रायपुर : झीरम नक्सली हमले में स्पष्ट दिख रहा है कि रमन सिंह और उनकी सरकार दोषी है. यह कहना है नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया (Urban Administration Minister Shiv Dahria) का. शिव कुमार डहरिया ने झीरम मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष लाल कौशिक पर जमकर निशाना साधा. शिवकुमार डहरिया ने कहा कि झीरम घाटी कांड पर गठित न्यायिक जांच आयोग को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने एक बार फिर से हाईकोर्ट में याचिका लगाई है. नये आयोग को निरस्त करने की मांग की है. ये कोई पहली बार नहीं हुआ है जब बीजेपी ने झीरम घाटी कांड की जांच में बाधा खड़ी करने की कोशिश की हो. झीरम घाटी कांड की जांच सबसे अधिक बीजेपी के शासन काल में हुई तो जाहिर सी बात है कि जांच के बिन्दु भी बीजेपी ने ही तय किए होंगे.
जांच को प्रभावित करने की कोशिश : शिव डहरिया ने कहा कि धरमलाल कौशिक शायद ये भूल गये कि भाजपा के शासनकाल में 2013 से लेकर 2018 तक झीरम घाटी जांच आयोग की जांच पूरी नहीं हुई थी. कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी आयोग की समय वृद्धि की गई.आयोग ने समय वृद्धि के लिये फिर से शासन को लिखा था . लेकिन जस्टिस प्रशांत मिश्रा का तबादला हो जाने के बाद आयोग की ओर से राज्य शासन को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई थी. हमारी सरकार को लगता है कि झीरम घाटी कांड की जांच और गहन रूप से और दूसरे आयामों में भी करना जरूरी है. जिसके बिना झीरम घाटी घटना का सच सामने नहीं आ पायेगा. इसीलिये सरकार ने न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है.
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कांग्रेस की एक पीढ़ी हुई थी खत्म : झीरम घाटी कांड एक ऐसा कांड था जिसने कांग्रेस के नेतृत्व की एक पूरी पीढ़ी को ही समाप्त कर दिया था. स्वतंत्र भारत में हुई दुर्दान्त और हृदय विदारक घटना बीजेपी शासन काल में डॉ. रमन सिंह के राज में घटित हुई थी. ये बात अब भारत के इतिहास से कभी मिटने नहीं है. जैसे ही झीरम घाटी कांड की जांच की बात आती है, तो पता नहीं क्यों बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं के पेट में दर्द होने लगता है. किसी न किसी प्रकार से वे इसकी जांच को बाधित करने में जुट जाते हैं, कभी बयानबाजी करते हैं, कभी आंदोलन करते हैं, कभी कोर्ट की शरण में जाते हैं, पीआईएल दायर करते हैं, यानी किसी भी प्रकार से भाजपा झीरम घाटी की सम्यक जांच को होने ही नहीं देना चाहती हैं.