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एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, जहां शिव ने बिताई थी एक रात

शिव के हजारों मंदिर भारत में मौजूद हैं. लेकिन आज जिस शिव मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे ऊंचा शिवमंदिर (Asia tallest Shiva temple ) है.

Asia tallest Shiva temple
एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर
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Published : May 9, 2022, 1:26 PM IST

Updated : May 9, 2022, 2:25 PM IST

रायपुर : भारत में रहस्यमय और प्राचीन मंदिरों की कोई कमी नहीं है. देश के कोने-कोने में कई मशहूर मंदिर आपको देखने को मिलेंगे. इनमें से कई मंदिरों को लोग चमत्कारी और रहस्यमय भी मानते हैं.आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे अगर रहस्यमय कहें तो गलत नहीं होगा.क्योंकि कहा जाता है कि इस मंदिर में लगे पत्थरों को थमथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती ( Damrus voice comes in Shiva temple) है.असल में यह एक शिव मंदिर है, जिसके बारे में दावा ये भी किया जाता है कि यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है.दक्षिण द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर को बनने में करीब 39 साल लगे.

एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर

देवभूमि नाम से है प्रसिद्ध ये मंदिर : यह मंदिर देवभूमि के नाम से मशहूर हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित है. जिसे जटोली शिव मंदिर (jatoli shiv mandir) के नाम से जाना जाता है. दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फुट है. इस मंदिर को लेकर ये मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे. 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस (Swami Krishnananda Paramhansa) नाम के एक बाबा यहां आए, जिनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ. साल 1974 में उन्होंने ही इस मंदिर की नींव रखी थी.

दान से बना है करोड़ों का शिव मंदिर : जटोली में बाबा ने 1983 में समाधि ली. लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य नहीं रूका .बल्कि इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी. करोड़ों रुपए की लागत से बने इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसका निर्माण देश-विदेश के श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान के पैसों से हुआ. यही वजह है कि इसे बनने में तीन दशक से भी ज्यादा का समय लगा.

स्फटिक शिवलिंग है स्थापित : इस मंदिर में हर तरफ देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग स्थापित है. इसके अलावा यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. वहीं, मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है,जो इसे बेहद ही खास बनाता है. मंदिर का गुंबद 111 फीट ऊंचा है जिसके कारण इसे एशिया का सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है.

ये भी पढ़ें -भगवान शिव के मंदिर की सफाई करते हैं अल्ताफ, पेश कर रहे आपसी भाईचारे की नजीर

चमत्कारिक है मंदिर : ऐसी मान्यता है कि शिव इस जगह पर एक रात रुके थे. तब ये जगह वीरान थी. लेकिन कृष्णानंद परमहंस ने तपस्या की और शिव को प्रसन्न किया. शिव से उन्होंने यहां स्थापित होने के साथ जल की मांग की. शिवजी ने अपने त्रिशूल के प्रहार से चट्टानों से जल की धारा निकाली. तब से जटोली में पानी की कभी कोई कमी नहीं हुई.ये पानी कई बीमारियों को ठीक भी करता है.

रायपुर : भारत में रहस्यमय और प्राचीन मंदिरों की कोई कमी नहीं है. देश के कोने-कोने में कई मशहूर मंदिर आपको देखने को मिलेंगे. इनमें से कई मंदिरों को लोग चमत्कारी और रहस्यमय भी मानते हैं.आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे अगर रहस्यमय कहें तो गलत नहीं होगा.क्योंकि कहा जाता है कि इस मंदिर में लगे पत्थरों को थमथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती ( Damrus voice comes in Shiva temple) है.असल में यह एक शिव मंदिर है, जिसके बारे में दावा ये भी किया जाता है कि यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है.दक्षिण द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर को बनने में करीब 39 साल लगे.

एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर

देवभूमि नाम से है प्रसिद्ध ये मंदिर : यह मंदिर देवभूमि के नाम से मशहूर हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित है. जिसे जटोली शिव मंदिर (jatoli shiv mandir) के नाम से जाना जाता है. दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फुट है. इस मंदिर को लेकर ये मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे. 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस (Swami Krishnananda Paramhansa) नाम के एक बाबा यहां आए, जिनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ. साल 1974 में उन्होंने ही इस मंदिर की नींव रखी थी.

दान से बना है करोड़ों का शिव मंदिर : जटोली में बाबा ने 1983 में समाधि ली. लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य नहीं रूका .बल्कि इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी. करोड़ों रुपए की लागत से बने इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसका निर्माण देश-विदेश के श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान के पैसों से हुआ. यही वजह है कि इसे बनने में तीन दशक से भी ज्यादा का समय लगा.

स्फटिक शिवलिंग है स्थापित : इस मंदिर में हर तरफ देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग स्थापित है. इसके अलावा यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. वहीं, मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है,जो इसे बेहद ही खास बनाता है. मंदिर का गुंबद 111 फीट ऊंचा है जिसके कारण इसे एशिया का सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है.

ये भी पढ़ें -भगवान शिव के मंदिर की सफाई करते हैं अल्ताफ, पेश कर रहे आपसी भाईचारे की नजीर

चमत्कारिक है मंदिर : ऐसी मान्यता है कि शिव इस जगह पर एक रात रुके थे. तब ये जगह वीरान थी. लेकिन कृष्णानंद परमहंस ने तपस्या की और शिव को प्रसन्न किया. शिव से उन्होंने यहां स्थापित होने के साथ जल की मांग की. शिवजी ने अपने त्रिशूल के प्रहार से चट्टानों से जल की धारा निकाली. तब से जटोली में पानी की कभी कोई कमी नहीं हुई.ये पानी कई बीमारियों को ठीक भी करता है.

Last Updated : May 9, 2022, 2:25 PM IST
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