रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में तैयार हर्बल गुलाल से भरे ट्रक को यूरोप एक्सपोर्ट करने के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह हर्बल गुलाल स्व-सहायता समूह के सखी क्लस्टर संगठन अंजोरा राजनांदगांव (Sakhi Cluster Organization Anjora) और कुमकुम महिला ग्राम संगठन सांकरा (Kumkum Mahila Village Organization Sankra) दुर्ग की महिलाओं ने बनाया है. महिलाओं ने श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड के मार्गदर्शन में अपनी लगन और मेहनत से इसे तैयार किया है. यूरोप एक्सपोर्ट किए जा रहे 23 हजार 279 किलो हर्बल गुलाल का मूल्य 41 लाख 95 हजार 302 रुपए है.
कार्यक्रम में कौन-कौन थे मौजूद : छत्तीसगढ़ के हर्बल गुलाल से भरे ट्रक को यूरोप रवाना करने के लिए हरी झंडी दिखाई गई. इस दौरान मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, विधायक और छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा के साथ ही नगर निगम रायपुर के महापौर एजाज ढेबर, गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अनुज गोयल और महिला स्व-सहायता समूह के पदाधिकारी मौजूद थे.
महिला समूह बने आत्मनिर्भर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप महिला समूहों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौठानों में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. गौठानों की सामुदायिक बाड़ियों में फूलों की खेती विशेषकर गेंदा फूल की खेती शुरू की गई है ताकि इससे महिला समूहों को और अधिक आय हासिल हो सके.
कब हुआ था MoU : फूल से हर्बल गुलाल के निर्माण के लिए 18 फरवरी 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड और छत्तीसगढ़ शासन के उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी के संचालक के बीच एमओयू हुआ था. इसके प्रथम चरण में 150 महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से हर्बल गुलाल और हर्बल पूजन सामग्री तैयार की जा रही है. महिला समूहों के इस 23 हजार 279 किलो हर्बल गुलाल को श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से यूरोप एक्सपोर्ट किए जाने के लिए गुजरात स्थित मुंदरा पोर्ट भेजा जा रहा है.
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कैसे की गई है पैकेजिंग : एक्सपोर्ट हर्बल गुलाल की पैकेजिंग अलग-अलग आकार और वजन में की गई है. हर्बल गुलाल का कुल मूल्य 54 हजार 491 यूएस डॉलर यानी भारतीय रुपए में इसकी कीमत 41 लाख 95 हजार 302 है. गौठान की महिला समूहों की मेहनत से तैयार हर्बल सामग्री का विदेशों में एक्सपोर्ट होना छत्तीसगढ़ राज्य और स्व-सहायता समूहों के लिए गौरव की बात है.