कारक हो सकती है, लेकिन कोशिश तो लोगों को ही करना होगा. यह पहल इसी तरह आगे बढ़ती रही तो हम इस समस्या के समाधान तक जरूर पहुंचेंगे.

SPECIAL: दंतेश्वरी और बस्तर फाइटर्स 'लाल आतंक' का करेंगे खात्मा !


चर्चा कर निकालें समाधान-साय

साय ने वर्तमान सरकार के नक्सल समस्या को लेकर उठाए गए कदम पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि वे कोई राजनीतिक बात नहीं करना चाहता हैं. साय ने वर्तमान सरकार के नक्सल समस्या को लेकर उठाए गए कदम पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि वे कोई राजनीतिक बात नहीं करना चाहते हैं. जनजातियों और इस दिशा में काम कर रहे लोगों से चर्चा कर समाधान निकालने की कोशिश होनी चाहिए.

Last Updated : Feb 25, 2021, 8:01 PM IST
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