रायपुर : एक समय पर अपनी स्कूल की फीस तक नहीं दे पाने वाले एन.के चक्रधारी जल्दी तारों में होने वाली विस्फोट पर रिसर्च करने के लिए तारा भौतिकी केंद्र बेंगलुरु जाने वाले हैं. आज ईटीवी भारत आपको ऐसे एक व्यक्ति के बारे में बताने जा रहा है जिसका बचपन बहुत मुश्किलों से बीता. लेकिन पढ़ाई में उनकी रुचि देख उनके टीचर और कॉलेज के प्रोफेसरों ने उनका सपोर्ट किया. उनको सही गाइडेंस दी. जिसके बाद उस व्यक्ति ने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (Indian Space Research Organization ) में भी काम किया.आज वह पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी में सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर है. पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर एन.के चक्रधारी से ईटीवी भारत ने आज बातचीत की आइए जानते है उन्होंने क्या कहा.
कैसे हुआ सिलेक्शन : पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी (Pandit Ravi Shankar Shukla University) के फिजिक्स डिपार्टमेंट के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर एन.के चक्रधारी ने बताया " केंद्र सरकार का एक विशेष प्रकार का मुहिम है. जिसके माध्यम से केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस के माध्यम से मेरा चयन समर टीचर फेलोशिप के लिए हुआ है. समर टीचर फेलोशिप में नेशनल लेवल के जितने रिसर्च सेंटर हैं. वहां हम जाकर रिसर्च कर सकते हैं. इस प्रोग्राम के लिए मैंने आवेदन दिया था और मेरा सिलेक्शन हो गया है. बेंगलुरु में तारा भौतिकी रिसर्च सेंटर है वहां पर तारों में होने वाले विस्फोट के बारे में अध्ययन करेंगे."
मुश्किलों से भरा था जीवन : सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर एन.के चक्रधारी ने बताया " मेरा जन्म अभनपुर के गांव कोलियरी में हुआ है. मिडिल तक मैंने गांव में ही पढ़ाई की जिसके बाद नवी से बारहवीं तक पढ़ाई के लिए में हरीयर स्कूल नवापारा गया. मेरे पास कॉलेज पढ़ने के लिए पैसे नहीं थे. लेकिन मैं पढ़ाई में बहुत तेज था. जिसको देखकर एक शख्स ने मुझे ट्यूशन पढ़ाने के लिए कहा. जिसके बाद मैंने ट्यूशन पढ़ाना चालू किया और जैसे-तैसे अपने कॉलेज की फीस जुटाई. ट्यूशन से मिले पैसे और निजी संगठन की मदद से मैंने कॉलेज में दाखिला लिया. क्योंकि मैं पढ़ाई में बहुत तेज था इस वजह से कॉलेज ने भी मेरी फीस आधी कर दी."
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन में भी दी सेवा : सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर एन.के चक्रधारी (Sr Assistant Professor NK Chakradhari) ने बताया कि " मैं पढ़ाई में अच्छा था जिसको देख कॉलेज खत्म होने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए एक प्रोफेसर ने मुझे अपने घर रहने के लिए रायपुर भेजा. उस घर में रहकर मैंने रविशंकर में पढ़ाई की. यूनिवर्सिटी के कुलपति की नजर मुझ पर पड़ी. यूनिवर्सिटी के कुलपति ने मुझे ट्रेनिंग और पढ़ाई के लिए 2 महीने मुंबई भेजा. 2 महीने मुंबई में ट्रेनिंग कर जब मैं वापस लौटा तो एक मैसेज आया कि बेंगलुरु में टेलीस्कोप चलाने की वैकेंसी है. उस समय मोबाइल नहीं हुआ करते थे. जैसे तैसे मैंने फॉर्म भरा और पोस्ट किया कुछ दिनों बाद इंटरव्यू के लिए कॉल आया और इंटरव्यू के बाद मुझे जॉइनिंग लेटर मिला."
कैसे की आगे की पढ़ाई : एन.के चक्रधारी ने बताया " करीब डेढ़ 2 साल मैंने 'इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन' में काम किया. मेरी पोस्ट वहां परमानेंट नहीं थी वहां पर मैं सिर्फ रिसर्च कर रहा था. इसी बीच मैंने "नेट" का एग्जाम दिया और छत्तीसगढ़ में मैं नेट क्लियर करने वाला तीसरा व्यक्ति था. नेट क्लियर करने के बाद मैंने रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी में इंटरव्यू के लिए अप्लाई किया. मेरा सिलेक्शन यहां हो गया तब से मैं यहां पर काम कर रहा हूं."
किस चीज पर कर रहे हैं रिसर्च : सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर एन.के चक्रधारी ने बताया " जैसे हमारी एक दिनचर्या होती है, हमारा जन्म होता है , हम बड़े होते हैं और हमारे मृत्यु हो जाती है. तारों की भी इसी प्रकार से दिनचर्या होती है, तारों का भी जन्म होता (Chakradhari of Raipur will study the stars) है. वह बड़े होते हैं. धीरे-धीरे वह बूढ़े होकर खत्म हो जाते हैं. तारों की जिंदगी डिपेंड करती है कि उसमें कितना गैस है. तारों का अधिकतम भाग हाइड्रोजन गैस से बना होता है. हाइड्रोजन हिलियम में बदलता है. हिलियम ऑक्सीजन में और ऐसे कर कर वह आयरन तक जाता है. लेकिन आयरन का फ्यूजन नहीं हो पाता। जब इंधन खत्म हो जाता है तो गुरुत्वाकर्षण के वजह से तारों का कोर सिकुड़ता है और आउटर लेयर बढ़ने लगता है। इसी तरह कोर सिकुड़ता हुआ एक एक्सटेंशन पॉइंट पर आ जाता है जिसके बाद वह नहीं सिकुड़ पाता और वह ब्लास्ट हो जाता है."