रायपुर : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों के साथ ब्लैक फंगस (black fungus) के केस भी धीरे-धीरे कम होने लगे थे. इससे लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली थी, लेकिन अब फिर से ब्लैक फंगस(black fungus in chhattisgarh) के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. पिछले एक सप्ताह में 24 नए मरीज सामने आए हैं. इन मरीजों के मिलने से स्वास्थ्य विभाग(health department chhattisgarh) में हड़कंप मच गया है.
पिछले 7 दिनों में रायपुर से 18 और बिलासपुर से 6 ब्लैक फंगस के मरीजों की पहचान हुई है. बिलासपुर से जो मरीज सामने आए हैं उनका 2 महीने पहले ही ब्लैक फंगस का ऑपरेशन हुआ था.
छत्तीसगढ़ में 400 से ज्यादा केस
आंकड़े की बात की जाए तो प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के 400 से ज्यादा मामले देखने को मिले हैं. इसमें से अब तक 190 से ज्यादा लोगों का ऑपरेशन किया जा चुका है. 100 से ज्यादा लोग डिस्चार्ज होकर अपने घर लौट चुके हैं. वहीं 161 ब्लैक फंगस के सक्रिय मरीज अभी प्रदेश में है. 39 लोगों की मौत अब तक प्रदेश में ब्लैक फंगस से हो चुकी है.
chhattisgarh corona update: छत्तीसगढ़ में फिर बढ़ रहा कोरोना, कहीं ये तीसरी लहर की आहट तो नहीं
रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से दोबारा लौट सकती है बीमारी
प्राइवेट प्रैक्टिशनर डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि ब्लैक फंगस नाक की झिल्ली से हड्डी में पहुंचने वाली बीमारी है. हड्डी की ब्लड वेसल्स या शिलाओं से ब्लैक फंगस शरीर के दूसरे हिस्से में पहुंचता है. ब्लैक फंगस ऊपरी जबड़े की बीमारी है इसलिए आंख और ब्रेन में पहुंचने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. डॉक्टर्स को सीटी स्कैन, एमआरआई और ऑपरेशन के दौरान जितनी बीमारी हड्डी में दिखती है वह हिस्सा ऑपरेशन कर निकाल दिया जाता है, लेकिन खून में यह कहां तक है इसको पहचान पाना थोड़ा मुश्किल होता है. दवाओं के प्रभाव से बीमारी को सीमित किया जाता है, लेकिन प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण दोबारा लक्षण आते हैं.
दवाओं की उपलब्धता नहीं होने से बढ़ा मौत का आकंड़ा
दोबारा ब्लैक फंगस होने के मामले साइंटिफिक जनरल्स में नॉर्मल है. यह स्वभाविक चीज है दोबारा ब्लैक फंगस के लक्षण आते हैं तो दोबारा ऑपरेशन किया जाता है. कहीं-कहीं छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के मरीजों के 3 से 5 बार भी ऑपरेशन हुए हैं. ब्लैक फंगस बीमारी में मृत्यु प्रतिशत 10% के आसपास है. पूरे देश में 30,000 के आसपास ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिले हैं, जिसमें 3000 के आसपास मरीजों की मौत हुई है. जल्दी बीमारी जानने के बाद जल्दी ऑपरेशन और जल्दी दवाओं की उपलब्धता ना होने के कारण इसमें मृत्यु का प्रतिशत बढ़ा है. विश्व में ब्लैक फंगस के मौत के परसेंटेज 5% से तक है लेकिन भारत में यह 10% है.