रायपुर: देश में बढ़ती महंगाई का असर अब स्टील इंडस्ट्री पर भी देखने को मिल रहा है. बीते 15 - 20 दिनों में स्टील के दामों में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है. जिससे सरिया के भाव में भी तेजी आई है. इस वजह से खुद का मकान बनाने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं. देश में बढ़ते स्टील के दामों को लेकर ETV भारत ने स्टील उद्योग से जुड़े व्यापारियों से बातचीत कर इसके बढ़ने की वजह जानने की कोशिश की. (Chhattisgarh steel traders reaction)
स्टील में 30 से 50 प्रतिशत की वृद्धि: छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया कि 'इस समय महंगाई सभी जगह बढ़ी है. पेट्रोल, गैस, कॉपर, एलुमिनियम के दाम बढ़े हैं. जिसका असर स्टील के दाम पर भी पड़ा है. स्टील में पिछले कुछ दिनों में 30 से 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. स्टील के उत्पादन में लगने वाले दो प्रमुख रॉ मैटेरियल आयरनओर और कोल है. आयरनओर की आपूर्ति NMDC करती है. कोल की आपूर्ति SECL करता है. लेकिन SECL ने नॉन पावर सेक्टर पर बंदिश लगा दी है. हमारी कोल की डिमांड लगभग 1लाख टन है. जबकि हमें 20 से 25 हजार टन ही कोल दिया जा रहा है. कम सप्लाई के कारण हमें मार्केट से कोल लेना पड़ रहा है. जो महंगे दामों में मिल रहा है. इस वजह से स्टील और सरिया के दाम बढ़े हैं'.
'यह जो वृद्धि हुई है. यह सामान्य वृद्धि नहीं है. जैसे ही आयरनओर और कोयले की सप्लाई सामान्य होगी. तो निश्चित रूप से सरिया के दामों में गिरावट आएगी. देश में सबसे सस्ते स्टील देने का काम छत्तीसगढ़ करता है. पूरे देश में सबसे ज्यादा स्टील उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है. SECL की तरफ से कोल की आपूर्ति नहीं होने के कारण स्पंज आयरन इंडस्ट्रीज के लोग बाजार से महंगे दामों में कोयला खरीदने पर मजबूर हैं. लगभग 4 गुना ज्यादा दामों में कोयला खरीदना पड़ रहा है.
नॉन पावर सेक्टर इंडस्ट्रीज को SECL से नहीं मिल रहा कोल: छत्तीसगढ़ रोलिंग मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल का कहना है कि 'छत्तीसगढ़ में 175 रोलिंग मिल है लेकिन सभी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. इसका मुख्य कारण ये है कि कोयले के दाम काफी ज्यादा बढ़ गए हैं. यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के चलते कोल इंटरनेशनल इंडेक्स में 150 डॉलर से 350 डॉलर पहुंच चुका है. SECL से डोमेस्टिक कोयला नहीं मिल पा रहा है. सेंट्रल गवर्नमेंट का कहना है कि कोयले की शॉर्टेज है. ऐसे में यह आदेश दिया गया है कि सारे कॉल पावर इंडस्ट्रीज को ही दिए जाएं. जिसके कारण नॉन पावर सेक्टर इंडस्ट्रीज को कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही'. (Russia Ukraine war raises steel prices)
सट्टे की तरह तय हो रहे स्टील के दाम: मनोज अग्रवाल ने बताया कि 'पंजाब के मंडी गोविन्दगढ़ में 4 से 5 लोगों ने एक WATSAPP ग्रुप बनाया है. जिसमें देश के सेकेंडरी स्टील इंडस्ट्रीज को मेंबर बनाया गया है. उनकी तरफ से सभी को मैसेज भेजा जाता है. बाजार में डिमांड के बावजूद भी रेट डाउन का मैसेज आता है. बाजार में स्टील के दाम बढ़ने का मैसेज डाला जाता है. तब डिमांड नहीं होने के बावजूद भी डिमांड निकलकर आती है और ऊंचे भाव में स्टील बिकता है. सट्टेबाजी की तरह स्टील के रेट तय किए जा रहे हैं. पहले डिमांड और सप्लाई पर बाजार चलता था. पूरे देश की सेकेंडरी स्कूल इंडस्ट्री मंडी गोविंदगढ़ के SMS से चल रही है. हमारा सरकार से निवेदन है कि जल्द से जल्द इस पर अंकुश लगाया जाए. अन्यथा पूरे हिंदुस्तान की सेकेंडरी स्टील इंडस्ट्री ठप पड़ जाएगी'.
स्टील एक्सपोर्ट पर लगाया जाए प्रतिबंध : रायपुर आयरन एंड स्टील ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि 'पूरे देश में जिनके पास कोल और आयरन माइंस है उनके कच्चे उत्पाद की पूर्ति लगातार जारी है. लेकिन रोलिंग मिल, स्पंज आयरन इंडस्ट्रीज जिनके पास कोल और आयरन की माइंस नहीं है. उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. वे सभी बाजार से कोयला खरीद रहे हैं. 2008 के दौरान मनमोहन सरकार में जब मंदी आई थी. उस दौरान स्टील के इंपोर्ट पर बैन लगाया गया था. इंपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ाई गई थी. इसी तरह अभी सरकार को एक्सपोर्ट पर बैन लगाना चाहिए. जिससे देश का स्टील देश में ही रहे. देश का स्टील बाहर देशों में जा रहा है जिससे मार्केट में तेजी आ रही है. सरकार एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाती है तो स्टील के दामों में 15000 से 20000 रुपये प्रति टन की गिरावट आ जाएगी'.
उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और उद्योग चेंबर के प्रदेश अध्यक्ष अश्विन गर्ग का कहना है कि 'लोहे के दाम पिछले 1 महीने से लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसका असर पूरे मार्केट के साथ आम लोगों पर भी पड़ा है. छोटे व्यापारी और उद्योगपतियों का व्यापार बंद होने के कगार पर है. हर घंटे लोहे के दाम बढ़ते जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में लोग व्यापार नहीं कर पा रहे हैं. हमारी मांग है कि कुछ लोगों की कमाई को नहीं देखते हुए ज्यादा संख्या में जो लोग प्रभावित हो रहे हैं. उनका ध्यान रखना चाहिए'.
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रेगुलेटरी अथॉरिटी की आवश्यकता: जिस तरह से दामों में वृद्धि हो रही है. इसे लेकर सरकार को रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाने की आवश्यकता है. अगर दाम बढ़ते है तो उसका कारण भी बताने की जरूरत है. जिस तरह स्टील में तेजी और मंदी का खेल हो रहा है. उस पर जब तक कंट्रोल नहीं होगा तो इसका बड़ा नुकसान हो सकता है. आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी और बहुत से उद्योग बंद होने के कगार पर आ गए हैं. इसके साथ ही बेरोजगारी बढ़ेगी, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को भी नुकसान हो रहा है'.
सरिया के दाम बढ़ने से घर बनाना हुआ मुश्किल: सरिया के बढ़े दामों के चलते आज आम नागरिकों के घर बनाने का सपना भी पूरा नहीं हो पा रहा है. पिछले 22 दिनों की बात की जाए तो सरिया के दामों में बड़ी वृद्धि हुई है. 22 दिन पहले जहां सरिया के दाम 60000 प्रति टन के दाम से बिक रहे थे. वहीं अब इसके दाम 80 -82 हजार रुपए प्रति टन हो गए हैं. अचानक बढ़े दामों से कई लोगों ने अपने मकान निर्माण का काम रोक दिया है. (Increase in prices of bars in Chhattisgarh )
सरिया के दाम बढ़ने से बिल्डरों की बढ़ी समस्या: सरिया के दाम बढ़ने के कारण रियल स्टेट से जुड़े बिल्डरों को बहुत नुकसान हो रहा है. बिल्डर्स ने एग्रीमेंट के तहत निर्माण कार्य करने का ठेका लिया है. लेकिन सरिया के दाम बढ़ने के कारण निर्माण कार्य की लागत बढ़ गई है. जिससे ना सिर्फ उनको नुकसान हो रहा है बल्कि प्रोजेक्ट वर्क में भी लेटलतीफी हो रही है.
सरिया के दामों की बात की जाए तो पिछले 5 महीनों में सरिया के दामों में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है
15 नवंबर से 25 मार्च तक सरिया के दाम में 24 हजार रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है.
इस तरह बढ़े सरिया के दाम
15 नवंबर 2021 को सरिया की कीमत 56000 रुपये प्रति टन
15 दिसंबर 2021 को सरिया की कीमत 57000 रुपये प्रति टन
15 जनवरी 2022 को सरिया की कीमत 59000 रुपये प्रति टन
15 फरवरी 2022 को सरिया की कीमत 62000 रुपये प्रति टन
15 मार्च 2022 को सरिया की कीमत 74000 रुपये प्रति टन
25 मार्च 2022 को सरिया की कीमत 80200 रुपये प्रति टन