रायपुर : केंद्रीय गृहमंत्री ने एक बैठक लेकर एथेनॉल के विकल्प पर राज्यों को खुली छूट दी है.जिस पर सीएम भूपेश बघेल का कहना (Statement of Chief Minister Bhupesh Baghel) है कि प्रदेश ने तीन साल पहले ही एथेनॉल पर केंद्र को प्रस्ताव भेजा है. लेकिन समस्या ये है कि केंद्र चाहती है कि हम पैरा, भूसा, गन्ना और मक्का से एथेनॉल बनाए. गन्ने के लिए कवर्धा और मक्के के लिए कोंडागांव में प्लांट लग रहा है. लेकिन हमारी प्राथमिकता धान से एथेनॉल बनाने (ethanol from paddy) की है. भारत सरकार के पास चावल पड़ा है. हम 32 नहीं 22 में देने के लिए तैयार हो गए.इसके बाद भी नहीं लिया. ऐसे में हमने धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति मांगी. साथ ही धान के एथेनॉल का रेट तय करने को कहा. लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई काम केंद्र ने नहीं किया.
केंद्र की अनुमति से ही काम : भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार जो धान खरीदती है .वो केंद्र सरकार की अनुमति से ही खरीदती है. पिछले साल भारत सरकार जितने का हमने माँग की थी उतना धान नहीं खरीदा. आख़िर में उस धान को हमें नीलाम करना पड़ा. इसी कारण सरकार को घाटा बर्दाश्त करना पड़ा. हमारा कहना है कि आप खरीद नही रहे तो हमको अनुमति दीजिए. ये कहते हैं कि कनकी से अनुमति ले लो और हम कनकी से अनुमति लेते हैं तो हमें कनकी मार्केट से ख़रीदना पड़ेगा. यह इससे भारत सरकार और राज्य सरकार को कोई फ़ायदा नहीं होगा. न ही इसे किसानों को फायदा मिलेगा.
धान से सभी को फायदा : यदि केंद्र धान से एथेनॉल की (ethanol from paddy)अनुमति देते हैं तो पहले एफसीआई यानी केंद्र सरकार को फायदा मिलेगा. दूसरा राज्य सरकार को राहत होगी और तीसरा सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे अन्नदाता फायदे में रहेंगे. भूपेश के मुताबिक धान को हम सोसाइटी लाते हैं खरीदी के बाद उन्हें संग्रहण केंद्र में रखते हैं. संग्रहण केंद्र से राइस मिलिंग करते हैं. इतने सारे ट्रांसपोर्टेशन, हैंडलिंग, सुरक्षा चार्जर्स का बचत होना है. यदि धान का एथनॉल प्लांट खोल दिया जाए तो सीधा प्लांट के पास ही किसान धान बेचेंगे. वहीम धान खरीदने की व्यवस्था कर दी जाएगी. इससे अधिक खर्च नहीं होगा.
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एथेनॉल की कीमत कितनी : सीएम बघेल ने कहा कि एक में 54 रुपए और एक में 59 रुपये एथेनॉल का रेट है, यदि उन सबको 60 रुपए भी रखते हैं. तो सवा दो किलो धान में एक लीटर एथेनॉल मिल जाता है. धान से करेंगे तो हो सकता है ढाई किलो हो, यदि 9 रुपया प्रोसेसिंग लगता है. 50 रुपया धान का मानते तो भी फायदा ही होगा. किसानों को दाम मिलेगा और राज्य सरकारों केंद्र सरकार पर भार कम होगा.