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संपन्न हुई मुरिया दरबार की रस्म, CM ने की तीन बड़ी घोषणाएं - CM Bhupesh Baghel

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की आखिरी रस्म मुरिया दरबार आज संपन्न हुई. जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल हुए.

Chief Minister Bhupesh Baghel
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
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Published : Oct 17, 2021, 9:21 AM IST

Updated : Oct 17, 2021, 5:30 PM IST

रायपुर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा (World Famous Bastar Dussehra) समाप्ति की ओर है. बस्तर दशहरे की मुरिया दरबार (Muria Durbar of Bastar Dussehra) की रस्म आज पूरी की जाएगी. जिसमे CM भूपेश बघेल भी शामिल हो रहे हैं. मुरिया दरबार में सीएम बस्तर और वहां के लोगों की समस्याएं सुनेंगे और उनका निदान करेंगे. दो दिनों के बस्तर दौरे के दौरान सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) बस्तर में करोड़ों की योजनाओं का भी लोकार्पण करेंगे.

मुरिया दरबार की रस्म में शामिल हुए CM

रस्म मुरिया में शामिल हुए मुख्यमंत्री

75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा (World Famous Bastar Dussehra) का आयोजन अब समाप्ति की ओर है. बस्तर दशहरा की एक और महत्वपूर्ण रस्म मुरिया दरबार का आयोजन सिरहासार भवन में किया गया. इस रस्म में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) सहित तमाम मंत्री, दशहरा समिति के अध्यक्ष, साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और मुखिया, माझी चालकी उपस्थित रहे.

मांझी चालकियों का बढ़ेगा मानदेय- सीएम

इस रस्म के दौरान दशहरा समिति के सदस्य सभी मांझी चालकियों ने मुख्यमंत्री के सामने पर्व से सम्बंधित अपनी समस्याएं रखी. जिनके समाधान के लिए मुख्यमंत्री ने आदेश देते हुए पिछले साल मांझी चालकियों के मानदेय में बढ़ोतरी करने की घोषणा की. आज सभी मांझी चालकियों को बढ़ी हुई मानदेय मुख्यमंत्री की ओर से दिया गया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस रस्म के दौरान तीन बढ़ी घोषणाएं भी की.

दरअसल 600 वर्षों से सामान्य और वनवासी समाज की तरफ से संयुक्त रुप से बस्तर दशहरा पर्व माता दंतेश्वरी के सम्मान में यहां मनाया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में आदिवासी शामिल होते हैं. बस्तर दशहरा समारोह के अंतर्गत मुरिया दरबार कार्यक्रम में बस्तर संभाग भर से आए विभिन्न गांवों के मांझी, चालकी, मुखिया शासन प्रशासन के समक्ष अपनी समस्याओं को रखते हैं और उनके निदान के लिए पहल की जाती है.

रियासत काल में ग्रामीण राजा के समक्ष अपनी समस्या रखते थे और वे समस्याओं का निराकरण किया करते थे. लेकिन लोकतंत्र में अब शासन प्रशासन के नुमाइंदे मौजूद रहते हैं और ग्रामीण उनसे अपनी समस्याओं को बताते हैं. आज इस आयोजन में ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री के समक्ष पर्व से संबंधित मांग रखने के साथ ही बस्तर के ग्रमीण अंचलों में मौजूद देवगुड़ियों के जल्द से जल्द जीर्णोद्धार करने के साथ ही पुजारियों को मानदेय दी जाने की मांग की.

सीएम ने तीन बड़ी रस्म की घोषणाएं की

मुख्यमंत्री ने मांझी चालकियों के कुछ मांगों पर त्वरित निराकरण की घोषणा करने के साथ ही रस्म के दौरान तीन बड़ी घोषणाएं की. जिसमें शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज का नाम अब वीर झाड़ा सिरहा के नाम से रखे जाने के साथ ही, मंदिर समिति में एक सहायक ग्रेड 3 लिपिक और एक भृत्य की नियुक्ति की घोषणा मुख्यमंत्री ने की.

इसके अलावा दंतेवाड़ा शक्तिपीठ में जल्द ही भव्य रुप से ज्योति कलश कक्ष का निर्माण किए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुरिया दरबार में दशहरा पर्व से संबंधित और बस्तर के विकास से संबंधित चर्चा होती है. उन्हें सौभाग्य मिला कि वह इस मुरिया दरबार में शामिल हो पाए.

आदिवासी संस्कृति संरक्षण बेहद जरूरी

उन्होंने कहा कि जो भी यहां पर चर्चाएं हुई हैं और मांझी चालकियों ने अपनी समस्याएं रखी है उन सब का निराकरण जल्द से जल्द किया जाएगा और जो घोषणाए की गई है, उन्हें भी पूरा किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बस्तर में आदिवासी संस्कृति को बचाए रखने के लिए, इस पर्व के दौरान किसी भी चीज की कमी राज्य सरकार की ओर से नहीं होने दी जाएगी और पर्व की शान और गरिमा हमेशा बनी रहेगी.

क्या होता है मुरिया दरबार ?

मुरिया दरबार की रस्म 600 साल पुरानी है. रियासत काल में बस्तर दशहरे (Bastar Dussehra) के समापन के मौके पर मुरिया दरबार (Muriya Darbar ) का आयोजन राजमहल में ही होता था. इसमें गांव-गांव से आए मांझी, चालकी आदि राजा के समक्ष अपनी समस्याओं को रखा करते थे. राजा उन समस्याओं का निदान किया करते थे.

वर्तमान समय में भी मुरिया दरबार की यह परंपरा कायम है. बदलाव इतना है की यह कार्यक्रम अब लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप होता है. जिसमें शासन-प्रशासन के नुमाइंदे मौजूद होते हैं. ग्रामीण उन्हें अपनी समस्याएं बताते हैं और उनका निदान करने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन पर होती है. परम्परागत रूप से राजपरिवार के सदस्य भी यहां मौजूद होते हैं. पर्व के अंत में संपन्न होने वाला मुरिया दरबार इसे लोकतांत्रिक पर्व के तौर पर स्थापित करता है. पर्व के सुचारु संचालन के लिए दशहरा समिति गठित की जाती है, जिसके माध्यम से बस्तर के समस्त देवी-देवताओं, चालकी, मांझी, सरपंच, कोटवार, पुजारी समेत ग्रामीणों को दशहरा में सम्मिलित होने का आमंत्रण दिया जाता है.

रायपुर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा (World Famous Bastar Dussehra) समाप्ति की ओर है. बस्तर दशहरे की मुरिया दरबार (Muria Durbar of Bastar Dussehra) की रस्म आज पूरी की जाएगी. जिसमे CM भूपेश बघेल भी शामिल हो रहे हैं. मुरिया दरबार में सीएम बस्तर और वहां के लोगों की समस्याएं सुनेंगे और उनका निदान करेंगे. दो दिनों के बस्तर दौरे के दौरान सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) बस्तर में करोड़ों की योजनाओं का भी लोकार्पण करेंगे.

मुरिया दरबार की रस्म में शामिल हुए CM

रस्म मुरिया में शामिल हुए मुख्यमंत्री

75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा (World Famous Bastar Dussehra) का आयोजन अब समाप्ति की ओर है. बस्तर दशहरा की एक और महत्वपूर्ण रस्म मुरिया दरबार का आयोजन सिरहासार भवन में किया गया. इस रस्म में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) सहित तमाम मंत्री, दशहरा समिति के अध्यक्ष, साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और मुखिया, माझी चालकी उपस्थित रहे.

मांझी चालकियों का बढ़ेगा मानदेय- सीएम

इस रस्म के दौरान दशहरा समिति के सदस्य सभी मांझी चालकियों ने मुख्यमंत्री के सामने पर्व से सम्बंधित अपनी समस्याएं रखी. जिनके समाधान के लिए मुख्यमंत्री ने आदेश देते हुए पिछले साल मांझी चालकियों के मानदेय में बढ़ोतरी करने की घोषणा की. आज सभी मांझी चालकियों को बढ़ी हुई मानदेय मुख्यमंत्री की ओर से दिया गया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस रस्म के दौरान तीन बढ़ी घोषणाएं भी की.

दरअसल 600 वर्षों से सामान्य और वनवासी समाज की तरफ से संयुक्त रुप से बस्तर दशहरा पर्व माता दंतेश्वरी के सम्मान में यहां मनाया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में आदिवासी शामिल होते हैं. बस्तर दशहरा समारोह के अंतर्गत मुरिया दरबार कार्यक्रम में बस्तर संभाग भर से आए विभिन्न गांवों के मांझी, चालकी, मुखिया शासन प्रशासन के समक्ष अपनी समस्याओं को रखते हैं और उनके निदान के लिए पहल की जाती है.

रियासत काल में ग्रामीण राजा के समक्ष अपनी समस्या रखते थे और वे समस्याओं का निराकरण किया करते थे. लेकिन लोकतंत्र में अब शासन प्रशासन के नुमाइंदे मौजूद रहते हैं और ग्रामीण उनसे अपनी समस्याओं को बताते हैं. आज इस आयोजन में ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री के समक्ष पर्व से संबंधित मांग रखने के साथ ही बस्तर के ग्रमीण अंचलों में मौजूद देवगुड़ियों के जल्द से जल्द जीर्णोद्धार करने के साथ ही पुजारियों को मानदेय दी जाने की मांग की.

सीएम ने तीन बड़ी रस्म की घोषणाएं की

मुख्यमंत्री ने मांझी चालकियों के कुछ मांगों पर त्वरित निराकरण की घोषणा करने के साथ ही रस्म के दौरान तीन बड़ी घोषणाएं की. जिसमें शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज का नाम अब वीर झाड़ा सिरहा के नाम से रखे जाने के साथ ही, मंदिर समिति में एक सहायक ग्रेड 3 लिपिक और एक भृत्य की नियुक्ति की घोषणा मुख्यमंत्री ने की.

इसके अलावा दंतेवाड़ा शक्तिपीठ में जल्द ही भव्य रुप से ज्योति कलश कक्ष का निर्माण किए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुरिया दरबार में दशहरा पर्व से संबंधित और बस्तर के विकास से संबंधित चर्चा होती है. उन्हें सौभाग्य मिला कि वह इस मुरिया दरबार में शामिल हो पाए.

आदिवासी संस्कृति संरक्षण बेहद जरूरी

उन्होंने कहा कि जो भी यहां पर चर्चाएं हुई हैं और मांझी चालकियों ने अपनी समस्याएं रखी है उन सब का निराकरण जल्द से जल्द किया जाएगा और जो घोषणाए की गई है, उन्हें भी पूरा किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बस्तर में आदिवासी संस्कृति को बचाए रखने के लिए, इस पर्व के दौरान किसी भी चीज की कमी राज्य सरकार की ओर से नहीं होने दी जाएगी और पर्व की शान और गरिमा हमेशा बनी रहेगी.

क्या होता है मुरिया दरबार ?

मुरिया दरबार की रस्म 600 साल पुरानी है. रियासत काल में बस्तर दशहरे (Bastar Dussehra) के समापन के मौके पर मुरिया दरबार (Muriya Darbar ) का आयोजन राजमहल में ही होता था. इसमें गांव-गांव से आए मांझी, चालकी आदि राजा के समक्ष अपनी समस्याओं को रखा करते थे. राजा उन समस्याओं का निदान किया करते थे.

वर्तमान समय में भी मुरिया दरबार की यह परंपरा कायम है. बदलाव इतना है की यह कार्यक्रम अब लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप होता है. जिसमें शासन-प्रशासन के नुमाइंदे मौजूद होते हैं. ग्रामीण उन्हें अपनी समस्याएं बताते हैं और उनका निदान करने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन पर होती है. परम्परागत रूप से राजपरिवार के सदस्य भी यहां मौजूद होते हैं. पर्व के अंत में संपन्न होने वाला मुरिया दरबार इसे लोकतांत्रिक पर्व के तौर पर स्थापित करता है. पर्व के सुचारु संचालन के लिए दशहरा समिति गठित की जाती है, जिसके माध्यम से बस्तर के समस्त देवी-देवताओं, चालकी, मांझी, सरपंच, कोटवार, पुजारी समेत ग्रामीणों को दशहरा में सम्मिलित होने का आमंत्रण दिया जाता है.

Last Updated : Oct 17, 2021, 5:30 PM IST
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