ETV Bharat / city

Children's Day 2021: जिन बच्चों को बोझ समझ कर छोड़ देते हैं मां-बाप, उन्हें यहां मिल जाती है नई जिंदगी

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन (Birthday of Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru) के अवसर पर बाल दिवस मनाया जाता है. बाल दिवस (children Day) के मौके पर हम आपको एक ऐसी संस्था के बारे में बताने जा रहे हैं जो उन बच्चों का सहारा बनती है, जिनका कोई नहीं होता.

Children's Day 2021
बाल दिवस 2021
author img

By

Published : Nov 13, 2021, 9:42 PM IST

Updated : Nov 13, 2021, 10:54 PM IST

रायपुरः देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर बाल दिवस मनाया जाता है. बाल दिवस (children Day) के मौके पर हम आपको एक ऐसी संस्था के बारे में बताने जा रहे हैं जो उन बच्चों का सहारा बनती है, जिनका कोई नहीं होता.

बाल दिवस 2021

सेवा भारती मातृ छाया संस्था की सोच है कि हर बच्चों के जीने के अधिकार (right to live) है, इसी सोच को लेकर संस्था मानवता के सही मायने में को साकार (realizing the true meaning of humanity) कर रही है. नवजात बच्चे जिन्हें यह भी पता नहीं होता कि वह इस दुनिया में कैसे आए हैं उन्हें जब लोग झाड़ियों, नालियों में फेंक देते हैं, ऐसे बच्चों को आसरा मातृछाया में दिया जाता है. उनका लालन-पालन (Upbringing) किया जाता है. साथ में बच्चों के स्वास्थ्य और सेहतमंद खाने को लेकर भी संस्था द्वारा कार्य किया जाता है.


समाज के सहयोग से संचालित हो रही संस्था
11 जुलाई 2006 को सेवा भारती मातृछाया संस्था की शुरुआत की गई. यह संस्था पूर्ण रूप से समाज के सहयोग से संचालित हो रही है. पहले यह संस्था किराए की बिल्डिंग में संचालित हो रही थी लेकिन आज लोगों के सहयोग से स्वयं के बिल्डिंग हो गई है. वर्तमान में संस्था में 15 बच्चे मौजूद हैं, जिनमें बालक और 6 बालिका हैं.


नया जीवने की मंशा से गोद दिए जाते हैं बच्चे
संस्था के गिरधारी सागर ने बताया कि मातृछाया संस्था रायपुर द्वारा अभी तक 165 बच्चों को दत्तक ग्रहण करवा चुकी है. उन बच्चों को जीवन पर्यंत वैध माता-पिता के संरक्षण में कानूनी रूप में सौंपा गया है. संस्था उन बच्चों का संरक्षण करती है जिनके पालक उन्हें पाने में असमर्थ हैं. ऐसे 62 बच्चों को पाल-पोस कर उनके जैविक माता पिता को सौंपा गया है. गिरधारी सागर ने बताया कि संस्था 6 वर्ष के आयु तक ही बच्चों का संरक्षण करती है.

6 साल के बाद बच्चों को अन्य संस्था के संरक्षण में सुपुर्द कर दिया जाता है. उन 39 बच्चों को लालन-पालन के लिए दूसरी संस्था को स्थानांतरित कर चुकी है. वर्तमान संस्था में 7 बालक और 5 बालिकाओं का लालन-पालन हो रहा है. इस संस्था में अब तक 278 शिशुओं का संरक्षण हो चुका है. संस्था में कुल 15 कर्मचारी कार्यरत हैं जो सारी व्यवस्थाओं की देखरेख करते हैं.

बिलासपुर में कबाड़ हो रही सरकारी एंबुलेंस सुविधा, मरीजों की जान पर आफत

विदेशों में भी गोद दिए गए हैं बच्चे
मातृछाया संस्था द्वारा विदेशों में भी बच्चे को दिए गए हैं. जिनमें यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका और न्यूजीलैंड जैसे देशों में छत्तीसगढ़ के बच्चों को गोद दिया गया है. अब तक संस्था से 9 बच्चे विदेशों में दत्तक दिए गए हैं.

संस्था करती है बच्चों की देखभाल
बलजीत सेवा भाव से बच्चों की देखरेख इस संस्था में होती है. ऐसे लोग बच्चों को जन्म देकर लावारिस फेंक देते हैं. संस्था ने अपील की है कि वे अपने बच्चों को मातृ छाया के पालन में रख दें ताकि उस बच्चे को नया जीवन मिल सके.

रायपुरः देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर बाल दिवस मनाया जाता है. बाल दिवस (children Day) के मौके पर हम आपको एक ऐसी संस्था के बारे में बताने जा रहे हैं जो उन बच्चों का सहारा बनती है, जिनका कोई नहीं होता.

बाल दिवस 2021

सेवा भारती मातृ छाया संस्था की सोच है कि हर बच्चों के जीने के अधिकार (right to live) है, इसी सोच को लेकर संस्था मानवता के सही मायने में को साकार (realizing the true meaning of humanity) कर रही है. नवजात बच्चे जिन्हें यह भी पता नहीं होता कि वह इस दुनिया में कैसे आए हैं उन्हें जब लोग झाड़ियों, नालियों में फेंक देते हैं, ऐसे बच्चों को आसरा मातृछाया में दिया जाता है. उनका लालन-पालन (Upbringing) किया जाता है. साथ में बच्चों के स्वास्थ्य और सेहतमंद खाने को लेकर भी संस्था द्वारा कार्य किया जाता है.


समाज के सहयोग से संचालित हो रही संस्था
11 जुलाई 2006 को सेवा भारती मातृछाया संस्था की शुरुआत की गई. यह संस्था पूर्ण रूप से समाज के सहयोग से संचालित हो रही है. पहले यह संस्था किराए की बिल्डिंग में संचालित हो रही थी लेकिन आज लोगों के सहयोग से स्वयं के बिल्डिंग हो गई है. वर्तमान में संस्था में 15 बच्चे मौजूद हैं, जिनमें बालक और 6 बालिका हैं.


नया जीवने की मंशा से गोद दिए जाते हैं बच्चे
संस्था के गिरधारी सागर ने बताया कि मातृछाया संस्था रायपुर द्वारा अभी तक 165 बच्चों को दत्तक ग्रहण करवा चुकी है. उन बच्चों को जीवन पर्यंत वैध माता-पिता के संरक्षण में कानूनी रूप में सौंपा गया है. संस्था उन बच्चों का संरक्षण करती है जिनके पालक उन्हें पाने में असमर्थ हैं. ऐसे 62 बच्चों को पाल-पोस कर उनके जैविक माता पिता को सौंपा गया है. गिरधारी सागर ने बताया कि संस्था 6 वर्ष के आयु तक ही बच्चों का संरक्षण करती है.

6 साल के बाद बच्चों को अन्य संस्था के संरक्षण में सुपुर्द कर दिया जाता है. उन 39 बच्चों को लालन-पालन के लिए दूसरी संस्था को स्थानांतरित कर चुकी है. वर्तमान संस्था में 7 बालक और 5 बालिकाओं का लालन-पालन हो रहा है. इस संस्था में अब तक 278 शिशुओं का संरक्षण हो चुका है. संस्था में कुल 15 कर्मचारी कार्यरत हैं जो सारी व्यवस्थाओं की देखरेख करते हैं.

बिलासपुर में कबाड़ हो रही सरकारी एंबुलेंस सुविधा, मरीजों की जान पर आफत

विदेशों में भी गोद दिए गए हैं बच्चे
मातृछाया संस्था द्वारा विदेशों में भी बच्चे को दिए गए हैं. जिनमें यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका और न्यूजीलैंड जैसे देशों में छत्तीसगढ़ के बच्चों को गोद दिया गया है. अब तक संस्था से 9 बच्चे विदेशों में दत्तक दिए गए हैं.

संस्था करती है बच्चों की देखभाल
बलजीत सेवा भाव से बच्चों की देखरेख इस संस्था में होती है. ऐसे लोग बच्चों को जन्म देकर लावारिस फेंक देते हैं. संस्था ने अपील की है कि वे अपने बच्चों को मातृ छाया के पालन में रख दें ताकि उस बच्चे को नया जीवन मिल सके.

Last Updated : Nov 13, 2021, 10:54 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.