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जानिए छत्तीसगढ़ में कितने बोरवेल अब भी खुले हैं

number of borewells in chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में पीएचई विभाग के तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 3 लाख 48 हजार 771 बोरवेल है. ये सिर्फ एक विभाग के आंकड़े हैं. पंचायत, नगरीय निकाय या कृषि विभाग की तरफ से भी बोरवेल कराए जाते हैं. हालांकि बताया जा रहा है कि प्रदेश में 10 लाख से भी ज्यादा बोरवेल हैं. पीएचई विभाग का दावा है कि उनकी तरफ से कहीं भी बोरवेल खुले नहीं छोड़े जाते हैं.

borewell status in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बोरवेल की स्थिति
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Published : Jun 18, 2022, 9:02 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा में 10 साल का मासूम राहुल साहू बोरवेल में गिर गया था. राहुल को 104 घंटे बाद सुरक्षित बोरवेल से निकाला गया है. राहुल का इलाज बिलासपुर के अपोलो में चल रहा है. बोरवेल में गिरने का यह कोई पहला मामला नहीं है. देश के अलग अलग राज्यों में लोगों की लापरवाही की वजह से खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने का मामला आते रहे हैं. हालांकि छत्तीसगढ़ में इस तरह के मामले कम ही देखने को मिले हैं. प्रदेश में बोरवेल की स्थिति की बात की जाए तो 10 लाख से ज्यादा बोरवेल हैं. इसमें से अधिकतर बोरवेल का उपयोग किया जा रहा है.


जानिए कितने बोरवेल: छत्तीसगढ़ में बोरवेल की संख्या कितनी है. इसे लेकर पीएचई विभाग से मिले आंकड़े की बात करें तो प्रदेश भर में 3 लाख 48 हजार 771 बोरवेल है. विभाग के प्रमुख अभियंता टी जी कोशरिया ने बताया कि "ये सभी बोरवेल उपयोगी हैं. विभाग की ओर से बोरवेल करने के बाद यदि वह उपयोगी नहीं होता है तो उसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है. उपयोगी बोरवेल का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. हमारे विभाग के पास बोरवेल की संख्या 3 लाख 48 हजार 771 है. इसके अलावा बाकी विभाग की तरफ से भी बोरवेल खुदवाए जाते हैं. जैसे कि पंचायत, नगरीय निकाय या कृषि विभाग की ओर से भी बोरवेल करवाए जाते हैं. जिसका आंकड़ा हमारे पास नहीं है. संबंधित विभागों के पास इसका डेटा मिलेगा."

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10 लाख से अधिक बोरवेल: प्रदेश में बोरवेल की संख्या को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने प्राइवेट नलकूप लगाने वालों से भी बात की. प्राइवेट नलकूप लगाने वाले नंद कुमार साहू ने टेलीफोनिक बातचीत में बताया कि "प्रदेश में 10 लाख से अधिक बोरवेल हैं. ग्रामीण इलाकों में किसान अपने खेतों में बोरवेल करवाते हैं. इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. गर्मी के मौसम में हमने करीब 20 से अधिक जगहों पर बोरवेल का काम किया है. इसमें से दो जगहों पर बोरवेल से पानी नहीं निकल पाया. उस जगह को हमने मलबा डाल कर समतल कर दिया है."

कलेक्टरों को दिए निर्देश: जांजगीर-चांपा में राहुल साहू के बोरवेल में फंसने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी खुले बोरवेल बंद करने के निर्देश दिए. इसके बाद अपर मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर सभी कलेक्टरों को आदेश दिया कि सभी खुले बोरवेल बंद किए जाए. उन्होंने उच्चतम न्यायालय की ओर से 2009 में रिट पिटिशन क्रमांक 9 के संबंध में पारित आदेश का कठोरता से पालन करने को भी कहा. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि कई बार नलकूप खनन के दौरान विभिन्न कारणों से केसिंग डालने के बाद भी नलकूप खनन का कार्य पूर्ण नहीं होता. केसिंग पाइप निकाल लिया जाता है. ऐसी स्थिति में अधूरे कार्य की वजह से निर्मित बोरवेल दुर्घटना का कारण बनता है.

जांजगीर बोरवेल हादसे के बाद कोरबा जिला प्रशासन क्यों कर रहा बैठक

एक दर्जन बोरवेल बंद: अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद रायपुर जिले में कलेक्टर सौरभ कुमार ने सभी नगरीय निकाय और ग्रामीण क्षेत्रों में खुले और अनुपयोगी बोरवेल को तत्काल बंद कराने के निर्देश दिए थे. इसके बाद आरंग और अभनपुर इलाके में अधिकारियों ने 6 दर्जन नलकूपों की जांच की. जिसमें करीब एक दर्जन नलकूप खुले मिले. जिसे अधिकारियों ने तत्काल प्रभाव से बंद किया. बोरवेल में मिट्टी और गिट्टी डालकर इन बोरवेलों को बंद किया गया है. बाकी जिलों में भी इसी तरह की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन बोरवेल बंद किए जाने की रायपुर के अलावा अन्य जिलों से कोई खबर नहीं आई है.

पीएचई विभाग के अनुसार जिलेवार बोरवेल के आंकड़े (Borewell figures from Chhattisgarh PHE department)

शहर बोरवेल की संख्या शहर बोरवेल की संख्या
रायपुर10913कबीरधाम15954मुंगेली9658
बलौदा बाजार9191 बस्तर16101कोरबा18340
गरियाबंद 10166 दंतेवाड़ा8114 जांजगीर चांपा8395
धमतरी13380 बीजापुर9746 रायगढ़22878
महासमुंद14496 सुकमा7684 सरगुजा 12873
दुर्ग5547कोंडागांव10921 बलरामपुर 11420
बालोद10015 नारायणपुर 8320 सूरजपुर 18140
बेमेतरा 6758 बिलासपुर 12325 कोरिया 11995
राजनांदगांव24729गौरेला पेंड्रा मरवाही5421 जशपुर 17298




(पीएचई विभाग का यह आंकड़ा दिनांक 31.03.2022 तक का है)

रायपुर: छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा में 10 साल का मासूम राहुल साहू बोरवेल में गिर गया था. राहुल को 104 घंटे बाद सुरक्षित बोरवेल से निकाला गया है. राहुल का इलाज बिलासपुर के अपोलो में चल रहा है. बोरवेल में गिरने का यह कोई पहला मामला नहीं है. देश के अलग अलग राज्यों में लोगों की लापरवाही की वजह से खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने का मामला आते रहे हैं. हालांकि छत्तीसगढ़ में इस तरह के मामले कम ही देखने को मिले हैं. प्रदेश में बोरवेल की स्थिति की बात की जाए तो 10 लाख से ज्यादा बोरवेल हैं. इसमें से अधिकतर बोरवेल का उपयोग किया जा रहा है.


जानिए कितने बोरवेल: छत्तीसगढ़ में बोरवेल की संख्या कितनी है. इसे लेकर पीएचई विभाग से मिले आंकड़े की बात करें तो प्रदेश भर में 3 लाख 48 हजार 771 बोरवेल है. विभाग के प्रमुख अभियंता टी जी कोशरिया ने बताया कि "ये सभी बोरवेल उपयोगी हैं. विभाग की ओर से बोरवेल करने के बाद यदि वह उपयोगी नहीं होता है तो उसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है. उपयोगी बोरवेल का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. हमारे विभाग के पास बोरवेल की संख्या 3 लाख 48 हजार 771 है. इसके अलावा बाकी विभाग की तरफ से भी बोरवेल खुदवाए जाते हैं. जैसे कि पंचायत, नगरीय निकाय या कृषि विभाग की ओर से भी बोरवेल करवाए जाते हैं. जिसका आंकड़ा हमारे पास नहीं है. संबंधित विभागों के पास इसका डेटा मिलेगा."

ऐसे बची जमीन के 60 फीट अंदर फंसी जिंदगी, मिलिए मिशन राहुल के असली हीरोज से

10 लाख से अधिक बोरवेल: प्रदेश में बोरवेल की संख्या को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने प्राइवेट नलकूप लगाने वालों से भी बात की. प्राइवेट नलकूप लगाने वाले नंद कुमार साहू ने टेलीफोनिक बातचीत में बताया कि "प्रदेश में 10 लाख से अधिक बोरवेल हैं. ग्रामीण इलाकों में किसान अपने खेतों में बोरवेल करवाते हैं. इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. गर्मी के मौसम में हमने करीब 20 से अधिक जगहों पर बोरवेल का काम किया है. इसमें से दो जगहों पर बोरवेल से पानी नहीं निकल पाया. उस जगह को हमने मलबा डाल कर समतल कर दिया है."

कलेक्टरों को दिए निर्देश: जांजगीर-चांपा में राहुल साहू के बोरवेल में फंसने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी खुले बोरवेल बंद करने के निर्देश दिए. इसके बाद अपर मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर सभी कलेक्टरों को आदेश दिया कि सभी खुले बोरवेल बंद किए जाए. उन्होंने उच्चतम न्यायालय की ओर से 2009 में रिट पिटिशन क्रमांक 9 के संबंध में पारित आदेश का कठोरता से पालन करने को भी कहा. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि कई बार नलकूप खनन के दौरान विभिन्न कारणों से केसिंग डालने के बाद भी नलकूप खनन का कार्य पूर्ण नहीं होता. केसिंग पाइप निकाल लिया जाता है. ऐसी स्थिति में अधूरे कार्य की वजह से निर्मित बोरवेल दुर्घटना का कारण बनता है.

जांजगीर बोरवेल हादसे के बाद कोरबा जिला प्रशासन क्यों कर रहा बैठक

एक दर्जन बोरवेल बंद: अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद रायपुर जिले में कलेक्टर सौरभ कुमार ने सभी नगरीय निकाय और ग्रामीण क्षेत्रों में खुले और अनुपयोगी बोरवेल को तत्काल बंद कराने के निर्देश दिए थे. इसके बाद आरंग और अभनपुर इलाके में अधिकारियों ने 6 दर्जन नलकूपों की जांच की. जिसमें करीब एक दर्जन नलकूप खुले मिले. जिसे अधिकारियों ने तत्काल प्रभाव से बंद किया. बोरवेल में मिट्टी और गिट्टी डालकर इन बोरवेलों को बंद किया गया है. बाकी जिलों में भी इसी तरह की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन बोरवेल बंद किए जाने की रायपुर के अलावा अन्य जिलों से कोई खबर नहीं आई है.

पीएचई विभाग के अनुसार जिलेवार बोरवेल के आंकड़े (Borewell figures from Chhattisgarh PHE department)

शहर बोरवेल की संख्या शहर बोरवेल की संख्या
रायपुर10913कबीरधाम15954मुंगेली9658
बलौदा बाजार9191 बस्तर16101कोरबा18340
गरियाबंद 10166 दंतेवाड़ा8114 जांजगीर चांपा8395
धमतरी13380 बीजापुर9746 रायगढ़22878
महासमुंद14496 सुकमा7684 सरगुजा 12873
दुर्ग5547कोंडागांव10921 बलरामपुर 11420
बालोद10015 नारायणपुर 8320 सूरजपुर 18140
बेमेतरा 6758 बिलासपुर 12325 कोरिया 11995
राजनांदगांव24729गौरेला पेंड्रा मरवाही5421 जशपुर 17298




(पीएचई विभाग का यह आंकड़ा दिनांक 31.03.2022 तक का है)

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