ETV Bharat / city

EXCLUSIVE: बजट सत्र में दैनिक वेतनभोगी और संविदाकर्मियों को मिल सकता है तोहफा ! - Baghel government

सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर से प्रदेश भर के सभी शासकीय विभागों, निगम मंडलों और आयोगों में काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की जानकारी मांगी है. छत्तीसगढ़ में एक बार फिर अनियमित कर्मचारियों को नियमित किए जाने की चर्चा तेज हो गई है.

chhattisgarh-government-is-preparing-to-regularize-daily-basis-employees
संविदा कर्मचारी
author img

By

Published : Jan 22, 2021, 4:24 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 22 फरवरी से शुरू होगा. राज्य सरकार ने शासकीय विभागों, निगम मंडलों और आयोगों में काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की जानकारी मांगी है. इसके बाद से ही कयास लगाए जाने लगे हैं कि दैनिक वेतनभोगियों को जल्द ही नियमितीकरण की सौगात मिल सकती है. संविदाकर्मी भी खुश हैं. कर्मचारियों की मांग है कि सरकार वो वादे भी निभाए, जो उसने विपक्ष में रहते हुए किए थे.

अनियमित कर्मचारियों को नियमित किए जाने की चर्चा तेज
छत्तीसगढ़ के तमाम शासकीय विभागों, निगम मंडलों, आयोग और अन्य संस्थाओं में बड़े पैमाने पर दैनिक वेतन भोगी और संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक डेढ़ लाख से ज्यादा कर्मचारी नियमितीकरण की इंतजार कर रहे हैं. अब कोरोना का संक्रमण थोड़ा काम होने के बाद एक बार फिर राज्य सरकार ने प्रदेश के तमाम विभागों में काम कर रहे काम दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सूची मांगी है. इसे लेकर कर्मचारियों में भी खुशी का माहौल है, उन्हें उम्मीद है कि इस साल बजट के दौरान उन्हें बड़ी सौगात मिल सकती है. अनियमित कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय संयोजक गोपाल साहू कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे पक्ष में कुछ ना कुछ अच्छा निर्णय जरूर लेगी.
'कम वेतन से होती है दिक्कतें'संविदा कर्मचारी कहते हैं कि सरकार से हमें काफी उम्मीद हैं. पिछली सरकार में लंबे समय तक आंदोलन करने के बाद भी हमें किसी तरह का कोई आश्वासन नहीं मिल पाया था. लेकिन कांग्रेस ने हमारी मांगों को अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया है. ऐसे में अब जानकारी मांगे जाने को लेकर हमें उम्मीद है कि सरकार हमें बड़ी सौगात देगी. वैसे भी तमाम विभागों में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी भी सरकारी कर्मचारियों की तरह ही बराबर से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. इलेक्शन ड्यूटी की बात हो या फिर अन्य सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की बात हो तमाम काम हमारे साथी भी करते हैं. वैसे भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को काफी कम वेतन मिलने के कारण घर चलाने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें- राजनीतिक स्वार्थ के लिए कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रम फैला रहे लोग: राज्यपाल अनुसुइया


कांग्रेस ने घोषणा पत्र में किया था वादा

प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले अनियमित कर्मचारियों ने बड़ा आंदोलन किया. उस समय विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने इन्हें भरपूर समर्थन दिया था. भूपेश बघेल ने खुद उनके बीच जाकर इनकी मांगों को जायज ठहराया था. वर्तमान के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने सत्ता संभालने के 10 दिन के भीतर ही इनकी मांग पूरा करने की बात कही थी. यही नहीं इनकी मांगों को कांग्रेस ने घोषणा पत्र में भी प्रमुखता से शामिल किया था. लेकिन सरकार बनने के 2 साल बाद भी नियमितीकरण की सौगात कर्मचारियों की नहीं मिल पाई है.


विभागों की लापरवाही आई सामने

नियमितीकरण के मामले को लेकर कुछ सरकारी विभागों की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. राज्य सरकार ने सभी विभागों से दैनिक वेतन भोगी के संबंध में जानकारी मांगी थी. इसके लिए प्रपत्र भी जारी किया गया है, ताकि जानकारी देने में आसानी हो. इसके बावजूद कुछ विभागों ने अब तक जानकारी नहीं भेजी है. कई बार समय-समय पर जानकारी मांगने के बाद भी सामान्य प्रशासन विभाग को जानकारी नहीं मिल पाई है. कोरोना की वजह से यह मामला कुछ समय के लिए टल गया था. एक बार फिर से अब राज्य सरकार ने सभी विभागों से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सूची मांगी है.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ : धान खरीदी का रिकॉर्ड टूटा, कांग्रेस ने बीजेपी को मारा ताना

कर्मचारियों के लिए फंड का रोना

छत्तीसगढ़ में अनियमित कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण को लेकर सरकार को 400 करोड़ तक का सालाना खर्च बढ़ेगा. इसे लेकर प्रदेश के कर्मचारियों ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि सरकार जरूरी खर्च को कम करके गैर जरूरी चीजों में करोड़ों खर्च कर रही है. छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष विजय कुमार झा कहते हैं कि सरकार 2 साल बाद भी प्रदेश के तमाम विभागों से अनियमित कर्मचारियों की जानकारी मांग रही है. जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दरमियान 24 घंटे के भीतर तमाम तरह की जानकारियां मिल जाती हैं. ऐसे में सरकार यदि ऑनलाइन तरीके से ही जानकारी मांग लेगी तो भी सारी जानकारी पहुंच जाएगी. इतना ही नहीं उन्होंने सरकार में आर्थिक भार बढ़ने को तर्क को लेकर भी कहा है कि सरकार पर नियमितीकरण को लेकर इतना भार नहीं पड़ेगा जितना कि गैर जरूरी खर्चों पर किया जा रहा है. एक बार किए गए काम को दोबारा सौंदर्यीकरण कराए जाने के नाम पर करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं. बस्तर से लेकर सरगुजा संभाग में सैकड़ों करोड़ों की घोषणाएं की जा रही है, लेकिन हमारे कर्मचारी साथियों को नियमितीकरण करने के लिए फंड की कमी का रोना सही नहीं है.


2008 में हुआ था नियमितीकरण

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने वर्ष 2008 में अनियमित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण किया था. उस दौरान दिसंबर 1997 तक सेवा में लगे कर्मचारियों को ही नियमितीकरण की सौगात दी गई थी. अब 1 जनवरी 1998 से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी नियमितीकरण की आस लगाए बैठे हैं. समय-समय पर अनियमित कर्मचारी बड़ा आंदोलन भी करते रहे हैं. बावजूद इसके इतने लंबे समय बाद भी इन्हें नियमितीकरण की सौगात नहीं मिल पाई है.

जनवरी में हुई थी बड़ी बैठक

दैनिक वेतन भोगियों के नियमितीकरण के लिए विभिन्न सरकारी संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की थी. सरकार ने मांग के परीक्षण के लिए प्रमुख सचिव वाणिज्य और उद्योग विभाग की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी, समिति की बैठक भी हुई. उस दौरान समिति के विभागाध्यक्ष कार्यालयों, निगम मंडल, आयोग संस्था आदि में पहले से ही कार्यालयों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और संविदा में कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी. अब एक बार फिर से सामान्य प्रशासन विभाग ने जानकारी मांगी है.


सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा सक्रिय

दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ के कर्मचारी नेता और कर्मचारी सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री के सीधे के सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर और फेसबुक में प्रतिदिन इनकी उपस्थिति देखी जाती है. लगातार सरकार को उनके घोषणापत्र में किए गए वादों को याद दिलाते रहते हैं. सबसे बड़ी बात है कि सोशल मीडिया में भी इनकी भाषा काफी मर्यादित रहती है, जिससे कोई बुरा भी नहीं मानता है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने बीते दिनों अपने एक बयान में वादों को पूरा नहीं करने को लेकर भी खेद जताया था. गौरतलब है कि घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष और उन्हें कर्मचारियों से बात करने के बाद उनको उसमें भी शामिल किया था.

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 22 फरवरी से शुरू होगा. राज्य सरकार ने शासकीय विभागों, निगम मंडलों और आयोगों में काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की जानकारी मांगी है. इसके बाद से ही कयास लगाए जाने लगे हैं कि दैनिक वेतनभोगियों को जल्द ही नियमितीकरण की सौगात मिल सकती है. संविदाकर्मी भी खुश हैं. कर्मचारियों की मांग है कि सरकार वो वादे भी निभाए, जो उसने विपक्ष में रहते हुए किए थे.

अनियमित कर्मचारियों को नियमित किए जाने की चर्चा तेज
छत्तीसगढ़ के तमाम शासकीय विभागों, निगम मंडलों, आयोग और अन्य संस्थाओं में बड़े पैमाने पर दैनिक वेतन भोगी और संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक डेढ़ लाख से ज्यादा कर्मचारी नियमितीकरण की इंतजार कर रहे हैं. अब कोरोना का संक्रमण थोड़ा काम होने के बाद एक बार फिर राज्य सरकार ने प्रदेश के तमाम विभागों में काम कर रहे काम दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सूची मांगी है. इसे लेकर कर्मचारियों में भी खुशी का माहौल है, उन्हें उम्मीद है कि इस साल बजट के दौरान उन्हें बड़ी सौगात मिल सकती है. अनियमित कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय संयोजक गोपाल साहू कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे पक्ष में कुछ ना कुछ अच्छा निर्णय जरूर लेगी. 'कम वेतन से होती है दिक्कतें'संविदा कर्मचारी कहते हैं कि सरकार से हमें काफी उम्मीद हैं. पिछली सरकार में लंबे समय तक आंदोलन करने के बाद भी हमें किसी तरह का कोई आश्वासन नहीं मिल पाया था. लेकिन कांग्रेस ने हमारी मांगों को अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया है. ऐसे में अब जानकारी मांगे जाने को लेकर हमें उम्मीद है कि सरकार हमें बड़ी सौगात देगी. वैसे भी तमाम विभागों में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी भी सरकारी कर्मचारियों की तरह ही बराबर से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. इलेक्शन ड्यूटी की बात हो या फिर अन्य सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की बात हो तमाम काम हमारे साथी भी करते हैं. वैसे भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को काफी कम वेतन मिलने के कारण घर चलाने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें- राजनीतिक स्वार्थ के लिए कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रम फैला रहे लोग: राज्यपाल अनुसुइया


कांग्रेस ने घोषणा पत्र में किया था वादा

प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले अनियमित कर्मचारियों ने बड़ा आंदोलन किया. उस समय विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने इन्हें भरपूर समर्थन दिया था. भूपेश बघेल ने खुद उनके बीच जाकर इनकी मांगों को जायज ठहराया था. वर्तमान के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने सत्ता संभालने के 10 दिन के भीतर ही इनकी मांग पूरा करने की बात कही थी. यही नहीं इनकी मांगों को कांग्रेस ने घोषणा पत्र में भी प्रमुखता से शामिल किया था. लेकिन सरकार बनने के 2 साल बाद भी नियमितीकरण की सौगात कर्मचारियों की नहीं मिल पाई है.


विभागों की लापरवाही आई सामने

नियमितीकरण के मामले को लेकर कुछ सरकारी विभागों की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. राज्य सरकार ने सभी विभागों से दैनिक वेतन भोगी के संबंध में जानकारी मांगी थी. इसके लिए प्रपत्र भी जारी किया गया है, ताकि जानकारी देने में आसानी हो. इसके बावजूद कुछ विभागों ने अब तक जानकारी नहीं भेजी है. कई बार समय-समय पर जानकारी मांगने के बाद भी सामान्य प्रशासन विभाग को जानकारी नहीं मिल पाई है. कोरोना की वजह से यह मामला कुछ समय के लिए टल गया था. एक बार फिर से अब राज्य सरकार ने सभी विभागों से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सूची मांगी है.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ : धान खरीदी का रिकॉर्ड टूटा, कांग्रेस ने बीजेपी को मारा ताना

कर्मचारियों के लिए फंड का रोना

छत्तीसगढ़ में अनियमित कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण को लेकर सरकार को 400 करोड़ तक का सालाना खर्च बढ़ेगा. इसे लेकर प्रदेश के कर्मचारियों ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि सरकार जरूरी खर्च को कम करके गैर जरूरी चीजों में करोड़ों खर्च कर रही है. छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष विजय कुमार झा कहते हैं कि सरकार 2 साल बाद भी प्रदेश के तमाम विभागों से अनियमित कर्मचारियों की जानकारी मांग रही है. जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दरमियान 24 घंटे के भीतर तमाम तरह की जानकारियां मिल जाती हैं. ऐसे में सरकार यदि ऑनलाइन तरीके से ही जानकारी मांग लेगी तो भी सारी जानकारी पहुंच जाएगी. इतना ही नहीं उन्होंने सरकार में आर्थिक भार बढ़ने को तर्क को लेकर भी कहा है कि सरकार पर नियमितीकरण को लेकर इतना भार नहीं पड़ेगा जितना कि गैर जरूरी खर्चों पर किया जा रहा है. एक बार किए गए काम को दोबारा सौंदर्यीकरण कराए जाने के नाम पर करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं. बस्तर से लेकर सरगुजा संभाग में सैकड़ों करोड़ों की घोषणाएं की जा रही है, लेकिन हमारे कर्मचारी साथियों को नियमितीकरण करने के लिए फंड की कमी का रोना सही नहीं है.


2008 में हुआ था नियमितीकरण

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने वर्ष 2008 में अनियमित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण किया था. उस दौरान दिसंबर 1997 तक सेवा में लगे कर्मचारियों को ही नियमितीकरण की सौगात दी गई थी. अब 1 जनवरी 1998 से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी नियमितीकरण की आस लगाए बैठे हैं. समय-समय पर अनियमित कर्मचारी बड़ा आंदोलन भी करते रहे हैं. बावजूद इसके इतने लंबे समय बाद भी इन्हें नियमितीकरण की सौगात नहीं मिल पाई है.

जनवरी में हुई थी बड़ी बैठक

दैनिक वेतन भोगियों के नियमितीकरण के लिए विभिन्न सरकारी संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की थी. सरकार ने मांग के परीक्षण के लिए प्रमुख सचिव वाणिज्य और उद्योग विभाग की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी, समिति की बैठक भी हुई. उस दौरान समिति के विभागाध्यक्ष कार्यालयों, निगम मंडल, आयोग संस्था आदि में पहले से ही कार्यालयों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और संविदा में कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी. अब एक बार फिर से सामान्य प्रशासन विभाग ने जानकारी मांगी है.


सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा सक्रिय

दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ के कर्मचारी नेता और कर्मचारी सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री के सीधे के सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर और फेसबुक में प्रतिदिन इनकी उपस्थिति देखी जाती है. लगातार सरकार को उनके घोषणापत्र में किए गए वादों को याद दिलाते रहते हैं. सबसे बड़ी बात है कि सोशल मीडिया में भी इनकी भाषा काफी मर्यादित रहती है, जिससे कोई बुरा भी नहीं मानता है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने बीते दिनों अपने एक बयान में वादों को पूरा नहीं करने को लेकर भी खेद जताया था. गौरतलब है कि घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष और उन्हें कर्मचारियों से बात करने के बाद उनको उसमें भी शामिल किया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.