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रायपुर में RTE के तहत बच्चों का क्यों नहीं हो रहा एडमिशन? - नहीं हो रहा एडमिशन

रायपुर जिले में राइट-टू-एजुकेशन (Right-To-Education) के तहत अभी तक बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों में नहीं हो पाया है जिसके चलते गरीब छात्र पढ़ाई में बिछड़ते जा रहे हैं. कई स्थानों पर लॉटरी से नाम निकलने के बाद भी छात्रों ने एडमिशन (Admission) नहीं लिया है.

Why children are not getting admission under RTE in Raipur
रायपुर में RTE के तहत बच्चों का क्यों नहीं हो रहा एडमिशन
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Published : Sep 24, 2021, 8:42 PM IST

Updated : Sep 25, 2021, 2:41 PM IST

रायपुरः जिले में राइट-टू-एजुकेशन (Right To Education) के तहत अभी तक बच्चों का एडमिशन (Children's Admission) निजी स्कूलों (private schools) में नहीं हो पाया है जिसके चलते गरीब छात्र (Poor Student) पढ़ाई में पिछड़ते जा रहे हैं. कई जिलों में लॉटरी (lottery) से नाम निकलने के बाद भी छात्रों ने एडमिशन नहीं लिया है. जिला शिक्षा विभाग की ओर से आरटीआई के अंतर्गत प्रवेश प्रक्रिया में हुई देरी और सीटों में दाखिले को लेकर हो रही लेट-लतीफी का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. बच्चे पढ़ाई में बिछड़ते जा रहे हैं.

रायपुर में RTE के तहत बच्चों का क्यों नहीं हो रहा एडमिशन

प्रथम चरण में लॉटरी में जिन छात्रों के नाम आए थे उनके दाखिले अब तक नहीं हो पाए हैं. आरटीई (RTE) पंजीयन मार्च में ही प्रारंभ कर दिया गया था लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण अगस्त तक इसके लिए आवेदन मंगाए गए थे. 4 अगस्त को आरटीई के लिए प्रदेश में आवेदन प्रक्रिया समाप्त हुई थी. इसके बाद प्रथम पखवाड़े तक पहली सूची निकालने निर्देशित किया गया था. कई जिलों में दस्तावेज सत्यापन (Document Verification) में देरी के कारण पहली सूची वक्त पर नहीं निकल पाई थी.

अफसरों का दावा, हो रहा एडमिशन

वहीं, राजधानी के अलावा कई जिलों में भी देरी से लॉटरी निकाली गई. इस सूची में जिन छात्रों के नाम आए थे, उन्हें अगस्त तक प्रवेश लेने के लिए कहा गया था लेकिन छात्रों द्वारा अब तक संबंधित स्कूल में दाखिला नहीं लिया जा सका है. जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) एन एन बंजारा ने बताया कि RTE के तहत एडमिशन (Admission Under RTE) हो रहे हैं. जिन लोगों के दस्तावेज जमा नहीं हुए, उन्हें एडमिशन नहीं मिला है. निजी स्कूल आरटीई के तहत प्रवेश प्राप्त छात्रों के लिए विशेष कक्षाएं लगाने की तैयारी में हैं.

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महीनों पिछड़ गई बच्चों की पढ़ाई

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि जिन छात्रों का सितंबर में एडमिशन हुआ है, ऐसे बच्चों की पढ़ाई तीन-चार माह पिछड़ गई है. जिन छात्रों का प्रवेश अक्टूबर तक में होगा उन्हें और नुकसान होगा. एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि देर से प्रवेश लेने वाले बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई है. प्रदेश में राइट टू एजुकेशन (Right To Education) के तहत 83 हजार 125 सीटें हैं.

इनमें से कौन 39 हजार 35 सीटों पर दाखिले हो पाए हैं अधिक से अधिक सीटें अभी भी खाली है, शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कारण हो रही लेटलतीफी का खामियाजा कई गरीब बच्चे भुगत रहे हैं नहीं जिन स्कूलों में अब तक प्रवेश हुए हैं उनमें से ज्यादातर स्कूल अंग्रेजी माध्यम के हैं वही प्राइवेट हिंदी मीडियम में प्रवेश के स्थान पर पालक सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में बच्चों के प्रवेश देना प्राथमिकता समझ रहे हैं..

रायपुरः जिले में राइट-टू-एजुकेशन (Right To Education) के तहत अभी तक बच्चों का एडमिशन (Children's Admission) निजी स्कूलों (private schools) में नहीं हो पाया है जिसके चलते गरीब छात्र (Poor Student) पढ़ाई में पिछड़ते जा रहे हैं. कई जिलों में लॉटरी (lottery) से नाम निकलने के बाद भी छात्रों ने एडमिशन नहीं लिया है. जिला शिक्षा विभाग की ओर से आरटीआई के अंतर्गत प्रवेश प्रक्रिया में हुई देरी और सीटों में दाखिले को लेकर हो रही लेट-लतीफी का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. बच्चे पढ़ाई में बिछड़ते जा रहे हैं.

रायपुर में RTE के तहत बच्चों का क्यों नहीं हो रहा एडमिशन

प्रथम चरण में लॉटरी में जिन छात्रों के नाम आए थे उनके दाखिले अब तक नहीं हो पाए हैं. आरटीई (RTE) पंजीयन मार्च में ही प्रारंभ कर दिया गया था लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण अगस्त तक इसके लिए आवेदन मंगाए गए थे. 4 अगस्त को आरटीई के लिए प्रदेश में आवेदन प्रक्रिया समाप्त हुई थी. इसके बाद प्रथम पखवाड़े तक पहली सूची निकालने निर्देशित किया गया था. कई जिलों में दस्तावेज सत्यापन (Document Verification) में देरी के कारण पहली सूची वक्त पर नहीं निकल पाई थी.

अफसरों का दावा, हो रहा एडमिशन

वहीं, राजधानी के अलावा कई जिलों में भी देरी से लॉटरी निकाली गई. इस सूची में जिन छात्रों के नाम आए थे, उन्हें अगस्त तक प्रवेश लेने के लिए कहा गया था लेकिन छात्रों द्वारा अब तक संबंधित स्कूल में दाखिला नहीं लिया जा सका है. जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) एन एन बंजारा ने बताया कि RTE के तहत एडमिशन (Admission Under RTE) हो रहे हैं. जिन लोगों के दस्तावेज जमा नहीं हुए, उन्हें एडमिशन नहीं मिला है. निजी स्कूल आरटीई के तहत प्रवेश प्राप्त छात्रों के लिए विशेष कक्षाएं लगाने की तैयारी में हैं.

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महीनों पिछड़ गई बच्चों की पढ़ाई

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि जिन छात्रों का सितंबर में एडमिशन हुआ है, ऐसे बच्चों की पढ़ाई तीन-चार माह पिछड़ गई है. जिन छात्रों का प्रवेश अक्टूबर तक में होगा उन्हें और नुकसान होगा. एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि देर से प्रवेश लेने वाले बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई है. प्रदेश में राइट टू एजुकेशन (Right To Education) के तहत 83 हजार 125 सीटें हैं.

इनमें से कौन 39 हजार 35 सीटों पर दाखिले हो पाए हैं अधिक से अधिक सीटें अभी भी खाली है, शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कारण हो रही लेटलतीफी का खामियाजा कई गरीब बच्चे भुगत रहे हैं नहीं जिन स्कूलों में अब तक प्रवेश हुए हैं उनमें से ज्यादातर स्कूल अंग्रेजी माध्यम के हैं वही प्राइवेट हिंदी मीडियम में प्रवेश के स्थान पर पालक सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में बच्चों के प्रवेश देना प्राथमिकता समझ रहे हैं..

Last Updated : Sep 25, 2021, 2:41 PM IST
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